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पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट का मिला फोटोग्राफिक प्रमाण, प्राकृतिक आवास की हुई पुष्टि

बड़ी बिल्ली यानी बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में फिशिंग कैट ( मछली खाने वाली बिल्ली ) भी पाई जाती है। तेजी से विलुप्त हो रही इस दुर्लभ बिल्ली का प्राकृतिक आवास यहाँ पर है, जिसकी फोटो पन्ना टाइगर रिज़र्व द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में कैद हुई है।
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पन्ना (मध्यप्रदेश)। पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी के आसपास विलुप्त हो रही फिशिंग कैट का प्राकृतिक आवास है। मछली खाने वाली यह दुर्लभ बिल्ली पहली बार यहां कैमरा ट्रैप में कैद हुई है। पन्ना टाइगर रिजर्व के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 13 अगस्त को फिशिंग कैट की फोटो जारी की गई है। जिसमें लिखा गया है “पन्ना टाइगर रिजर्व के सिर में एक और ताज” पहली बार पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट की फोटो मिली, जो खुशी की बात है।

फिसिंग कैट यानी मछली का शिकार करने वाली बिल्ली, जिसकी तादाद तेजी से घट रही है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत फिशिंग कैट का शिकार किया जाना प्रतिबंधित है। फिशिंग कैट को लुप्तप्राय श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।

पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट का फोटोग्राफिक प्रमाण मिलने पर खुशी का इजहार करते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “निश्चित ही यह अच्छी खबर है। मध्य भारत के पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की पुष्टि अपने आप में बड़ी बात है।”

क्षेत्र संचालक शर्मा ने कहा कि तेजी से विलुप्त हो रही फिशिंग कैट की पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदगी के प्रमाण मिलने पर अब अनेकों जीव विज्ञानी जो फिशिंग कैट पर रिसर्च व अध्ययन में रुचि रखते हैं, वे यहां आकर अध्ययन कर सकेंगे।

उन्होंने आगे बताया, “पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में वन्य प्राणियों के विचरण क्षेत्र व उनकी मौजूदगी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कैमरे लगाए गए हैं। हमारा प्रयास है कि पार्क के उन इलाकों को भी कवर किया जाए, जहां अभी तक कैमरे नहीं लगाए जा सके।”

पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच से केन नदी बहती है इसलिए फिशिंग कैट के यहां होने की संभावना जताई जा रही थी। आर्द्रभूमि में रहने वाली इस बिल्ली का मुख्य भोजन मछली होता है, इसीलिए इसका नाम फिशिंग कैट पड़ा है।

पूरे मध्य भारत में यह पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य

संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि ऑल इंडिया टाइगर सेंसस के दौरान डब्ल्यू आईआई व पीटीआर द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में 11 जनवरी 2019 को फिशिंग कैट की फोटो कैप्चर हुई थी।

शर्मा से यह पूछे जाने पर कि 2 वर्ष से भी अधिक का समय गुजर जाने के बाद 13 अगस्त 2021 को यह महत्वपूर्ण फोटो उजागर की गई इसकी वजह क्या है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया, “टाईगर सेंसस में सैकड़ों कैमरे लगते हैं, जिनमें विभिन्न वन्य प्राणियों की हजारों फोटो कैप्चर होती हैं। कैमरों में कैप्चर हुई सभी तस्वीरों को एनालाइज (छांटने) करने में काफी वक्त लगता है। कौन सी फोटो किस वन्य प्राणी व प्रजाति की है, इसकी पुष्टि होने पर ही अधिकृत रूप से जानकारी प्रसारित की जाती है।”

क्षेत्र संचालक ने बताया कि पूरे मध्यप्रदेश में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास व मौजूदगी के चूंकि कोई प्रमाण नहीं थे, इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व में कैद हुई फोटो का गहन परीक्षण किया जाना जरूरी था। छानबीन के उपरांत ही यह घोषणा की गई। आपने बताया कि वर्ष 2013-14 में फिशिंग कैट का फोटोग्राफिक प्रमाण रणथंभौर में दर्ज हुआ था। मध्य भारत में पहली बार पन्ना टाइगर रिजर्व में इसकी मौजूदगी का साक्ष्य मिला है, जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

पहले भी मिल चुकी है ये खास बिल्ली

पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य से तकरीबन 55 किलोमीटर तक प्रवाहित होने वाली के नदी के आसपास फिशिंग कैट की मौजूदगी के संकेत पूर्व में भी मिले हैं। लेकिन फोटोग्राफिक प्रमाण पहली बार मिला है।

मध्य प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य व वन्यजीव प्रेमी श्यामेन्द्र सिंह (बिन्नी राजा) ने बताया, “कई साल पहले उन्होंने केन नदी के किनारे पीपरटोला के ग्रास लैंड में काफी दूर से फिशिंग कैट को देखा था। लेकिन इसकी फोटो नहीं ले पाए थे। अब चूंकि कैमरा ट्रैप से इसकी फोटो ली जा चुकी है, इसलिए पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की पुष्टि हो गई है।”

उन्होंने आगे बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में मगरा डबरी से लेकर पीपरटोला तक का इलाका फिशिंग कैट के लिए अनुकूल है। यहां केन में जहां पर्याप्त मछलियां हैं, वहीं यहां की आबोहवा और वातावरण भी मछली खाने वाली बिल्ली के अनुकूल है।

सिंह ने बताया कि फिशिंग कैट शारीरिक रूप से सामान्य घरेलू बिल्लियों की तुलना में दोगुनी आकार की होती है।

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