राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूना से क्या संदेश होगा

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूना से क्या संदेश होगागाँव कनेक्शन

महाराष्ट्र के शहर पूना में संघ ने बड़ा आयोजन किया है। इस बात से अन्तर नहीं कि संख्या एक लाख या दो लाख है, विषय यह है कि यहां से स्वयंसेवक अपने साथ संदेश क्या लेकर जाएंगे। क्या वह तोगड़िया का सन्देश होगा 'मन्दिर वहीं बनाएंगे' या नरेन्द्र मोदी का सन्देश 'पहले शौचालय फिर देवालय'। यह सन्देश बहुत महत्वपूर्ण होगा।

विश्व हिन्दू परिषद का एक एजेंडा है घर वापसी। थोड़ा हवन किया, तिलक लगाया, खिचड़ी खिलाई और हो गई घर वापसी। कभी यह नहीं सोचा कि ये लोग घर छोड़कर गए ही क्यों थे। अपमानित जीवन बिता रहे लोग कब तक अपमान सहते। बराबर

बैठ नहीं सकते थे, एक साथ भोजन कर सकते नहीं थे, मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकते थे, मन्दिर के सामने से गाजे-बाजे के साथ नहीं निकल सकते थे, घोड़े पर सवारी नहीं कर सकते थे, लिस्ट बहुत लम्बी है। क्या संघ इन सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का उपाय करेगा, घर बुलाने के पहले?

कुछ साल पहले तक संघ परिवार के लोग कहते थे कि भारत भूमि पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है जैसे मुहम्मदी हिन्दू और क्रिस्तानी हिन्दू आदि। यहां तक कोई कठिनाई नहीं। आप हिन्दू कहें या हिन्दी कहें मतलब एक ही है 'हिन्द वाला'। हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था को

धर्म के ठेकेदारों ने जाति व्यवस्था का रूप देकर ऊंच-नीच और छुआछूत का जामा पहना दिया। आश्रम व्यवस्था, व्यवस्था मानते नहीं और सन्यास लेने के बाद भी राजनीतिक तिकड़मबाजी करते हैं। कैसा है घर जहां बुला रहे हो। 

मोदी के रास्ते पर चलकर वह सब मिल सकता है जो संघ चाहता है। पर बिहार चुनाव में मोदी का विजय रथ रुक गया। विजय रथ तो राम का भी रुका था, रोकने वाला कोई और नहीं उनके अपने लव और कुश थे। यहां पर साक्षी महराज, गिरिराज सिंह, साध्वी निरंजन, महन्त अवैद्यनाथ जैसे लोगों को उतावलेपन में हिन्दू राष्ट्र बनाने, गोहत्या रोकने, मोदी विरोधियों को पाकिस्तान भेजने की जल्दी मच गई, मानों इससे मातृभूमि की सेवा हो जाएगी। 

संघ प्रमुख का एक बयान कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए, भले ही अच्छे इरादे से कहा गया था बिहार में कितना उल्टा पड़ा हमने देखा है। उसी समय मोदी विरोधियों ने सहिष्णुता का मुद्दा उठा दिया। साथ ही जब शिव सेना, विश्व हिन्दू परिषद या रामसेना के मुट्ठीभर लोग हिंसात्मक काम करते रहे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के लोग मौन रहे तो गलत सन्देश गया। पूना से संघ के कार्यकर्ता जो सन्देश लेकर जाएंगे उसका भारत की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ सब का विकास की बात कही थी और जनता को पसन्द आई थी। लेकिन सर संघ चालक मोहन भागवत का कहना कि मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है इसका स्वागत नहीं हुआ। आबादी तो आबादी है इस पर रोक लगनी चाहिए, फिर इसमें हिन्दू या मुसलमान क्या गिनना। सशक्त अैार अखंड भारत के लिए मोदी के मार्ग पर चलना होगा। औरों की बेतुकी बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है लेकिन जब सरकार चलाने वाले लोग बेतुकी बातें करेंगे तो संविधान की लक्ष्मण रेखा लांघने से अनर्थ होगा।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भगवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की वकालत कर दी। भगवत गीता के लिए घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। उसके सन्देश को जीवन में उतारने की जरूरत है। एक केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ने रामभक्तों को रामजादा और बाकी को हरामजादा कहकर मोदी विरोधियों की संख्या बढ़ा दी। गिरिराज सिंह के यह कहने  से कि शाहरुख खां पाकिस्तान चले जाएं, सबका साथ कैसे मिलेगा, अखंड भारत कैसे बनेगा?

देश का मुस्लिम, दलित हिन्दू समाज मोदी को स्वीकार करने के लिए तैयार है परन्तु सवर्णवाद को नहीं मानेगा। चुनाव प्रचार में मोदी ने कहा था कि संसद चलाने के लिए हमें दूसरों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी परन्तु देश चलाने के लिए सबकी जरूरत होगी। देखना है कि संघ परिवार मोदी को देश चलाने देगा या फिर केवल सरकार चलाने देगा। संघ के लोगों को समझना होगा कि सामाजिक समरसता और विकास में ही सशक्त भारत की नींव है। हिन्दू धर्म में हजारों साल में आई कुरीतियों को मिटाने के लिए स्वामी विवेकानन्द का रास्ता अपनाना होगा।

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