लखनऊ। कर्नाटक के सियासी हंगामा अभी भी जारी है। इसी सियासी हंगामे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष येदियुरप्पा भी सदन में अपनी सियासी शक्ति को दिखाने के लिए शक्ति परीक्षण के लिए तैयार हैं। येदियुरप्पा ने कहा कि उन्हें सरकार के विश्वास प्रस्ताव लाने पर भी कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि सोमवार को वह खुद स्पीकर से मिलेंगे और उसी दिन विश्वास प्रस्ताव लाने का अनुरोध करेंगे।
पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने यह भी माना कि मुंबई में मौजूद कांग्रेस के बागी विधायक उनके संपर्क में है। येदियुरप्पा ने कहा कि एचडी कुमारस्वामी को अब तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।लोग इस सरकार से परेशान हो चुके हैं।
BS Yeddyurappa, BJP state president: We have no objection to No Confidence Motion. We will wait until Monday. On Monday, we are ready to face the No Confidence Motion. #Karnataka pic.twitter.com/Ws6jXTPHnv
— ANI (@ANI) July 13, 2019
पांच और विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
गठबंधन के पांच और बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट गए हैं। विधायकों ने कोर्ट में शिकायत की है कि विधानसभा अध्यक्ष उनका इस्तीफा नहीं स्वीकार कर रहे हैं। विधायकों का कहना है कि स्पीकर का रवैया असंवैधानिक है। उन्होंने याचिका में कहा है कि उन्हें सरकार का समर्थन करने को कहा जा रहा है। ऐसा न करने पर उनकी विधायकी रद्द करने को कहा जा रहा है।
इससे पहले 10 और बागी विधायक पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले इन 5 विधायकों के अलावा 10 अन्य बागी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष पर को निर्देश देते हुए कहा था कि मंगलवार तक इन विधायकों पर कोई फैसला न लिया जाए।
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निर्दलीय विधायकों ने विपक्ष में बैठने की स्पीकर से की मांग
निर्दलीय विधायक आर शंकर और एच नागेश ने स्पीकर को एक पत्र लिखकर अपने लिए विपक्षी खेमे में बैठने की मांग की है।दोनों विधायक कांग्रेस-जेडीएस सरकार को समर्थन कर रहे थे और हाल ही मे मंत्री भी बने थे। 8 जुलाई को इन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर सरकार से इस्तीफा वापस ले लिया था।
दरअसल बीते दिनों कांग्रेस के 13 और जद( एस) के 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया था। केपीजेपी और एक निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस्तीफे स्वीकार होने के बाद विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 225 से घटकर 209 तक हो जाएगी। बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस और जद(एस) गठबंधन 105 सीटों की जरूरत होगी। इस स्थिति में गठबंधन के पास केवल 100 सीटें ही होंगी और उन्हे सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।