कर्नाटकः खाने में लहसुन-प्याज ना होने के कारण मिड डे मील से दूर भाग रहे छात्र

इस्कॉन से जुड़ी संस्था एपीएफ का मानना है कि लहसुन और प्याज में 'तामसिक गुण' होते हैं जिसकी वजह से बच्चों की चेतना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कर्नाटकः खाने में लहसुन-प्याज ना होने के कारण मिड डे मील से दूर भाग रहे छात्र

लखनऊ। सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए मिड डे मील बनाने वाली संस्था अक्षय पात्र फॉउंडेशन (एपीएफ) कर्नाटक के स्कूलों के मिड डे मील में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं कर रही है। इसकी वजह से खाने का स्वाद बिगड़ रहा है और बच्चे खाने को लेकर अनिच्छुक हो रहे हैं। अक्षय पात्र फॉउंडेशन 12 राज्यों में प्रतिदिन 18 लाख बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराता है। इसमें से लगभग 4.43 लाख विद्यार्थी सिर्फ कर्नाटक के हैं।

अंग्रेजी अखबार दि हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय पात्र फॉउंडेशन भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग धार्मिक कारणों से नहीं कर रही है। इस्कॉन से जुड़ी संस्था एपीएफ का मानना है कि लहसुन और प्याज में 'तामसिक गुण' होते हैं जिसकी वजह से बच्चों की चेतना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दि हिन्दू के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी वजह से छात्र दोपहर का भोजन लेने में अनिच्छा जता रहे हैं। कई बच्चे पेट भर खाना नही खाते तो कई बच्चे दोपहर का भोजन करने के लिए घर चले जाते हैं। जबकि कर्नाटक के मुख्य भोजन 'सांभर' में लहसुन और प्याज का प्रयोग अपरिहार्य होता है।

इससे पहले कर्नाटक राज्य फूड कमीशन (केएसएफसी) ने भी एक सर्वे किया था जिसमें उसने एपीएफ द्वारा बच्चों को परोसे जा रहे खाने को नीरस और अस्वादिष्ट बताया था। इस रिपोर्ट में यह भी लिखा था कि खाने के नीरस होने की वजह से बच्चे इससे दूर भाग रहे हैं और भर पेट खाना नहीं खा रहे, जो कि मिड डे मील का प्रमुख उद्देश्य है।


केएसएफसी के इस रिपोर्ट के बाद कर्नाटक के सिविल सोसायटी के लोगों और कई संगठनों ने एपीएफ का विरोध किया। इन संगठनों का कहना था कि एपीएफ का खाना एमडीएम के मानकों को भी पूरा नहीं करता। इसके अलावा धार्मिक आधार पर प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं करना भी मानदंडों के अनुरूप नहीं है। इस्कॉन द्वारा संचालित यह संस्था मिड डे मील में छात्रों को अंडा भी नहीं देती है, जो कि मानकों के विपरीत है।

14 मई को 10 संगठनों और 100 व्यक्तिओं ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) को चिट्ठी लिखकर अक्षय पात्र फॉउंडेशन के मिड डे मिल लाइसेंस को निरस्त करने की मांग की थी। जन स्वास्थ्य अभियान नामक संस्था एपीएफ के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार ने भी यह मांग एनआईएन और सेंट्रल फूड टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई) से की थी।


हालांकि एनआईएन ने यह कहते हुए लाइसेंस निरस्त करने से मना कर दिया था कि एपीएफ के खाने में आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हैं। यह भोजन मिड डे मील के आवश्यक मानकों को भी पूरा करता है। वहीं अक्षय पात्र फॉउंडेशन का कहना है कि जो भोजन उनके द्वारा छात्रों को दिया जा रहा है, वह पूरी तरह से स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक है। इसके अलावा यह भोजन एनआईएन द्वारा बताए गए पौष्टिकता की मानकों को पूर्ति करता है।


   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.