बेहतर तैयारी के साथ लॉकडाउन खत्म करके बचा सकते हैं करोड़ों जिंदगियों के साथ देश की अर्थव्यवस्था

नई वैज्ञानिक जानकारियों की मदद से, एक व्यवस्थित रूपरेखा तैयार कर और स्वास्थ्य परिणामों के लिए बेहतर लक्ष्यों को तय कर हम चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को ख़त्म कर सकते हैं और करोड़ों जिंदगियों सहित देश की अर्थव्यवस्था को भी बचा सकते हैं।
Corona Footprint

महाभारत में अभिमन्यु ने जिस प्रकार दिलेरी और अपने अद्भुत युद्ध कौशल से चक्रव्यूह भेदने का प्रयास किया था, उसे कौन नहीं जानता। हालांकि अभिमन्यु की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए हम इस कहानी से मिलने वाली एक बुनियादी सीख को नज़रंदाज़ कर देते हैं- उस चक्रव्यूह में घुसने का प्रयास बिलकुल नहीं करना चाहिए, जिससे निकलने का तरीका हमें पता नहीं हो। लॉकडाउन के मौजूदा समय में हमलोग इसी प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। हमने दुनियाभर से कठोरतम देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया है और अब इससे निजात पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। सवाल यह है कि क्या हम कम से कम जोखिम के साथ लॉकडाउन को ख़त्म कर सकते हैं? मेरा विश्वास है कि नई वैज्ञानिक जानकारियों की मदद से, एक व्यवस्थित रूपरेखा तैयार कर और स्वास्थ्य परिणामों के लिए बेहतर लक्ष्यों को तय कर हम चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को ख़त्म कर सकते हैं और करोड़ों जिंदगियों सहित देश की अर्थव्यवस्था को भी बचा सकते हैं।

  1. पिछले दो महीनों में कोविड-19 के प्रसार के तरीकों को लेकर बड़ी संख्या में शोध प्रकाशित हुए हैं। इन शोधों में के जो परिणाम निकलकर सामने आए हैं, वे कुछ इस तरह हैं:
  2. कोरोना वायरस का प्रसार मुख्य रूप से रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स (खांसने, छींकने) और संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क में आने से होता है। यह हवा या मल-मूत्र के माध्यम से नहीं फैलता, इसलिए इसे फैलने से रोकने के लिए मास्क का उपयोग, स्वच्छता का ध्यान रखना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
  3. किसी के नजदीक या लंबे समय तक संपर्क में रहने से ही संक्रमण फैलता है। संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा घर में एक साथ रहने वाले लोगों के बीच, समूहों में और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले लोगों में रहता है। बहुत कम समय के लिए संपर्क में आने से इस वायरस के संक्रमण का खतरा बेहद कम होता है।
  4. जिस संक्रमित व्यक्ति में लक्षण प्रकट हो गए हों (खासकर पहले हफ्ते में), उनके संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा अधिक होता है। जिस संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण प्रकट नहीं हुए हों, उनसे संक्रमण फैलने का खतरा अपेक्षाकृत कम होता है।
  5. युवाओं की तुलना में बुजुर्गों के संक्रमित होने की आशंका ज्यादा होती है। बच्चे इस महामारी के मुख्य वाहक नहीं हैं।
  6. बुजुर्गों और पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों में भी संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें संक्रमण से दूर रखकर मौत के आंकड़ों को कम किया जा सकता है।
  7. इस बीमारी से मृत्यु दर अनुमान के विपरीत बेहद कम है। संभवत: इसकी मृत्य दर 1% से भी कम है, जो कोरोना वायरस के कारण होने वाली अन्य बीमारियों जैसे सार्स, मर्स के मुकाबले बहुत कम है।

इन तमाम शोधों के परिणाम हमें एक नई समझ प्रदान करते हैं कि कोविड-19 उतनी गंभीर बीमारी नहीं, जितना अनुमान लगाया गया था। हालांकि, इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं। बहरहाल, ये सूचनाएं हमें अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में मदद करेंगी, लेकिन इससे पहले हमें अपनी उम्मीदों को स्पष्ट और यथार्थवादी बनाना होगा।

हालांकि सरकार ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि लॉकडाउन से स्वास्थ्य परिणाम के रूप में वह क्या हासिल करना चाहती है। लेकिन जिस तरह से जिलों को रेड, ऑरेंज, ग्रीन और कंटेनमेंट जोन में वर्गीकृत किया गया है, उससे यह पता चलता है कि सरकार ने जिलों में एक भी कोरोना केस नहीं होने का लक्ष्य रखा है। उन जिलों को ग्रीन जोन बनाया गया है, जहां एक भी पॉजिटिव केस नहीं है या पिछले 21 दिन में एक भी पॉजिटिव केस नहीं आया हो। इस जोन में कुछ पाबंदियों के साथ आर्थिक गतिविधियों में भी छूट दी गई है। इसी तरह कंटेनमेंट जोन में सबसे ज्यादा पाबंदियां लगाई गई हैं। जैसे-नोएडा में अगर हजारों की आबादी वाले किसी इलाके में एक केस भी पॉजिटिव मिल जाता है, तो उस पूरे इलाके को सील कर दिया जाता है।

