मोदी व योगी पर बरसे कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला कहा, किसान कर्ज पर श्वेत पत्र लाए यूपी सरकार

कांग्रेस

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ‘‘60 दिन में 600 चेतावनी” और ‘प्रचार एवं लीपापोती” वाली सरकार बताते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज कहा कि केंद्र की मोेदी सरकार तो किसानों को राहत और कर्जमाफी के नाम पर धोखा तो दे ही रही थी अब वही काम उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी कर रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से किसानों की कर्ज माफी पर श्वेत पत्र लाने की मांग की।

केंद्र की भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने पर उन्होंने कहा कि केंद्र के उपेक्षित रवैए से देश में 35 किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं, और यह सरकार आजादी के 70 साल बाद किसानों की सबसे ज्यादा उपेक्षा करने वाली सरकार बन गयी है। सरकार न किसान से समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदती है और न ही बाजार में किसानों को सही दाम मिलते हैं।

भाजपा ने केंद्र में चुनाव जीतने के लिए अपने घोषणा पत्र में कहा था कि किसानों को लागत का 50 प्रतिशत ज्यादा समर्थन मूल्य दिया जाएगा, मगर सत्ता हासिल करने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि लागत का पचास प्रतिशत ज्यादा समर्थन मूल्य किसानों को नहीं दिया जा सकता है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने आज यहां कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में केंद्र की भाजपा सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर उसे घेरा, साथ ही प्रदेश की दो महीने पुरानी भाजपा की योगी सरकार को ‘60 दिन में 600 वादेे” और लीपापोती वाली सरकार भी बता डाला।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 15 लाख छोटे एवं सीमांत किसान परिवारों में से केवल 86 लाख 88 हजार किसान बैकिंग व्यवस्था के दायरे में है, जबकि दो करोड़ 15 लाख किसानों में सेे एक करोड़ 28 लाख किसान साहूकार के कर्जदार हैं उनकों कर्जा माफी का एक फूटी कौड़ी का फायदा नहीं मिला है।

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चार अप्रैल 2017 को यूपी की भाजपा सरकार ने 31 मार्च 2016 तक बकाया तीस हजार करोड़ रुपए के फसली कर्जे की माफी का दावा कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया। यूूपी सरकार ने जानबूझ कर यह नहीं बताया कि 31 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच कितने किसानों द्वारा फसल ऋण वापस लौटा दिया गया था तथा लौटाई गयी राशि क्या थी।

उन्होंने कहा कि ऋण माफी के इस छलावे की सच्चाई यह है कि किसानों को फसल ऋण साल में दो बार रबी और खरीफ के लिए दिया जाता है। किसान अगली फसल के लिए ऋण ले ही नहीं सकता, अगर पिछली फसल का कर्जा वापस न दिया हो। उन्होंने मांग की कि ऐसे में कर्जा माफी पर उत्तर प्रदेश सरकार ‘श्वेत पत्र’ लेकर आए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार बताए कि किसान का ‘मियादी कर्ज’ माफ क्यों नहीं किया गया। सुरजेवाला ने कहा कि उप्र सरकार ने अपने झूठ पर पर्दा डालने के लिए विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण में भी संशोधन कर दिया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार की सभी सरकारी वेबसाइटों की बारीकी से जांच की है और अभी किसी भी वेबसाइट पर सरकार का कर्ज माफी संबंधी कोई भी शासनादेश कही नहीं है, सब बातें बस हवा में हैं।

दोस्तों का तो कर्ज माफ किया पर किसानों का नहीं माफ किया

सुरजेवाला ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुये कहा कि किसान विरोधी मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति दोस्तों का तो एक लाख 54 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर दिया लेकिन किसानों का कर्ज माफ नहीं किया, जिसकी वजह से आज देश में 35 किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं तथा 2016 में करीब 14 हजार किसानों ने देश में आत्महत्या की, जबकि वर्ष 2015 में 12 हजार 602 किसानों नेे आत्महत्या की थी।

फसल बीमा योजना से निजी कंपनियों को हो रहा भारी मुनाफा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरजेवाला ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की ‘‘फसल बीमा योजना” से निजी बीमा कंपनियों को भारी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने दस्तावेज के आधार पर बताया कि खरीफ 2016 की फसल के लिए निजी बीमा कंपनियों को 17 हजार 184 करोड़ रुपए प्रीमियम दिया गया जबकि किसानों को मुआवजा केवल 6808 करोड़ रुपए ही दिया गया। इस तरह बीमा कंपनियों को 10,376 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।

सूखे के बावजूद तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार ने एक धेला भी नहीं दिया

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की किस तरह अनदेखी कर रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तमिलनाडु सरकार ने सूूखे तथा अकाल के लिए 2016-17 के लिए 39 हजार 565 करोड़ रुपए की मांग की लेकिन तमिलनाडु के किसानों को एक रुपया भी नहीं दिया गया जबकि उन लोगों ने दिल्ली मेें धरना प्रदर्शन भी किया। इसी तरह आंध्र प्रदेश सरकार ने दो हजार 281 करोड़ रुपए की मांग की थी उन्हें भी एक पैसा नहीं दिया गया।

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