केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की। राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। गृह मंत्री ने अपने प्रस्ताव में कहा कि लद्दाख में विधानसभा नहीं रहेगी, जबकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनेगा।
गृह मंत्री अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। इस बयान में यह भी कहा गया कि जम्मू कश्मीर में लंबे समय से अलगगाववादी और आतंकवादी गतिविधियां चली आ रही हैं। इसलिए जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी।
जानिए क्या होते हैं केंद्र शासित प्रदेश के अधिकार?
केंद्र शासित प्रदेशों के पास पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि संबंधी अधिकार नहीं होते हैं और ना ही वह इनसे जुड़े कानून बना सकती है। ये तीनों अधिकार केंद्र सरकार के पास होते हैं। इन राज्यों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल नियुक्त होते हैं। दिल्ली, पुद्दुचेरी और अंडमान-निकोबार जैसे कुछ केंद्र शासित राज्यों में विधानसभा हैं और यहां पर जनता मुख्यमंत्री को चुनकर भेजती हो।
भारत सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, वहीं लद्दाख में विधानसभा नहीं होगा। संविधान के अनुच्छेद 240 के अनुसार यहां के कार्यों को कराने का अधिकार सीधे राष्ट्रपति के हाथ में होता है।