देश भर में बाढ़ से दर्जन भर राज्य प्रभावित, 400 से ऊपर की मौत

साल 2019 में बाढ़ से देश भर के एक दर्जन से अधिक राज्य प्रभावित हैं। इस साल बाढ़ से मरने वालों की संख्या 400 से ऊपर पहुंच गई है। आईआईटी गांधीनगर के एक नए रिसर्च के अनुसार देश में बाढ़ का खतरा हर साल लगातार ही बढ़ेगा।

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देश भर में बाढ़ से दर्जन भर राज्य प्रभावित, 400 से ऊपर की मौत

बंगाल और असम में तबाही मचाने के बाद बाढ़ का प्रकोप अब दक्षिण भारत के राज्यों में फैल गया है। जहां जुलाई के शुरूआती दिनों में बाढ़ ने बिहार और असम में तबाही मचाई थी, वहीं जुलाई के अंतिम और अगस्त के शुरूआती दिनों में बाढ़ ने महाराष्ट्र और गुजरात में तबाही मचाई। अब देश के दक्षिणी राज्यों केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में बाढ़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। इस साल की बाढ़ में अब तक 400 से ऊपर लोग अपनी जान गंवा चुके हैं वहीं लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।

फिलहाल केरल और कर्नाटक की स्थिति बहुत खराब हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार केरल में बाढ़ से अब तक 95 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कर्नाटक में 58 लोगों की मौत हुई है। वहीं गुजरात में 19 और तमिलनाडु में 5 की मौत हुई है। असम में मौतों का अधिकारिक आंकड़ा 86 जबकि बिहार में 130 तक पहुंच गया है। वहीं उत्तर प्रदेश के भी अलग-अलग इलाकों से पांच लोगों के मरने की खबर है। मध्य प्रदेश में भी 32 लोगों की मरने की खबर है।

केरल में सबसे अधिक 35 लोग मलप्पुरम में और 12 लोग वायनाड में मारे गए हैं। बाढ़ और भूस्खलन की वजह से राज्य के 1.89 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। इन्हें राज्य के 1,118 राहत शिविरों में जगह दी गई है। केरल के मौसम विभाग ने राज्य के छह जिलों मलप्पुरम, कन्नूर, कोझिकोड एर्नाकुलम, इडुक्की और अलप्पुझा में रेड अलर्ट जारी करते हुए भारी बारिश का अनुमान जताया। तिरुवनंतपुरम में भारत मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक के. संतोष ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव क्षेत्र मजबूत होने से राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान है।


कर्नाटक की स्थिति में थोड़ा सुधार

कर्नाटक में पिछले कुछ दिन से जारी बारिश और बाढ़ के कारण प्रभावित इलाके से पानी घटने के बाद अब हालात में सुधार हो रहा है। राज्य में बाढ़ से मरने वाले लोगों की संख्या 58 हो गई है जबकि छह लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। राज्य के उत्तरी तटीय और मलनाड के 21 जिलों में राहत और पुनर्वास अभियान जोरों से चलाया जा रहा है। इन इलाकों में 1151 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।

पिछले एक सप्ताह से इन इलाकों में बारिश के कारण स्थिति बदहाल थी। राज्य सरकार की ओर से जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार जलाशयों में जलस्तर अब धीरे-धीरे घट रहा है। कुछ स्थानों पर लोगों के लापता होने और फंसने के बाद खोज और बचाव अभियान चलाया गया। बताया गया है कि राज्य में 15 लोग लापता हैं।

मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने मंगलवार को अपने गृह जिले शिवमोगा में बाढ़ प्रभावित इलाकों में का दौरा किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार वर्षा और बाढ़ प्रभावित लोगों को हर तरह की राहत और सहायता देने के प्रति कटिबद्ध है। राहत अभियान पूरे जोर-शोर से जारी है और वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। राज्य सरकार ने इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह को सादे तरीके से मनाने का फैसला किया है क्योंकि राज्य के अधिकतर हिस्से बाढ़ और लगातार बारिश से प्रभावित हैं। कर्नाटक कांग्रेस ने केंद्र सरकार से अंतरिम राहत के तौर तुरंत 5000 करोड़ रुपये जारी करने का अनुरोध किया।


महाराष्ट्र में पानी घटने के बाद राहत कार्यों में आई तेजी

महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित जिलों कोल्हापुर और सांगली में पानी घटने के बाद राहत कार्यों में तेजी आई है। बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। पानी घटने के बाद अब प्रशासन का जोर प्रभावित लोगों को आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करने पर है। पर्यावरणविद माधव गडगिल का मानना है कि पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिलों में आई भयावह बाढ़ का अहम कारण बांधों का कुप्रबंधन है। उन्होंने कहा कि कोयना, वरना, राधानगरी और कर्नाटक स्थित अलमाटी बांध से रक्षात्मक उपाय के तहत ही पानी छोड़ा जाना चाहिए था।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुलह्ण (एसएएनडीआरपी) ने अपने एक रिपोर्ट में में कहा था कि कृष्णा नदी पर बने अलमाटी बांध की कोल्हापुर और सांगली में आई बाढ़ में अहम भूमिका थी। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के अंत में 99.5 फीसदी जलाशय भर चुका था, जबकि मानसून के दो महीने बाकी थे। जलाशय की क्षमता 119.26 टीएमसी है, जबकि 3,045 फुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) की दर से पानी छोड़ा गया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह जलाशय प्रबंधन के लिए नर्धिारित नियमों का घोर उल्लंघन है।



ओडिशा के कई जिलों में रेड अलर्ट

भारत का पूर्वी राज्य ओडिशा अभी तक बाढ़ से बचा हुआ था। लेकिन पिछले सप्ताह से हो रही लगतार भारी बारिश की वजह से राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। राज्य का बौध, बोलनगीर, कालाहांडी, कंधमाल और सोनपुर जिला बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है। कुछ जगहों पर रेल पटरी पर पानी भर जाने के कारण राज्य के कई हिस्सों में ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।

मध्य प्रदेश में भी बढ़ा बाढ़ का खतरा, अब तक 32 की मौत

मध्य प्रदेश में भी बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है। राज्य की नर्मदा, चंबल, ताप्ती, पार्वती, क्षिप्रा और बलवंती नदियां उफान पर हैं और खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। राज्य में बाढ़ से अब तक 32 लोगों की मौत हो गई है। बारवानी जिले में सरदार सरोवर डैम के आस-पास रहने वाले 10 गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसी तरह झाबुआ जिले में भी अनस और सुक्काड़ नदियों के आस-पास रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर विस्थापित किया गया है। मध्य प्रदेश राज्य के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बाढ़ प्रभावित कुछ क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और राहत कार्यों का जायजा लिया।

देश में बाढ़ का खतरा हर साल बढ़ता जाएगा: शोध


गांधीनगर आईआईटी के एक नए शोध के अनुसार देश में बाढ़ अब एक नई सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। आईआईटी गांधीनगर के वैज्ञानिकों हैदर अली, पार्थ मोदी और विमल मिश्रा के इस शोध के अनुसार देश में बाढ़ का खतरा साल दर साल बढ़ता जा रहा है और आगे भी बढ़ता जाएगा। उन्होंने क्लाइमेट चेंज को इस नए संभावित खतरे का प्रमुख कारण माना है।

शोध के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। तापमान बढ़ने से बारिश की मात्रा भी बढ़ी है। इस वजह से देश में बाढ़ का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें- किसानों के लिए त्रासदी बनी बाढ़, हर साल 1679 करोड़ रुपए की फसल हो रही बर्बाद


(न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

       

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