किसान आंदोलन: कृषि मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कहा- नए कानूनों से छोटे किसानों की भलाई, सरकार के प्रस्तावों को विस्तार से बताया

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नई दिल्लीः किसान आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को दिए गए दस सूत्रीय प्रस्ताव से इनकार करने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने प्रेस वार्ता की और इन कानूनों और दस सूत्रीय प्रस्तावों के बारे में सरकार का पक्ष विस्तार से बताया। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ये कानून इसलिए लाई थी ताकि किसान अपने फसलों को बेचने में और स्वतंत्र हो सकें लेकिन अगर कुछ किसानों और किसान संगठनों को इन कानूनों से ऐतराज है, तो हम उसमें संशोधन करने के लिए भी तैयार हैं।

नरेंद्र तोमर ने कहा कि इसलिए 9 तारीख को किसानों को एक दस सूत्रीय लिखित प्रस्ताव भी दिया गया था, जिसमें उनकी हर शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया। नरेंद्र तोमर ने अपील की कि चूंकि किसानों से वार्ता अभी प्रक्रिया में है, इसलिए उन्हें 14 तारीख को आंदोलन तेज करने और भारत बंद करने की घोषणा को वापिस ले लेना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि जल्द ही इस मामले का कोई समाधान निकलेगा।

गौरतलब है कि पिछले 26 तारीख से किसान दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी व मंडी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए और सख्त से सख्त कानून बनाया जाए।

कृषि मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार में एमएसपी व्यवस्था पहले से मजबूत हुई है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले सालों की अपेक्षा इस साल एमएसपी पर अधिक खरीदी हुई है और यह साल दर साल बढ़ता भी जा रहा है। इसके अलावा पहले सिर्फ गेहूं व धान की फसलों पर एमएसपी मिलता था, अब सरकार दलहन व तिलहन की फसलों पर भी एमएसपी दे रही है। इसलिए किसानों की यह आशंका निर्मूल है। हालांकि किसानों की मांग पर हम एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी दे सकते हैं।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि इन कानूनों में मंडी व्यवस्था को खत्म करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। बस यह था कि अगर कोई किसान मंडी से बाहर भी अपनी उपज बेचना चाहता है और उसको वहां पर अच्छा दाम मिल रहा है, तो वह बेच सकता है। इसके लिए ही ये नए कानून बने हैं, ताकि मंडी से बाहर उपज बेचने वाले किसानों के साथ कोई गड़बड़ी नहीं कर पाए। यह एक तरह से बाजार को खोलने जैसा है। अगर किसान चाहते हैं कि मंडी से बाहर भी व्यापार करने वाले लोगों पर कर लगे तो हम उसके लिए भी तैयार हैं।

वहीं कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में कोई भी कॉन्ट्रैक्टर किसानों की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। कॉन्ट्रैक्ट जमीन का नहीं होगा बल्कि फसल से संबंधित होगा। इसलिए जमीन पर कब्जा या कुर्की की भी बात निर्मूल है। नए प्रस्तावों में विवाद होने की स्थिति में एसडीएम के अलावा अब कोर्ट में भी शिकायत की जा सकेगी।

सरकार के इन प्रस्तावों पर किसान संगठन पहले ही जवाब दे चुके हैं। किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार का एक भी प्रस्ताव मंजूर नहीं है और वे बिना कानून को समाप्त कराये दिल्ली से जाने वाले नहीं हैं।

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