देश और दुनिया में तेजी से फैल रही कोरोना का प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता पर पड़ रहा है। कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए देश की अधिकतर आर्थिक गतिविधियां ठप हैं और शेयर बाजार तेजी से लुढ़क रहा है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार शेयर बाजार के नीचे जाने से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) कर्मचारियों के भविष्य निधि (ईपीएफ) पर तय सालाना ब्याज दर में कटौती कर सकती है। रिपोर्ट के अनुसार इससे 6 करोड़ कर्मचारियों को झटका लगेगा, जो ईपीएफओ में पंजीकृत हैं। हालांकि ईपीएफओ ने यह रिपोर्ट आने के बाद ऐसे किसी भी संभावना से इनकार किया है। ईपीएफओ ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 8.50 फीसदी ब्याज दर देने की घोषणा हुई थी, जो आगे भी रहेगी। ईपीएफओ में निजी और सरकारी क्षेत्र के 6 करोड़ से अधिक कर्मचारी पंजीकृत हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ईपीएफओ का करीब 95,000 करोड़ रुपये का निवेश शेयर बाजार में फंसा हुआ है। कोरोना के चलते शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई है। 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कोरोना वायरस से फैल रहे बीमारी कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था। लेकिन ईपीएफओ इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाया और अपना निवेश उन्होंने शेयर बाजार से 11 मार्च के पहले नहीं निकाले।
उसके बाद शेयर बाजार इतनी तेजी से गिरा कि ईपीएफओ को फिर मौका ही नहीं मिला। ईपीएफओ 2015 से शेयर बाजार में निवेश कर रहा है। ईपीएफओ ने शुरुआत में अपने फंड का 5 फीसदी शेयर बाजार में लगाया था। मई, 2017 में इसे बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया था।
इससे पहले 5 मार्च को ही सरकार ने ईपीएफओ के केंद्रीय निदेशक मंडल (सीबीटी) के आग्रह के बाद ब्याज दर को 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी किया था। 5 मार्च को जब यह फैसला हुआ था तब बीएसई सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (निफ्टी) निफ्टी 0.16 फीसदी बढ़कर क्रमशः 38,471 अंक और 11,269 अंक पर बंद हुआ था। लेकिन 6 मार्च से इसमें गिरावट आना शुरू हुआ और 19 मार्च तक आते-आते यह 24 फीसदी तक गिर गया। गुरुवार को सेंसेक्स 2.01% गिरकर 28,288 अंक पर और निफ्टी 2.42% घटकर 8,263 अंक पर बंद हुआ।
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