भारतीय कपास संघ ने अनुमान जताया है कि पिछले साल अक्टूबर से शुरू हो चुके सीजन में कपास का निर्यात 20 फीसदी तक बढ़कर 60 लाख गांठ हो सकता है।
भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि वर्ष 2019-20 के सत्र में देश से कुल 50 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बढ़ने से भारतीय कपास का निर्यात 20 फीसदी तक बढ़कर 60 लाख गांठ तक हो सकता है।
विज्ञप्ति में सीआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया कि भारतीय कपास की तुलना में अंतरराष्ट्रीय कीमतें ज्यादा हैं। ऐसे में उम्मीद है कि चालू सत्र में कपास का निर्यात 50 लाख गांठ से बढ़कर 60 लाख गांठ तक पहुंच जाएगा। एक महीने पहले, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कपास के बीच औसत मूल्य अंतर 10 से 13 सेन्ट के बीच था, जो अब लगभग 4 से 5 सेन्ट के आसपास है।”
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पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने वस्त्र उद्योग को सुचारू रूप से चलाने के लिए 30 जून तक सूती धागे के आयात पर सीमा शुल्क हटाने को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान का कपड़ा निर्यात क्षेत्र लगातार ड्यूटी फ्री कपास की मांग कर रहा है और ड्यूटी फ्री कपास उसे भारत से ही सस्ता मिल सकता है।
कपास का उत्पादन 358 लाख गांठ तक होने का अनुमान
एक अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू सत्र में देश में कपास का उत्पादन 358.50 लाख गांठ होने का अनुमान है। यह शुरुआती अनुमान से 2.50 लाख गांठ ज्यादा है। सीएआई के अनुसार राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश में कपास के आरंभिक उत्पादन अनुमान में 2-2 लाख गांठ की बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जबकि मध्य प्रदेश में एक लाख गांठ, कर्नाटक में 1.50 लाख गांठ और ओडिशा में एक लाख गांठ की कमी आने का अनुमान है।
इससे पहले सीएआई ने 356 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान लगाया था, हालांकि यह पिछले साल (2019-20) के उत्पादन 360 लाख गांठ की अपेक्षा कम है। एक गांठ में 170 किलोग्राम कपास होता है।