गुजरात चुनाव: गाँवों में कांग्रेस तो शहरों में भाजपा

Ashwani NigamAshwani Nigam   18 Dec 2017 7:59 PM GMT

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गुजरात चुनाव: गाँवों में कांग्रेस तो शहरों में भाजपाग्राफिक डिजाइन: कार्तिक उपाध्याय

लखनऊ। गुजरात में कच्छ-सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात ग्रामीण बाहुल्य माना जाता है, जबकि दक्षिण और मध्य गुजरात शहरी है। इस गुजरात विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने जीत का परचम लहराया है, लेकिन सौराष्ट्र-कच्छ में कांग्रेस भाजपा को पछाड़ कर मतदाताओं की पहली पसंद बनी है।

लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं

यहां की 54 सीटों में से 30 सीटें कांग्रेस ने अपने खाते में दर्ज की है, वहीं भाजपा को 23 और निर्दलीय को एक सीट मिली है। यह पूरा क्षेत्र पाटीदार बाहुल्य माना जाता है। हमेशा से भाजपा का ये मजबूत गढ़ रहा था। भाजपा इसी दुर्ग के सहारे पिछले दो दशक से सत्ता के सिंहासन तक पहुंचती रही है, लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं।

उत्तर गुजरात में भी भाजपा पीछे

उत्तर गुजरात में भी कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ा है। यहां की कुल 32 सीटों में से कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं बीजेपी को 14 और निर्दलीय उम्मीदवार 1 सीट पर जीतने में कामयाब रहा रहा है।

मध्य गुजरात में बेहतर नतीजा

गुजरात के 182 सीटों वाले विधानसभा में मध्य गुजरात से 61 सीटें आती हैं। यहां सहकारी संस्थाओं और दुग्ध उत्पादन के लिए मशहूर मध्य गुजरात में भाजपा का दबदबा कायम रहा। भाजपा ने अपनी सीट बचाई ही नहीं, बल्कि पिछले चुनाव से बेहतर नतीजा हासिल किया है। यहां पर भाजपा को 37 और कांग्रेस को 22 सीटें मिली हैं।

दक्षिणी गुजरात में भी भाजपा की बादशाहत कायम

दक्षिणी गुजरात में भाजपा ने अपनी बादशाहत को कायम रखा है और यही उसकी जीत का कारण भी बना है, लेकिन कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तुलना में बढ़त हासिल की है। मध्य गुजरात में 35 सीटें आती है। इस बार बीजेपी के खाते में 25 सीटें आई हैं, तो वहीं कांग्रेस 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 28 सीटें और कांग्रेस को 6 सीटें और 1 अन्य को मिली थी. इस तरह बीजेपी के तीन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।

नहीं नजर आया असर

दक्षिणी गुजरात में गिर सोमनाथ, अमरोली, बोटाड, नर्मदा, भरूच, सूरत, तापी, डांग और नवसारी जिले आते हैं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन और जीएसटी, नोटबंदी के चलते माना जा रहा था कि दक्षिणी गुजरात में बीजेपी को तगड़ा झटका लगेगा, लेकिन चुनाव के नतीजों में इन मुद्दों का बहुत असर नजर नहीं आया है, जबकि कांग्रेस इस क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें पाल रखी थी। हार्दिक पटेल ने बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए इस क्षेत्र में काफी मेहनत किया था।

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