इस जीआरपी सिपाही के मुहिम से अब भिक्षा मांगने वाले हाथों में कलम हैं

उन्नाव जंक्शन के जीआरपी थाने में तैनात सिपाही रोहित कुमार का लक्ष्य भिक्षा मांगने वाले गरीब बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी लाना है। रोहित की पाठशाला 'हर हाथ मे कलम' में पढ़ने वाले 70 से अधिक बच्चे कभी भिक्षावृर्ति, बाल मजदूरी में थे, अब पढ़ाई कर अपना भविष्य संवार रहे हैं।

Sumit YadavSumit Yadav   24 Dec 2020 5:40 AM GMT

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उन्नाव-रायबरेली रेलमार्ग पर पड़ने वाले कोरारी हाल्ट के किनारे दलित बस्ती के रहने वाले अधिकतर बच्चे कुछ समय पहले तक हाल्ट पर रूकने वाली ट्रेनों के यात्रियों से भीख मांगते थे और अपना व परिवार का गुजारा करते थे। कानपुर-रायबरेली पैसेंजर ट्रेन में तैनात सिपाही रोहित कुमार (28 वर्ष) एक दिन कोरारी हाल्ट पर उतरे तो फटे पुराने कपड़े पहने 3 से 10 साल तक के बच्चों को यात्रियों से भीख मांगता देख द्रवित हो उठे।

रोहित ने उन्हें अपने पास बुला कर बात की तो बच्चों ने बताया कि भीख मांगकर और मजदूरी कर वह अपना पेट पालते हैं, उनमें से कोई स्कूल भी नही जाता था। रोहित बताते हैं कि भिक्षावृत्ति की यह तस्वीर बहुत दुःखद और शर्मनाक थी। "एक, दो रुपये या बिस्किट टॉफी देकर क्या हम बच्चों की मदद कर रहे हैं? शायद नहीं!", रोहित कहते हैं।

मई 2018 में झांसी से उन्नाव स्थानांतरित होकर आए रोहित बताते हैं कि कुछ भी बदलने के लिए शुरुआत जरूरी है। यही सोचकर अगले दिन ड्यूटी खत्म कर वह मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर मोटरसाइकिल से कोरारी गाँव पहुँच कर उन्होंने बच्चों के परिवार से मुलाकात की। पहले तो उनके परिजन किसी भी तरह की बात सुनने के लिए भी तैयार नही थे लेकिन रोहित के लगातार समझाने पर उन्होंने रोहित को पढ़ाने की इजाजत दे दी।


इसके बाद रोहित ने अपने कुछ साथियों के मदद से रेलवे ट्रैक के किनारे एक नीम के पेड़ के नीचे पांच बच्चों को साथ में लेकर एक पाठशाला शुरू की। लेकिन यह शुरूआत इतनी आसान नहीं थी। पहले दिन के बाद दूसरे दिन एक भी बच्चा पढ़ने नही आया।

इसके बाद रोहित उन्हें फिर से ढूढते हुए फिर उनके घर गए और उनके माता पिता को बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य को लेकर समझाया। एक महीने तक कड़ी मेहनत के बाद 5 बच्चों से शुरू हुई इस मुहिम में 15 बच्चे आने लगे। कुछ समय के बाद इन सभी का दाखिला गाँव के प्राथमिक विद्यालय में करवा दिया गया। लेकिन इसके साथ-साथ रोहित की पाठशाला भी खुले आसमान के नीचे चलती रही। यह बच्चों के लिए होम ट्यूशन की तरह थी। रोज शाम को ड्यूटी के बाद गाँव जाकर उन बच्चों को शिक्षा देना रोहित की दिनचर्या हो गई।

रोहित बताते हैं कि बरसात आने पर वहाँ पानी भर गया जिसके बाद पास में अमरसस गांव में एक किराए का कमरा लेकर शिक्षण कार्य चलता रहा। उसी समय यह बात तत्कालीन एसपी सौमित्र यादव को पता चली तो उन्होंने पंचायती राज अधिकारी से गाँव का पंचायत भवन पाठशाला के लिए देने का निवेदन किया और ग्राम सचिव के माध्यम से कोरारी कला गाँव का पंचायत भवन पाठशाला के लिए निःशुल्क मिल गया।


सिपाही रोहित कुमार की "हर हाथ मे कलम" मुहिम की जानकारी पर अभ्युदय सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ प्रभात सिन्हा ने बच्चों को शिक्षण कार्य के लिए किताब, कॉपी, पेन, पेंसिल, रबर, कटर, कलर के साथ टॉफी, बिस्किट बांट कर रोहित का हौसला बढ़ाया।

पाठशाला "हर हाथ में कलम" में आज लगभग 70 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद, गीत संगीत, नृत्य, चित्रकला प्रतियोगिता के साथ जैसे आयोजन समय समय पर किए जाते हैं। नौकरी के साथ बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप में चलती रहे इसके लिए रोहित ने क्षेत्र के दो शिक्षक बसंत और मंगल को अपने इस काम मे भागीदार बनाया है। मंगल बीएससी कर चुके हैं जबकि बसंत कामर्स से इन्टर पास है। दोनों शिक्षकों को इस काम के लिए वेतन भी दिया जाता है।

उन्नाव पुलिस भी अब इसमें पूरा सहयोग दे रही है। हाल ही में जिला पुलिस द्वारा "हर हाथ में कलम" पाठशाला के बच्चों को यातायात जागरूकता तथा कोविड नियमो के बारे में एक कार्यशाला के माध्यम से जागरूक किया गया। जनपद में आयोजित यातायात माह समापन प्रतियोगिता में "हर हाथ में कलम" पाठशाला के बच्चों द्वारा निबंध, पेंटिंग और क्विज के माध्यम से जागरूकता फैलाने के लिए सिपाही रोहित को एसपी आनन्द कुलकर्णी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।


"मेरा सपना स्कूल न पहुंचने वाले बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाना है।ट्रेन में ड्यूटी के बाद समय निकालकर बच्चों को पढ़ाता हूं, ऐसा करके मैं न सिर्फ बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिश कर रहा हूं बल्कि अपने पिता के सपने को भी पूरा कर रहा हूं," रोहित कुमार कहते हैं।

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