लखनऊ। इस बार के लोकसभा चुनाव कई सियासी क्षत्रपों के किले ढह गए। सबसे चौंकाने वाले परिणाम मध्यप्रदेश से आए हैं। सिंधिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनजातीय समूह के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया भी चुनाव हार गए हैं। भूरिया रतलाम झाबुआ सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। भूरिया इस सीट से 2015 के उपचुनाव सहित पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं जबकि जीएस डामोर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। सालों से रतलाम झाबुआ सीट पर जीतते आ रहे भूरिया को इस बार जीएस डामोर से मात मिली।
भूरियाा के बेटे को भी दे चुके हैं मात
मध्यप्रदेश सरकार में प्रशासनिक अधिकारी रहे बीजेपी उम्मीदवार गुमान सिंह डामोर ने कड़े मुकाबलों कांतिलाल भूरिया को 90 हजार 636 मतों से ज्यादा अंतर से हराया। राजनीति में नए आए डामोर राज्य में महज छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भूरिया के बेटे को भी मात दे चुके हैं। डामोर ने लोकसभा चुनावों में अपनी जीत का श्रेय मोदी लहर को देते हुए कहा कि मैं तो केवल माध्यम था, भूरिया और उनके बेटे को क्षेत्र की जनता ने हराया।
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पीएम मोदी को दिया जीत का श्रेय
डामोर ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों के नतीजों से स्पष्ट है कि भूरिया परिवार को रतलाम-झाबुआ क्षेत्र की जनता नकार चुकी है। इस क्षेत्र के लोगों ने सन्देश दे दिया है कि अब वे सकारात्मक राजनीतिक परिवर्तन चाहते हैं। डामोर प्रदेश के एकमात्र भाजपा विधायक थे जिन्हें पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनावों का टिकट दिया था। 2017 में प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्ति हुए डामोर बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने डामोर को नवंबर 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में उस झाबुआ क्षेत्र से टिकट दिया जो भूरिया परिवार का पारंपरिक गढ़ माना जाता रहा है। अपनी पार्टी के भरोसे को जिंदा रखते हुए डामोर ने भूरिया बेटे विक्रांत भूरिया को झाबुआ सीट से 10,437 मतों से हरा दिया था ।
(भाषा से इनपुट)