जिलों में एक भी पॉजिटिव केस न मिलने का लक्ष्य मुझे वास्तविक नहीं लगता है. इस लक्ष्य का मतलब यह हुआ कि जब तक कोविड-19 का टीका नहीं बन जाता, तब तक हम देश को लॉकडाउन जैसी पाबंदी से बाहर नहीं निकाल सकते। और इस बात की कोई गारंटी भी नहीं है कि हमें टीका कब मिलेगा।

यह समझना जरूरी है कि मौजूदा समस्या पर काबू पाने के लिए हमने लॉकडाउन लागू किया ताकि हमारी स्वास्थ्य वयस्था पर ज्यादा दवाब न आए और हमें स्वास्थ्य संबंधी संरचनाओं के निर्माण के लिए वक्त मिल जाए। लॉकडाउन संक्रमण को खत्म नहीं करेगा, सिर्फ इसे फैलने से रोकेगा। इसलिए, संक्रमण का एक भी मामला नहीं होने की जगह हमें यह लक्ष्य बनाना होगा कि कोरोना से कम से कम मौतें हों। अगर हम मौतों को कम करने का लक्ष्य बना लेते हैं, तो हम देश में लॉकडाउन ख़त्म के लिए एक व्यवस्थित ढांचा तैयार कर सकते हैं। मेरे मुताबिक इसके लिए निम्नलिखित 11 बिंदुओं पर काम किया जा सकता है, जिससे कि इस वायरस के प्रसार को रोकने के साथ ही मौतों के सिलसिले को कम किया जा सके और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाया जा सके-

जिलों और शहरों को खोला जा सकता है अगर उनके स्वास्थ्य केंद्र गंभीर मामलों के इलाज के लिए साधन संपन्न हैं। निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की भागीदारी भी इसमें सुनिश्चित की जानी चाहिए।

बीमार और बुजुर्गों के घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

माइक्रो लॉकडाउन से ध्यान हटाकर कोविड के मामलों के माइक्रो मैनेजमेंट की ओर ध्यान देना चाहिए। यानि हमें शहरों और जिलों को बंद करने की जगह घरों, इमारतों और कॉलोनियों को बंद करने पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ एक मामला आने पर पूरी कॉलोनी को भी बंद नहीं करना चाहिए। इस तरह की पाबंदियों को लगाने से पहले समबन्धित क्षेत्र में वायरस के प्रसार की वास्तविक सम्भावना का पता लगाया जाना चाहिए। इस तरह के निर्णय लेने में महामारी विशेषज्ञों की भी नियुक्ति की जानी चाहिए।

  1. सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना अनिवार्य कर देना चाहिए।
  2. नई स्वास्थ्य संरचनाओं का निर्माण कर जांच क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए।
  3. एयरलाइंस जैसे व्यवसायों को पॉइंट-ऑफ-केयर परीक्षण सुविधा और अन्य त्वरित परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  4. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ानी चाहिए ताकि पॉजिटिव मामलों का जल्द पता लगाकर उन्हें आइसोलेट किया जा सके। इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
  5. संक्रमण के प्रसार को समझने के लिए समय-समय पर देशभर में एंटीबॉडी परीक्षण किया जाना चाहिए।
  6. कारखानों, रेस्तरां, दुकानों और परिवहन प्रणालियों को सामाजिक दूरी के साथ खोलना चाहिए।
  7. बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़ानी चाहिए और डर और कलंक ख़त्म करनी चाहिए। उदाहरण, संक्रमण की चपेट में आ चुके नेताओं और अधिकारियों की सेल्फ-आईसोलेशन की ख़बरों को प्रचारित करने से बचना चाहिए।
  8. वैक्सीन और दवाएं विकसित करने के लिए देश में मौजूद संसाधनों का प्रयोग कर दूसरे देशों से सूचनाएं साझा करनी चाहिए।

अगर हम उक्त बिंदुओं को लागू कर लेते हैं, तो कोविड-19 के साथ ही भूख, विनाश और अन्य बीमारियों से लोगों का जीवन बचा पाने में बहुत हद तक कामयाब हो सकते हैं। 

(चन्द्र भूषण भारत के अग्रणी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों में से एक हैं। वह पर्यावरण, स्थिरता और प्रौद्योगिकी (iFOREST) के लिए अंतर्राष्ट्रीय फोरम के अध्यक्ष और सीईओ हैं। वह 2010-2019 के दौरान विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के उप निदेशक थे।)

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