मुजफ्फरपुर में संदिग्ध बीमारी से 25 बच्चों की मौत, प्रदेश सरकार ने कहा- बच्चों को धूप से बचाएं
बिहार सरकार ने आमजन को सन्देश जारी करते हुए बच्चों को तेज धूप से बचने की सलाह दी है, बुखार की शिकायत होते ही तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भेजने की अपील की है
गाँव कनेक्शन 10 Jun 2019 9:01 AM GMT

मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में संदिग्ध बीमारी की वजह से अब तक 25 से ज्यादा बच्चों की माैत हो चुकी है। स्थानीय मीडिया के अनुसार बच्चों की माैत एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) से हुई है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 40 से अधिक बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं जिनका इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है। एईएस के वायरस की तलाश के लिए अमेरिका भी टीम आई थी लेकिन उनके रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है।
प्रदेश सरकार ने अपने बयान में कहा है कि राज्य में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम( एईएस) एवं जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) के बढ़ते मरीजों को देखते हुए राज्य सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सेवा बहाल करने की दिशा में कदम उठाये हैं। बिहार में मस्तिष्क ज्वर (एईएस) का मुख्य केंद्र मुजफ्फरपुर एवं जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) का मुख्य केंद्र गया है। इन दोनों रोगों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने विशेष कार्य योजना बना कर इसे चिन्हित जिलों में कार्यान्वित करने पर बल दे रही है।
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मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल साहनी ने बताया, " गर्मी के मौसम में एईएस तेजी से फैलता है। एईएस मच्छर के काटने से होता है। एईएस के मरीजों की पहचान का सबसे आसान तरीका है कि इसमें मरीज को काफी तेज बुखार आता है। ऐसे लक्षण दिखने पर बिना देर किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कई बार बच्चे तेज बुखार के कारण बेहोश भी हो जाते हैं। वहीं, उल्टी भी करने लगते हैं। समय पर इलाज नहीं होने पर बच्चे की मौत भी हो सकती है।"
Health Department, Govt of Bihar
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) June 10, 2019
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🏨 #BiharHealthDept #AES
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एसकेएमसीएच के सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया," बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए टीम का गठन किया गया है। अस्पताल आने वाले अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया (अचानक से शुगर की कमी) के लक्षण मिल रहे हैं। जांच रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हो रही है। नेपाल के तराई में आने वाले उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढी व वैशाली में बीमारी का प्रभाव दिखता है। इंसेफलाइटिस बुखार से पीड़ित बच्चों को एईएस मान कर लक्षण के आधार पर इलाज किया जा रहा है।"
तेज धूप एवं डिहाइड्रेशन से बचने की सलाह
राज्य सरकार ने आमजन को सन्देश जारी करते हुए बच्चों को तेज धूप से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इससे ही डिहाइड्रेशन की शिकायत होती है एवं बच्चों में भूख की कमी के साथ शरीर में पानी भी कम जाता है जिससे हाइपोगलाइसिमिया उत्पन्न होता है। इससे बचने के लिए बच्चों को खाली पेट रात में नहीं सोने देने, सोने के समय नींबू पानी, शक्कर अथवा ओआरएस का घोल पिलाने के संबंध में हिदायत दी गयी है। इसके अतिरिक्त चमकी बुखार की शिकायत होते ही तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भेजने के लिए भी गुजारिश की गयी है। इसके लिए 102 निःशुल्क एम्बुलेंस से मरीज को स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजने की भी सुविधा बहाल की गयी है।
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Bihar Health Minister Shri Mangal Pandey calls on @drharshvardhan.
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) June 9, 2019
They discuss various health schemes and #AES/#JE cases in #Bihar.@PMOIndia@PIB_India@MIB_India https://t.co/5FqXIJREEk
एईएस के वायरस की तलाश सीडीसी अमेरिका की टीम नहीं कर पाई। टीम की रिपोर्ट में बीमारी के वायरस का पता नहीं चला। पीड़ित बच्चों के खून का नमूना संग्रह कर जांच हुई। एनआईसीडी दिल्ली की टीम ने जेई, नीपा, इंटेरो वायरस, चांदीपुरा व वेस्टनील वायरस पर शोध किया। लेकिन, किसी बच्चे में यह लक्षण नहीं मिले।
दूसरी तरफ़ इस वर्ष अभी तक एईएस के 4 केस एवं जेई के 8 केस है एवं इससे कोई भी मौत की पुष्टि नहीं हुई है। हाइपोग्लाइसीमिया से होने वाली मौतों का कारण प्रभावित क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी, आद्रता एवं बारिश का नहीं होना है। मुज्ज़फरपुर जिले में तापमान एवं आद्रता के बढ़ने के साथ ही मस्तिष्क ज्वर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलती है जो बरसात होते ही लगभग समाप्त हो जाती है। जबकि गया में जेई के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी बरसात के बाद होती है जो जाड़े की शुरुआत पर लगभग ख़त्म हो जाती है।
वर्ष 2019 में सर्वाधिक मौत हाइपोग्लाइसीमिया से
वर्ष 2018 में जहां एईएस के 10 केस, हाइपोग्लाइसीमिया के 2 केस, जेई के 8 केस, एसीपीटीक मेनजाईटीस के 9 केस एवं हर्पिस इन्सेफलाइटिस 3 केस एवं पाईगीनिक मेनजाइटीस 3 केस थे जिसमें एईएस से 3, पाइगीनिक मेनजाइटीस से 1, जेई से 2 एवं हर्पिस इन्सेफलाइटिस से 1 मौत हुई थी। वहीं वर्ष 2019 में हाइपोग्लाइसीमिया के सर्वाधिक 34 केस सामने आया है, जिसमें 10 की मौत भी हुई है।
(गांव कनेक्शन के कम्युनिटी जर्नलिस्ट से मिले इनपुट के आधार पर)
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