नई दिल्ली (भाषा)। लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी का दामन थामने वाले ‘दल बदलुओं’ का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार ऐसे 58 उम्मीदवारों में से सिर्फ 13 ही अपनी अपनी सीटों पर आगे चल रहे हैं।
अभिनय से राजनीति में आये शत्रुध्न सिन्हा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे । वह बिहार की पटना साहिब सीट पर अपने निकटतम प्रतद्विंद्वी केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से डेढ लाख से ज्यादा मतों से पीछे चल रहे हैं ।
मधेपुरा में पूर्व जदयू नेता और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले शरद यादव जदयू के दिनेश चंद्र यादव से एक लाख 30 हजार मतों से पीछे हैं । शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आये तारिक अनवर कटिहार से 40000 से ज्यादा मतों से पीछे है । क्रिकेट से राजनीति में आये कीर्ति आजाद धनबाद में एक लाख 60 हजार मतों से पीछे हैं । वह चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आये थे जबकि दरभंगा से वह तीन बार भाजपा सांसद रह चुके हैं।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र कांग्रेस के टिकट पर बाड़मेर से 3 लाख 12 हजार मतों से पीछे है। इस बीच भोजपुरी अभिनेता रवि किशन गोरखपुर में दो लाख 80 हजार मतों से आगे हैं । रवि किशन पिछली बार जौनपुर से कांग्रेस के टिकट पर हार गए थे लेकिन इस बार वह भाजपा के उम्मीदवार हैं। कर्नाटक में तीन नेता कांग्रेस से भाजपा में आये जिनमें से दो आगे चल रहे है। उमेश यादव गुलबर्गा से और वाय देवेंद्रप्पा बेल्लारी से आगे चल रहे हैं।
वहीं भाजपा उम्मीदवार हसन ए मंजू पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के पौत्र प्रज्वल रेवान्ना से 1 . 42 लाख मतों से पीछे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे । वह महाराष्ट्र की अहमदनगर सीट से 2 . 30 लाख मतों से आगे हैं । महाराष्ट्र की ही चंद्रपूर सीट से शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आये सुरेश धानोरकर मौजूदा भाजपा सांसद हंसराज गंगाराम अहिर से आगे हैं।
नांदेड़ में शिवसेना से भाजपा में आये प्रताप चिखलिकर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अशोक चव्हाण से 37000 मतों से आगे हैं। बीजद से निकाले गए बैजयंत पांडा केंद्रापाड़ा से भाजपा के टिकट पर 40000 मतों से पीछे है । कांग्रेस से तेदेपा में आई पूर्व केंद्रीय मंत्री पनबाका लक्ष्मी तिरूपति सीट पर डेढ लाख मतों से पीछे हैं।