बी‍मार को खाट पर ले जाते लोग तो पानी में चलती दुकान, बिहार की ये तस्‍वीरें उदास करती हैं

Abhishek VermaAbhishek Verma   20 July 2019 8:48 AM GMT

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बी‍मार को खाट पर ले जाते लोग तो पानी में चलती दुकान, बिहार की ये तस्‍वीरें उदास करती हैंबिहार बाढ़

मधुबनी (बिहार)। बिहार इन दिनों बाढ़ की चपेट में है। यहां से आने वाली तस्वीरें उदास करने वाली हैं। कहीं कोई मरीज को खाट पर लाद कर अस्‍पताल ले जा रहा है तो कहीं कोई बाढ़ के कमर तक पानी से निकल कर सुरक्ष‍ित स्‍थान की तलाश कर रहा है। गांव कनेक्‍शन की टीम इस वक्‍त बिहार में मौजूद है, देखें बिहार की यह तस्‍वीरे...


बिहार में बाढ़ का दायरा बढ़ता जा रहा है। बाढ़ की जद में रोज कोई नया इलाका आ रहा है। बाढ़ से तबाही के कई सारे वीडियो भी सामने आ रहे हैं। सरकार के आकड़ों के मुताबिक बिहार में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 78 के करीब पहुंच गई है।


बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार तकरीबन 66 लाख लोग बिहार में बाढ़ से प्रभावित हैं। इसके अलावा 130 शिविरों में एक लाख बाढ़ पीड़ितों ने शरण ली है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 125 मोटर बोटों के साथ एनडीआरएफ़/एसडीआरएफ के 796 कर्मचारियों को तैनात किया है।


इस दौरान बिहार जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा का बयान आया है कि बिहार की समस्या बिहार में पैदा नहीं हुई है। नेपाल में अधिक बारिश की वजह से बिहार में यह हालात हैं। हमारी कोशिश टूटे हुए बांधों की मरम्मत करना है। इससे पहले संजय झा से बुधवार को बताया था की बाढ़ से होने वाली हर साल की तबाही को रोकने के लिए राज्य सरकार नेपाल में हाई डैम बनाने की कोशिश पर गंभीरता से काम करेगी।

मधुबनी-झंझारपुर के पास कमला नदी का बांध 14 जुलाई को टूट गया था। कई नेशनल हाईवे और गाँव की सड़कें बह गयी हैं। ऐसे में गांवों का शहर और बाजारों से संपर्क टूट गया है। लोगों के सामने इस समय ज्यादा संकट खाने और साफ पीने के पानी का है। बिस्फी प्रखंड के जानीपुर गाँव तक पहुंचने के लिए नाव ही सहारा है, यहां सरकारी की ओर से उपलब्ध बोट की व्यवस्था नहीं है, न ही कहीं राहत शिविर।


मधुबनी के बिस्फी प्रखंड के जानीपुर गांव में रहने वाली शबनम को सांप ने काट लिया। उस समय वह घर में कुछ काम कर रही थी। परिजनों को जैसे ही यह पता चला उन्हें तुरंत खाट पर लादकर झाड़-फूंक के अस्पताल ले जाया जा रहा है। लेकिन स्थिति अब भी गंभीर बनी रही। परिजन कहते हैं कि इस बाढ़ में अस्पताल पहुंच पाएंगे कि उन्हें यह बिल्कुल पता नहीं।


बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पानी कितना गहरा है यह तय कर पाना आसान नहीं है। पानी के कारण गड्ढों और सड़को में अंतर पता नहाॆ चल पा रहा है। ऐसी स्थिति में बाढ़ से लोग सुरक्षित बच कर कैसे निकले यह एक बड़ी चुनौती है। सुरक्षित बच भी गए तो जिंदगी फिर से उसी तरह पटरी पर कैसे लाए यह भी उनके लिए बड़ी समस्या है।

बिहार में बाढ़ की वजह नेपाल से आए बरसाती पानी को ठहराया जा रहा है। राज्य के शिवहर, सीतामढी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा और मुजफ्फरपुर के निचले इलाकों में बाढ़ से भारी तबाही हुई है। इनमें से अधिकतर वे जिले हैं जो कुछ दिन पहले सूखे की मार झेल रहे थे।





   

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