न्यायपालिका में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज एस. एन. शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने की इजाजत सीबीआई को दी। हाई कोर्ट के जज एस. एन. शुक्ला के खिलाफ एक निजी मेडिकल कालेज में अवैध रूप से फायदा पहुंचाने का आरोप है।
यह पहला मौका है जब हाई कोर्ट के किसी पीठासीन न्यायाधीश के खिलाफ इस तरह से सीबीआई को मामला दर्ज करके जांच करने की अनुमति दी गई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को एक पत्र लिखकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा है, जिस पर 2017 में मानकों को ना पूरा करने की वजह से प्रतिबंध लग गया था। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई के मानकों और सुविधाओं की कमी पाई थी। इसके बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट प्रशासन इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया। मामले की सुनवाई करते हुए एस.एन. शुक्ला ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था।
सीबीआई ने अपने पत्र में लिखा था कि न्यायमूर्ति शुक्ला के कथित भ्रष्टाचार का सबूत पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के संज्ञान में लाया गया था और उनकी सलाह पर जज और कुछ अन्य के खिलाफ प्रारंभिक मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई ने पत्र में चीफ जस्टिस को अपनी प्रारंभिक जांच के बारे में संक्षिप्त नोट सहित पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई द्वारा पेश पत्र और तथ्यों का संज्ञान लेते हुए जांच ब्यूरो को इसकी अनुमति प्रदान की। चीफ जस्टिस ने लिखा, “मैंने इस विषय में आपके पत्र के साथ लगे अनुलग्नकों पर विचार किया। इस मामले के तथ्यों और परस्थितियों को देखते हुए मैं जांच के लिये नियमित मामला दर्ज करने की अनुमति देता हूं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए कई महीने पहले ही न्यायमूर्ति शुक्ला से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था।