राष्ट्रीय पार्टियों की नाक का सवाल बने नगर निकाय चुनाव 

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   22 Nov 2017 8:54 PM GMT

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राष्ट्रीय पार्टियों की नाक का सवाल बने नगर निकाय चुनाव बड़े बड़े नेता कर रहे नगर निकाय चुनाव का प्रचार

लखनऊ। राजनीतिक पार्टियों ने उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को भी पीछे छोड़ दिया। सत्तानशीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बसपा, आप सहित दूसरी सभी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने इसे अपनी नाक का मुद्दा बना लिया है। ऐसा मानना है कि इस चुनाव का परिणाम लोकसभा चुनाव 2019 में असर डालेगा।

राज्य से लेकर केंद्र तक सत्ता पर काबिज भाजपा नगर निकाय चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद हो रहे निकाय चुनाव में योगी के दमखम और जनता के बीच उनके विश्वास को लेकर कड़ी परीक्षा होनी है। भाजपा के पार्टी संगठन, वर्तमान विधायक, सांसद, मंत्री के साथ-साथ उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नगर निकाय चुनाव की कमान संभालें हुए और सबका एक ही लक्ष्य है कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भाजपा बहुमत हासिल करे।

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उत्तर प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस के बाद सपा भी नगर निकाय चुनाव में सिम्बल देने के साथ चुनावी जंग में उतर चुकी है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 2012 चुनाव में सपा ने नगर निकाय चुनाव में सिम्बल नहीं दिया था जबकि उस समय सूबे में सपा की सरकार थी वही कभी नगर निकाय में सिम्बल न देने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भी अबकी बार प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे हैं और बसपा पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी दमखम से प्रत्याशियों के साथ-साथ कदमताल कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश के पहले चरण में 24 जिलों में वोट पड़ गए हैं। दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में बड़े नेताओं सक्रियता और बढ़ गई है। योगी ने पार्टी को जीत दिलाने के लिए पूरी योजना तैयार कर ली है। राम की नगरी से अपना प्रचार अभियान शुरू करने के साथ 22 नवम्बर को पहले चरण के वोट पड़ने तक 19 जिलों का तूफानी दौरा किया। 23 नवंबर को शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद व कन्नौज, 24 नवंबर को झांसी, फतेहपुर और लखनऊ, 25 नवंबर को बाराबंकी, लखीमपुर व बरेली, 26 नवंबर को मुरादाबाद, मंगलवार को अयोध्या में सभा करने के बाद मुख्यमंत्री योगी गोंडा और बहराइच में भी लोगों को संबोधित करेंगे।

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नगर निकाय चुनाव में भाजपा विशेष रुचि ले रही है इस पर बृजेश पाठक ने बताते हैं, "भाजपा प्रारंभ काल से ही नगरों में बहुत मेहनत करके जनता के बीच जाती रही है, विपक्षी दलों के पास नगर निकाय चुनाव में कहने के लिए कुछ भी नही है इसलिए वे कभी नही जाते थे और इस बार भी नही जा रहे है, केंद्र और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें बहुत सफलता पूर्ण कार्य कर रही है।" बृजेश पाठक लखनऊ मध्य से भारतीय जनता पार्टी के विधायक व प्रदेश के कानून मन्त्री हैं।

नगर निकाय चुनाव में पार्टी का लक्ष्य पर बृजेश पाठक ने कहा कि "उत्तर-प्रदेश की सभी सीटों पर भारी बहुमत से चुनाव जीतेंगे। हमारा मकसद सिर्फ यह है कि केंद्र-राज्य जो पैसे नगर निकायों को देता है और उसका सदुपयोग हो इसलिए भारतीय जनता पार्टी विशेष रुचि लेकर इन चुनावों में हिस्सा ले रही है हम जनता की समस्या खत्म करेंगे और विकास करेंगे।"

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उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में तीन चरणों में 652 निकायों के 11995 वार्डों में चुनाव हो रहे है जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने 11394 मतदान केंद्र व कुल 36273 मतदान स्थल बनाए गए है। इस चुनाव में प्रदेश के 3,3236175 करोड़ मतदाता 79216 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करेंगे। महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष व पार्षद पद के लिए प्रदेश के कुल 85401 उम्मीदवारों ने नामांकन किया, जिसमें तकनीकी कारणों के चलते 1198 नामांकन रद्द किया गया वहीं 4987 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस ले लिए। नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी बहुमत में रहेगी इसका दावा करते हुए सपा प्रदेश अध्यक्ष उत्तम पटेल बताते हैं कि सभी नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षद के लिए पूरे प्रदेश में सपा प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे है और हम उनका पूरा पूरा सहयोग कर रहे हैं। वे आगे बताते हैं कि नगर निकाय चुनाव परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव पर भी असर डालेंगे। अब यह कुछ जनता के हाथ में हैं वे ही तय करेगी कि परिणाम क्या रहेगा।

नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस के बढ़े दखल के बारे में प्रभारी निकाय चुनाव प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उत्तर प्रदेश सुबोध श्रीवास्तव कहते हैं, "स्थानीय निकाय चुनाव में मौका मिलता है जब हम सीधे जनता से कनेक्ट होते हैं जनता की समस्या के बारे में समाधान प्रस्तुत कर सकते है, निकायों के अब तक जो बुरा हाल रहा है उसको लेकर हम लोग चुनाव मैदान में हैं और बहुत जोर शोर से चुनाव मैदान में है।"

वो आगे बताते हैं, "नगर निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर होते है बहुत बड़ा संकेत तो इससे हम नहीं लेते किन्तु इस बार प्रदेश में भारी बहुमत वाली भाजपा सरकार है, मुख्यमंत्री सब जगह प्रचार कर रहे हैं, मंत्रियों की पूरी टीम लगी हुई है। जगह-जगह प्रचार कर रहे है तो जरूर इनकी प्रतिष्ठा दांव में है। अगर जनता इनके खिलाफ मतदान करती है और इनकी पकड़ स्थानीय निकाय में कमजोर होती है तो यह संकेत जरूर मिलेगा की प्रदेश की जनता इनसे ऊब गयी है और अब वह विकल्प तलाश रही है।

आखिर क्यों जरूरी है सही प्रत्याशी का चयन

लखनऊ नगर निगम के भारतेंदु हरिश्चन्द्र वार्ड के पूर्व सभासद बृज किशोर पांडेय बताते है कि, सभासद का काम वार्ड की सड़क, नाली, सीवर, साफ-सफाई, पार्क का मेंटिनेंस अगर कोई सार्वजनिक स्थल है उसकी देखरेख के साथ ही अपने प्रभाव व संपर्कों से ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं वार्ड को मुहैया कराना होता है और पिछले पांच वर्षों में यही किया है हालांकि इस बार टिकट न मिलने की वजह से चुनाव नही लड़ रहा हूं, फिर भी जनता के लिए यह चुनाव और इनमें सही प्रत्याशी का चयन इसलिए जरूरी है क्योंकि सभासद ही वार्ड का प्रथम जनप्रतिनिधि है जिसका वार्ड की जनता से सीधा सरोकार है। पांच वर्ष वार्ड में पार्षद निधि के रूप में वार्षिक निधि 45 लाख रुपए से शुरू होकर वर्ष 2017 तक 70 लाख रुपए वार्षिक हो गई है और ये निधि भविष्य में और बढ़ सकती है। ये पैसा सड़क, नाली, सीवर, पेयजल सुविधा,इत्यादि विकास कार्यों के लिए सरकार पार्षद निधि के रूप में वार्डों को प्रदान करती है।

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