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किसान आंदोलन: सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवे दौर की वार्ता शनिवार को, 500 किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान

सिंघु बॉर्डर पर हुए देश के 500 किसान संगठनो की 'किसान संयुक्त मोर्चा' की राष्ट्रीय बैठक में किसान नेताओं ने प्रस्ताव पारित किया गया कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा सरकार से कोई भी समझौता नही होगा। इसी क्रम में पांच दिसंबर को सरकार का पुतला जलाया जाएगा जबकि आठ दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा।
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कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। देश भर के 500 किसान संगठनो की ‘किसान संयुक्त मोर्चा’ की सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। इस दिन किसान संगठन पूरे भारत में चक्का जाम करेंगे और सभी टोल प्लाजा भी बंद करवाएंगे। इस बीच 5 दिसंबर, शनिवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच पांचवी दौर की वार्ता होगी।

जहां एक तरफ किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने के अलावा किसी भी विकल्प को नकार रहे हैं, वहीं सरकार ने उम्मीद जताया है कि 5 दिसंबर की बैठक में कोई ना कोई ठोस नतीजा जरूर निकलेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने न्यूज 18 चैनल से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 5 दिसंबर की बैठक में कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा।

उन्होंने कहा कि अगर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सुनिश्चित करने के लिए लिखित आश्वासन या कानून मान रहे हैं तो सरकार उसके लिए भी तैयार है। इसके अलावा सरकार मंडी व्यवस्था (APMC) को भी सुदृढ़ करने के लिए कदम उठाएगी। उन्होंने कहा किसानों को लगता है कि पराली जलाने के संबंध में सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश काफी कठोर है, तो उसमें भी संशोधन किया जाएगा। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों को वापस लेने की किसी भी संभावना से इनकार किया, वहीं किसान नेता बिना कृषि कानूनों की वापसी के मानने को तैयार नहीं हैं।

सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक के बाद मोर्चा के सदस्य व किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों में बिजली व पराली को लेकर किए गए प्रावधानों को वापस लेने व न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने पर करीब-करीब सहमति दे दी है। लेकिन हम किसानों की मांग है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन कृषि कानूनों को वापस ले। इससे कम पर किसी भी सूरत में किसान मानने वाले नहीं हैं।

अगर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो किसान पूरे देश भर में चक्का जाम और भारत बंद करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके भारत बंद को देश भर के मजदूर संगठनों का भी समर्थन मिला है। इसके पहले पांच दिसंबर को किसान देशभर में मोदी सरकार व कॉरपोरेट घरानों का पुलता फूंकेंगे। वहीं सात दिसंबर को जिन लोगों को केंद्र सरकार से पुरस्कार मिले हैं, वे उसे वापस कर आंदोलन का समर्थन करेंगे।  

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