नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि नोटबंदी के कारण रबी फसल की बुवाई प्रभावित हुई है क्योंकि किसान नकदी की कमी के कारण बेहतर गुणवत्ता के बीज और उर्वरक नहीं खरीद पा रहे हैं।
शुरू में किसानों से सरकार के कदम का स्वागत किया था लेकिन बाद में वे नये नोटों की कमी के कारण ‘अप्रसन्न’ हैं। फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि इस कदम का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने से उसका नियत लाभ प्रभावित हुआ है।
राकांपा प्रमुख ने कहा कि गांवों के सहकारी बैंकों में पर्याप्त नकदी नहीं है जिस पर किसान काफी निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘काफी कम मुद्रा है, किसानों को धन उपलब्ध नहीं हो रहा है। भारत सरकार का खासकर नोटबंदी के बाद रुख सहकारी बैंकों को लेकर अलग है।
पवार ने कहा, ‘‘इससे रबी बुवाई निश्चित रूप से प्रभावित होगी। अगर किसान अच्छी गुणवत्ता वाली बीज और उर्वरक नहीं खरीद पाएंगे तो इससे बुवाई प्रभावित होगी।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लगा दी। बाद में किसानों की मांग पर सरकार ने केंद्रीय और राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों के साथ-साथ आईसीएआर तथा कृषि विश्वविद्यालयों से 500 रुपये के पुराने नोट से बीज खरीदने की अनुमति दे दी।
सरकार ने उर्वरक कंपनियों से किसानों को उधार पर उर्वरक बेचने को कहा है। शरद पवार ने कहा, ‘‘जब आठ नवंबर को फैसला किया गया, तीन दिन के भीतर मैं गांव गया और लोगों से मिला। शुस् में उनकी प्रतिक्रिया काफी अनुकूल थी….।” उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि जब मैं पिछले सप्ताह बैंक गया और कतार में खड़े किसानों से बात की तो चीजें अलग थीं। किसानों का एक बड़ा तबका इससे खुश नहीं था।” पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के कारण उनकी उपज का मूल्य नीचे आने से भी किसान नाखुश हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जिला-सहकारी बैंक को रबी मौसम में रोजाना पांच करोड़ रुपये की जरुरत है लेकिन उन्हें सप्ताह में केवल एक करोड़ रुपये मिल रहा है। पवार ने कहा कि नोटबंदी को सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होने से नीति का लाभ प्रभावित हुआ है।