नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक बार फिर अपने दमदार भाषण के कारण चर्चा में है। संसद में चल रहे मानसून सत्र में आज विपक्ष ने केंद्र को चीन और पाकिस्तान मुद्दे पर घेरा। कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने केंद्र की विदेश नीति पर सवाल उठाए तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भाषण के जरिए विपक्ष पर जोरदार हमला किया। पेश हैं उनके भाषण के मुख्य अंश-
- विदेश नीति की चिंता की जन्मदाता हम नहीं बल्कि कांग्रेस है। विपक्ष बताए कि किस देश से हमारे संबंध खराब है।
- पीएम मोदी ने विदेश नीति से सम्मान दिलाया है। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने सिर्फ निजी तौर पर नाम कमाया है।
- चीन की घेरेबंदी की शुरुआत कांग्रेस के सरकार के समय ही शुरू हो गई थी। चीन की चिंता उन्होंने अपनी सरकार के दौरान क्यों नहीं की।
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- पेरिस समझौते पर ट्रंप के भारत को लेकर बयान पर सुषमा ने कहा, सिर्फ ट्रंप ने जो बोला वही याद है एक कान में? जो मोदी बोले वो भी याद रखो न।
- अगर यूएस हमारे बारे में ये बोलता है तो मोदी में वो माद्दा है कि वही खड़ा जो कर वो प्रेजिडेंट ट्रंप को चुनौती दे सकता है।
- जब ट्रंप ने ये कहा तो एक घंटे के अंदर पीएम का ये बयान आया कि हम किसी के पैसे के मोहताज नहीं है।
- पीओके भारत का आंतरिक भाग है पूरा कश्मीर हमारा है।
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- इजराइल हमारा मित्र जरूर है लेकिन फिलिस्तीन की मदद को कभी नहीं भूलेंगे ये हमारा संकल्प है।
- यही है आज की विदेश नीति की सफलता कि आज अमेरिका भी, रूस भी भारत के साथ है।
- डोकलाम पर हम बहस नहीं कर रहे केवल द्विपक्षीय संबंध पर बात कर रहे हैं चीन के साथ। हल उसी से निकलेगा।
- किसी भी समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकलता, युद्ध के बाद भी संवाद करना पड़ता है तब हल निकलता है।
- दुखी हूं इस बात से कि सबसे बड़े प्रमुख विपक्षी दल के नेता ने चीन के साथ स्थिति जानने के लिए भारत के नेतृत्व को पूछने के बजाय चीन के राजदूत को बुलाना ठीक समझा।
- हमने तो शांति, दोस्ती का रोडमैप बना दिया था लेकिन रोडमैप एकतरफा नहीं चल सकता न। आंतक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकता।