लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्पोरेशन बैंक को पंजाब नेशनल बैंक के अगुवाई वाले समूह का हिस्सा बनाने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने यह फैसला पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए वित्तीय सहयोग की जरूरत को देखते हुए किया है। कार्पोरेशन बैंक ने इस परियोजना के लिए सरकार को 1,000 करोड रूपये कर्ज देने की घोषणा भी कर दी है। इसके साथ ही कैबिनेट ने छह और प्रस्तावों पर भी मुहर लगाई है।
4 घंटे का हो जाएगा लखनऊ से गाजीपुर का सफर
मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि ‘पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के वित्तीय मदद के लिए कार्पोरेशन बैंक को पंजाब नेशनल बैंक की अगुवाई वाले कंसोर्टियम का हिस्सा बनाया जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर तक की लगभग 400 किलोमीटर लंबी एक्सप्रेसवे परियोजना है। इसके पूरा हो जाने पर लखनऊ से गाजीपुर का सफर महज साढे चार से पांच घंटे का हो जाएगा। अभी लखनऊ से गाजीपुर की दूरी तय करने में कुल आठ से 9 घंटे लग जाते हैं।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने जानकारी दी कि ”विजया बैंक द्वारा दिये जा रहे 1,000 करोड रूपये के कर्ज को अब बैंक आफ बड़ौदा का माना जाएगा। कार्पोरेशन बैंक इस परियोजना के लिए 1,000 करोड रूपये देगी।” इस तरह अब इस परियोजना में बैंको के समूह की ओर से कुल 8,800 करोड रूपये का अनुदान सरकार को हासिल होगा।
2020 तक पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण का है लक्ष्य
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। मु्ख्यमंत्री ने इस परियोजना को किसी भी हाल में 2020 तक पूरा करने का निर्देश दिया हुआ है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने भी अगस्त 2020 तक मुख्य सड़क पर यातायात शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के साथ ही प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र न सिर्फ प्रदेश के अन्य शहरों से जुड़ जाएंगे बल्कि अन्य एक्सप्रेसवे के माध्यम से देश की राजधानी की भी दूरी कम हो जाएगी।
कैबिनेट की बैठक में निर्णयों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेसवार्ता https://t.co/cK3y7CaMCC
— Government of UP (@UPGovt) June 25, 2019
कैबिनेट की बैठक में और भी हुए फैसले
जो व्यक्ति किसी भी धनराशि का राज्य सरकार की तरफ से हासिल करने का हकदार होगा, उसके पास वह राशि अब पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) लिंक्ड स्टेट नोडल एकाउंट से सीधे बैंक खातों में भेजी जाएगी। इसके अलावा राज्य कैबिनेट ने फैसला किया कि प्रदेश का सूचना विभाग अब राजकीय प्रेस के साथ साथ निजी प्रिंटिंग प्रेस से भी छपायी का काम करा सकेगा। गुणवत्ता और मूल्य के आधार पर राजकीय प्रेस को प्राथमिकता दी जाएगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उपयोग के लिए प्रयागराज के थार्नहिल रोड पर कांफ्रेंस हाल, दो वीआईपी सुइटस और एक संग्रहालय के निर्माण, उच्च न्यायालय के उपयोग के लिए मल्टीलेवल पार्किंग और अधिवक्ता चेंबर बनाये जाने के लिए 530.07 करोड रूपये का प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
#UPCM श्री @myogiadityanath जी की अध्यक्षता में #UPCabinet ने जनपद प्रयागराज स्थित उच्च न्यायालय के उपयोग हेतु ₹ 4599.88 लाख की लागत से थार्नहिल रोड पर कॉन्फ्रेन्स हॉल, 2 वीआईपी सुइट्स और एक म्यूजियम के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।
— Government of UP (@UPGovt) June 25, 2019
माध्यस्थम और सुलह अधिनियम 1996 में भी संशोधन को मंजूरी
उर्जा मंत्री ने बताया कि कैबिनेट ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 102 और 115 में संशोधन तथा माध्यस्थम व सुलह अधिनियम 1996 में न्यायालय की परिभाषा में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर किया है। उन्होंने बताया कि धारा 102 में जमानत राशि क्रमशः 25 हजार रूपये से बढ़ाकर 50 हजार रूपये और धारा 115 में पांच लाख रूपये से बढ़ा कर 25 लाख रुपये कर दिया गई है।उन्होंने कहा इससे विवादों का जल्द निपटारा होगा। जिला जज के अलावा अब एडीजे भी मामले सुनवाई कर सकेंगे। माध्यस्थम व सुलह अधिनियम 1996 में न्यायालय की परिभाषा में संशोधन करने से उच्च न्यायालय के स्थान पर अब जिला न्यायालयों में मामलों की सुनवाई हो सकेगी।
#UPCabinet ने सिविल प्रक्रिया अधिनियम-1908 के तहत धारा-102 व धारा-115 के सुलह व मध्यस्थता से निपटाए जाने वाले विवादों को हाईकोर्ट की जगह जिला अदालतों में सुनवाई को मंजूरी प्रदान की है। इनकी जमानत राशि भी क्रमश: ₹ 25 हजार से बढ़ाकर ₹ 50 हजार व ₹ 5 लाख से ₹ 25 लाख कर दी गई है।
— Government of UP (@UPGovt) June 25, 2019
(इनपुट-भाषा )