नई दिल्ली। ओडिशा से बीजेपी सांसद प्रताप चंद सारंगी को सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग (minister of State in tha Ministry of Micro, Small and Medium Enterprise) में राज्य मंत्री बनाया गया है इसके साथ ही पशुधन, डेयरी और फिशरी ( ) में भी राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
ओडिशा के मोदी कहे जाने वाले बालेश्वर लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित 64 वर्षीय सांसद प्रताप चंद्र सारंगी को उनके सादगी की वजह से जाना जाता है। बालेश्वर जिला के नीलगिरि के रहने वाले प्रताप चंद्र सारंगी पूरे समाज को ही अपना परिवार मानते हैं। वह पूरे जीवन अविवाहित रहे हैं। गत वर्ष ही उनकी मां का निधन भी हो गया अब वह अपने घर पर अकेले जीवन व्यतीत करते हैं। 30 मई को जब उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया था, सोशल मीडिया में उनकी सादगी भरी तस्वीरें छाई हुई थीं। वो नरेंद्र मोदी कैबिनेट के सबसे गरीब मंत्री भी हैं।
बीजेपी के सभी कार्यकर्ता सारंगी के बारे में बताते हैं कि वह मोदी जी से काफी प्रभावित हैं। समाज सेवा को लेकर उनमें एक जुनून हैं। रोज पूजा-अर्चना के बाद वह समाज सेवा कार्य में जुटे जाते हैं। इसके लिए वह राजनीति को सबसे बेहतर प्लेटफॉर्म मानते हैं।
सादगी आई लोगों को रास
सफेद दाढ़ी, सिर पर सफेद कम बाल, साइकिल, बैग से सारंगी की पहचान मानी जाती है। किसी गरीब का कोई काम होता है तो वह प्रताप सारंगी के घर पहुंच जाता है। लोगों को पता होता है कि यहां पर उसकी शिकायत जरूर सुनी जाएगी। उनकी यही सादगी, ईमानदारी और कम खर्चे पर जिंदगी बिताना ही लोगों को रास आ गया।
अपने इसी इमेज से उन्होंने बीजू जनता दल के मजबूत गढ़ को ध्वस्त कर दिया और बीजद रवींद्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से हरा दिया। प्रताप चंद्र सारंगी की इसी सादगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर मोदी कैबिनेट में जगह दिला गई। उनकी पार्टी के लोगों का कहना है कि मोदी की पहल के बाद ही उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली थी।
साधू बनना चाहते थें प्रताप चंद्र सारंगी
सांसद प्रताप चंद्र सारंगी का जन्म ओडिशा के गरीब परिवार में हुआ है। दुबला-पतला शरीर साधुवेश (श्वेतवस्त्रधारी) में जीवन बिताने वाले सारंगी शुरू से ही धार्मिक और कर्मकांडी प्रवृत्ति के हैं। वह साधु बनना चाहते थे। उनके करीबी लोग बताते हैं कि नीलगिरि फकीर मोहन कालेज में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह साधु बनने के लिए रामकृष्ण मठ चले गए थे।
मठ के लोगों को जब पता चला कि उनकी मां विधवा है, तो उनको मां की सेवा करने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने विवाह नहीं किया। पूरा जीवन मां व समाज की सेवा में लगा दिया। वह बच्चों को पढ़ाते भी हैं। समाज सेवा की प्रेरणा को वह मां का आशीर्वाद मानते हैं। उनके परिवार में और कोई नहीं है। वह छोटे से घर में रहते हैं और साइकिल पर चलते हैं। संपत्ति के नाम पर केवल छोटा सा घर है।