किसान आंदोलन: सरकार कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार, किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े

सरकार और किसानों के बीच चौथी दौर की वार्ता भी बेनतीजा। सरकार ने माना कानूनों में कुछ कमी, संशोधन को तैयार, 5 दिसंबर को अगली बैठक।
#farmer protest

नई दिल्ली: कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच चौथी दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। 6 घंटे तक चली इस मैराथन बैठक में सरकार ने माना कि इन कृषि कानूनों में कुछ कमी है और इसमें वे संशोधन को तैयार हैं। लेकिन किसान नेता इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद अगली दौर की बातचीत का दिन 5 दिसंबर को रखा गया।

बैठक से निकलने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार किसानों के हितों के प्रति हमेशा से गंभीर रही है। किसान नेताओं से बातचीत में हमें कृषि कानूनों के कुछ बिंदुओं में कुछ कमियां दिखी हैं, जिसमें हम संशोधन को तैयार हैं। हम मंडी व्यवस्था को भी मजबूत करेंगे और न्यूनतम साझा मूल्य (एमएसपी) से भी कोई समझौता नहीं होगा।

वहीं वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि किसानों से बातचीत में हमने कुछ बिंदु तैयार किए हैं, जिस पर चर्चा 5 दिसंबर को होने वाली बैठक में विमर्श किया जाएगा और हमें उम्मीद है कि उस दिन किसान अपना आंदोलन भी वापस ले लेंगे।

वहीं पंजाब के आजाद किसान संघर्ष कमेटी के किसान नेता हरजिंदर सिंह टांडा ने कहा कि आज पहले दौर की बैठक के बाद ऐसा लगा था कि बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलेगा, लेकिन लंच के बाद दूसरे दौर में सरकार ने संशोधन करने की बात मानी। किसानों ने सड़कों पर जो यह आंदोलन किया है उससे सरकार दबाव में अब दिख रही है। 5 तारीख की बैठक से पहले हम किसान नेता 4 दिसंबर को एक बार फिर बैठक करेंगे और 5 दिसंबर की बैठक के लिए अपनी रणनीति तय करेंगे। संशोधन की बात पूछने पर उन्होंने कहा कि हम कानूनों को वापस कराने के लिए आंदोलनरत हैं, उसमें संशोधन के लिए नहीं, इसलिए बिना कानून वापसी के हम लोग सड़कों से नहीं हटेंगे। 

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने भी यही बात कही और कहा कि सरकार ने आज माना कि कानूनों में कुछ बड़ी कमियां हैं। यह एक बड़ी प्रगति है। इससे पहले वार्ता के पहले चरण में किसान नेताओं ने सरकार के द्वारा व्यवस्था किए गए भोजन और चाय को लेने से इनकार कर दिया। किसान नेता अपने लिए खाना और चाय-पानी की व्यवस्था करके आए थे। किसान नेताओं ने कहा कि वो वार्ता के लिए आते हैं खाना खाने नहीं।

बीते 26 नवंबर से जारी किसान आंदोलन के बीच किसान नेताओं और सरकार में लगातार वार्ता चल रही है। सरकार की तरफ से यह पूरी कोशिश है कि यह गतिरोध जल्द से जल्द खत्म किया जाए, हालांकि सरकार इन कानूनों को वापस लेने की मंशा में नहीं दिख रही है। वहीं किसान नेता लगातार इन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की निश्चितता के लिए एक कठोर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इसके बिना वे सड़कों से वापस नहीं हटेंगे। किसान नेता तीन कृषि बिलों समेत कुल आठ मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, जिसमें कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी प्रमुख मुद्दा है।

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन पंजाबी अस्मिता का भी प्रतीक, लेकिन किसानों का संदेश: ‘किसान का कोई धर्म नहीं होता, किसानी खुद ही एक धर्म’

Recent Posts



More Posts

popular Posts