राजनीति का शिकार हो रहा कैराना: मशकूर अली

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राजनीति का शिकार हो रहा कैराना: मशकूर अलीgaonconnection

कैराना घराने के मशहूर गायक और उस्ताद मशकूर अली खान पिछले कई वर्षों से आईटीसी संगीत शोध संस्थान (कोलकाता) में कार्यरत हैं। उनके पिता मशहूर शकूर अली खान ऑल इंडिया रेडियो में सारंगी वादक थे। हालांकि उस्ताद मकशूर अली खान कैराना के बारे में चल रही अफवाहों से आहत हैं। वह कहते हैं, “मुझे ऐसी खबर मिली कि कैराना के हिंदू पलायन कर रहे हैं जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं है। यह राजनैतिक पार्टियों की राजनीति है। मैं वहां करीब एक साल पहले गया था और फोन पर भी हमेशा बात होती रहती है। अफसोस इस बात का है कि कैराना जैसी इतने शांत स्थान के बारे में यूं अफवाहें उड़ाई जा रही है।”

किराना घराने की संगीत विरासत के बारे में वो कहते हैं, “हिन्दू और मुस्लिम दोनों भाइयों के योगदान से ही इस घराने का नाम आज यहां तक पहुंचा है। सुबह उठकर हम राम का नाम भी लेते हैं और रहीम का भी। हमारा मत ही कृष्ण मत है। हमारा तो ताल्लुकात ही ऐसा है, फिर क्यों हम भाई-भाई ऐसे लड़ने लगे। हम पहले ब्राहमण थे, हमारा गोत्र कोसले है। हमारे यहां की शादी ब्याह अभी हिन्दू रीति रिवाजों से ही होती है। हम हाथों में धागा बांधते हैं हमारा धर्म बदल गया लेकिन रीति रिवाज नहीं। 

कैराना जैसा सुकून कहीं नहीं मिलता

मैं ये नहीं समझ पाता की लोग राजनीति के नाम पर क्यों लड़ते हैं। चलिए नेता हमें लड़ा रहे हैं, लेकिन हमें भी तो सोचना चाहिए। हमारे दिमाग के अंदर ये चीजे नहीं आती कि हमें कोई बहका रहा है। हमारा मकान अभी भी वहां है, साल भर कहीं भी रहूं लेकिन एक महीने के लिए अपने घर पर जरूर जाता हूं। हम उन्हीं में ही घुल मिल जाते हैं, जैसे की हम एक ही हो।

जब तक मैं जिन्दा हूं वहां जाता रहूंगा, वो मेरा घर है, मौत के बाद अल्लाह मालिक। मुझे सुकून की नींद वहीं पर मिलती है। हमारे घराने के ज्यादातर लोग अब बाहर रहने लगे हैं लेकिन हम अभी भी कैराना से दिल से जुड़े हैं।

 

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