कोरोना का एक सालः 2 करोड़ 96 लाख लोग हुए कोरोना महामारी के कारण बेरोजगारी के शिकार, देश ने दर्ज की इतिहास की सबसे बड़ी बेरोज़गारी दर

कोरोना महामारी को देश में एक साल पूरे हो गए। इस दौरान लगे लॉकडाउन से करोड़ों लोगों की नौकरियां छूटीं। अप्रैल और मई ऐसा समय था जब सबसे अधिक लोग (लगभग 12.2 करोड़) लोग बेरोजगार हुए। अभी भी 2 करोड़ से अधिक लोग भारत के श्रम बल का हिस्सा नहीं बन पाए हैं, जो एक साल पहले देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते थे।

Daya SagarDaya Sagar   28 Jan 2021 10:29 AM GMT

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कोरोना का एक सालः 2 करोड़ 96 लाख लोग हुए कोरोना महामारी के कारण बेरोजगारी के शिकार, देश ने दर्ज की इतिहास की सबसे बड़ी बेरोज़गारी दरगोरखपुर रेलवे स्टेशन के बाहर फिर से शहर लौटने के लिए अपने ट्रेन के समय होने का इंतजार करते प्रवासी मजदूर, कई लोगों के साथ उनका परिवार भी है (फोटो- दया सागर)

गांव कनेक्शन सर्वे, दिसंबर 2020भारत में कोरोना महामारी की शुरुआत को एक साल हो गया है। 27 जनवरी, 2020 को केरल के त्रिसूर में भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते गए और मार्च के आखिर तक आते-आते देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगाना पड़ा।

हालांकि यह लॉकडाउन कोरोना से बचाव के लिए किया गया था लेकिन इससे लोगों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई और लगभग इतने ही लोगों को अपना काम-धंधा छोड़कर शहरों से अपने घरों की ओर लौटना पड़ा। कुल मिलाकर इस दौरान बेरोजागारी बहुत ही तेजी से बढ़ी और लोग काम और पैसे के अभाव में भूखमरी की कगार तक पहुंच गए।

देश की अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी पर नजर रखने वाली एजेंसी सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, देश में जब कोरोना का पहला मामला सामने आया, उस वक्त भारत में बेरोज़गारी दर 7.22% थी। अर्थव्यवस्था के अनेक सेक्टरों मसलन- ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल आदि में आई आर्थिक सुस्ती के कारण यह बेरोज़गारी दर पहले से ही अधिक थी, जिसे लॉकडाउन ने और बड़ा झटका दिया।

महीने दर महीने बेरोज़गारी दर बढ़ती गई। मार्च, 2020 में भारत में बेरोज़गारी दर 8.75% थी, वह लॉकडाउन लगने के बाद लगभग तीन गुना बढ़कर अप्रैल, 2020 में 23.52 प्रतिशत और मई, 2020 में 21.73% हो गया। सीएमआईई के अनुसार, यह बेरोज़गारी दर भारत के इतिहास की सबसे अधिक थी।

सोर्स- CMIE

केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने संसद के मानसून सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि लॉकडाउन के दौरान कुल एक करोड़ चार लाख 66 हजार 152 लोगों ने लॉकडाउन के दौरान घर-वापसी की। इसमें सबसे अधिक 32 लाख 49 हजार 638 मज़दूर उत्तर प्रदेश और 15 लाख 612 बिहार से थे। गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने तब तक अपने आंकड़ें नहीं जारी किए थे। वरना, यह संख्या और अधिक होती।

सोर्स- लोकसभा वेबसाइट

सीएमआईई की ही रिपोर्ट कहती है कि मार्च के अंत में लगे लॉकडाउन के बाद अप्रैल महीने के अंत तक लगभग 12 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। इसमें 75% (लगभग 9 करोड़ लोग) वे थे, जो कि किसी छोटे उद्योग या दिहाड़ी मजदूरी से संबंध रखते थे। इस तरह यह साफ दिखाता है कि कोरोना लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव ग़रीब और मज़दूर तबके पर पड़ा।

सोर्स- CMIE


देश के सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन के इनसाइट विंग 'गांव कनेक्शन इनसाइट्स' ने भी इस दौरान देश भर में कोरोना और लॉकडाउन को लेकर हुए प्रभावों पर एक सर्वे किया था, जिसमें लगभग 93 फीसदी ग्रामीण लोगों ने कहा था कि बेरोज़गारी उनके गांव की प्रमुख समस्या है और प्रवासी मज़दूरों के रिवर्स पलायन ने बेरोज़गारी की इस मुसीबत को और बढ़ाया ही है।

गांव कनेक्शन सर्वे, मई-जून 2020

इस सर्वे के दौरान शहरों से वापिस लौटे मज़दूरों ने भी माना था कि गांवों में रोजगार के पर्याप्त साधन और मौके उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें शहरों की तरफ फिर से वापिस लौटना पड़ेगा। इस सर्वे में लगभग 56 फीसदी लोगों ने कहा था कि उन्हें शहरों की ओर लौटना होगा, जबकि 28 फीसदी ने कहा कि वे शहर नहीं जाएंगे। जबकि 16 फीसदी ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में अभी कुछ तय नहीं किया है।

गांव कनेक्शन सर्वे, मई-जून 2020

गांव कनेक्शन ने यह सर्वे 30 मई से लेकर 16 जुलाई 2020 के बीच देश के 20 राज्यों, 3 केंद्रीय शासित प्रदेशों के 179 जिलों में 25,371 लोगों के बीच किया था। दिसंबर माह में गांव कनेक्शन इनसाइट्स ने एक बार फिर एक सर्वे किया, जिसमें 62 फीसदी से अधिक लोगों ने कहा कि उनके परिवार में लॉकडाउन के दौरान शहर से लौटे सदस्य फिर से शहर की ओर पलायन कर गए हैं और ऐसा उन्होंने गाँवों में रोज़गार के पर्याप्त अवसर ना होने की वजह से किया है।

गांव कनेक्शन सर्वे, दिसंबर 2020


सीएमआईई की वर्तमान रिपोर्ट्स की माने तो भारत में बेरोज़गारी की स्थिति धीरे-धीरे कम हो रही है। हालांकि अभी भी यह पहले की तरह सामान्य नहीं हुई है। जहां जनवरी, 2020 में कोरोना का पहला मामला आते वक्त बेरोजगारी दर 7.22% थी, वहीं लॉकडाउन के समय 23.52% के रिकॉर्ड दर को छूते हुए यह दिसंबर, 2020 में 9.06% तक आ गई है।

इस दौरान लगभग दो करोड़ से अधिक लोग अभी भी सक्रिय तौर पर नौकरियों की तलाश कर रहे हैं और वह वर्तमान में देश के श्रमबल का हिस्सा नहीं हैं। सीएमआईई की ही रिपोर्ट कहती है कि भारत में जब कोरोना का पहला मामला सामने आया था, तो कुल 41 करोड़ 4 लाख 73 हजार 913 लोग देश के सक्रिय श्रम बल का हिस्सा थे, लेकिन साल के आखिर तक आते-आते यह संख्या घटकर 38 करोड़ 87 लाख 77 हजार 142 हो गई है। जिसका मतलब है कि 2 करोड़ 16 लाख 96 हजार 771 लोग कोरोना महामारी के कारण अब भी बेरोज़गारी का शिकार हैं।

सोर्स- सीएमआईई




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