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Ground Report: मध्य महाराष्ट्र में बाढ़ से बिगड़े हालात, कोल्हापुर, सांगली, सिंधुदुर्ग और नासिक जिलों में भारी बारिश ने मचाई तबाही

पिछले एक हफ्ते में भारी बारिश की वजह से मध्य महाराष्ट्र की नदियां उफान पर हैं। अगले कुछ दिनों में भी बारिश थमने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का अंदाजा नहीं था कि ऐसे अचानक से बाढ़ आ जाएगी। सरकार भी बाढ़ के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए वह इससे बचने के लिए तैयारियां नहीं कर सकी। लेकिन अब यही बाढ़ लोगों के लिए प्रलयकारी साबित हो रही है।
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कोल्हापुर/मुंबई: 6 अगस्त की रात बालासाहेब पाटिल कोल्हापुर के अपने घर में ही थे कि अचानक से उनके घर में बारिश का पानी घुसने लगा। चूंकि कोल्हापुर में कई दिनों से बारिश हो रही थी इसलिए उन्होंने अपने कई जरूरी सामानों को सुरक्षित ऊपर रख दिया था।

उस रात को याद करते हुए बालासाहेब बताते हैं, “भारी बारिश की वजह से कई दिनों से जल-जमाव की स्थिति थी। लेकिन मैंने अंदाजा भी नहीं लगाया था कि पानी 9-10 फीट तक आ जाएगा और सभी चीजों को नष्ट कर देगा। मुझे तैरकर अपने घर से बाहर आना पड़ा। मैंने अपनी पत्नी को भी तैर कर बचाया।”

बालासाहब ने बताया कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी। पिछले दो दिनों से कोल्हापुर में बिजली और पानी की सप्लाई ठप है। रेल की पटरियों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी बाढ़ का पानी आ गया है। मध्य महाराष्ट्र के चार जिले कोल्हापुर, सांगली, सिंधुदुर्ग और नासिक डूब चुके हैं। इससे हजारों गांव और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। सांगली जिले में नाव पलट जाने से 12 लोगों की मौत हो गई।


बालासाहब ने बताया, “मैंने 1989 और 2005 की भी बाढ़ देखी है लेकिन ऐसा तबाही का मंजर कभी भी नहीं देखा। कोल्हापुर जिले के कई गांव मैरूंड हैं। वहां पर पानी 10 से 12 फीट ऊपर बह रहा है और तीन से चार हजार लोग बिना भोजन-पानी के इन गांवों में फंसे हुए हैं। यह एक बड़ी त्रासदी है, जिसका अंदाजा ना हमें और ना ही प्रशासन को था। हमारी धान, सोयाबीन और मूंगफली की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है।”

राज्य में बाढ़ के कारण ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को अपनी ‘महाजनादेश यात्रा’ रद्द करनी पड़ी। वह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने राहत-बचाव कार्यों के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मदद मांगी है। नौसेना की 5 टीमें राहत कार्यों में लगी हैं। उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से भी अपील की है कि वह अलमैटी डैम से पानी छोड़ने दे ताकि बाढ़ से कुछ राहत मिल सके। हालांकि उत्तरी कर्नाटक के भी कई इलाके बाढ़ से जूझ रहे हैं।

कोल्हापुर के निवासी और मराठी दैनिक समाचार पत्र ‘सकल’ के संपादक श्रीरंग गायकवाड़ शिकायत करते हैं, “पिछले छह दिनों से क्षेत्र में भारी बारिश हो रही है। इसलिए बाढ़ आना अवश्यंभावी था। यह अचानक से आई हुई बाढ़ नहीं है, इसलिए प्रशासन को इसकी तैयारी करनी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन इसके लिए कतई भी तैयार नहीं दिखा।”

“पूरा कोल्हापुर जिला आज बाढ़ से प्रभावित है। सांगली में भी तकरीबन यही स्थिति है। 2005 में भी बाढ़ आई थी लेकिन इस साल की बाढ़ उससे कहीं अधिक बड़ी, भयानक और प्रलयकारी है।”, श्रीरंग गायकवाड़ आगे बताते हैं।


कोल्हापुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग जिला भी बाढ़ की समस्या से जूझ रहा है। सिंधुदुर्ग के निवासी अर्जुन राणा गांव कनेक्शन को बताते हैं, “पिछले चार-पांच दिनों से हम बाढ़ से जूझ रहे हैं। लगातार बारिश भी हो रही है। प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी सहयोग हम तक नहीं पहुंचा है। स्थानीय लोग ही एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।”

अर्जुन राणा ने भी दुहराया कि 2005 में भी जिले में बाढ़ आई थी लेकिन इस साल की बाढ़ सबसे खतरनाक है। उन्होंने बताया कि जिले की सभी आठ तालुकाएं बाढ़ से त्रस्त हैं। मकान, खेत, तालाब और नदियां सभी जलमग्न हो चुके हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों को देखे तो पता चलता है कि महाराष्ट्र के कई जिले पिछले दो सप्ताह से भारी बारिश का सामना कर रहे हैं।


उदाहरण के लिए, 25 से 21 जुलाई के बीच कोल्हापुर जिले में सामान्य से 105 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। इसी तरह नासिक में सामान्य से 358 प्रतिशत अधिक बारिष हुई। वहीं सतारा और सांगली में सामान्य से क्रमशः 161 और 159 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।

जुलाई के अंतिम सप्ताह की ही तरह अगस्त के पहले सप्ताह में भी राज्य में भारी बारिश हुई, जिससे बाढ़ की संभावना बनी। छह से सात अगस्त के बीच 24 घंटों में कोल्हापुर जिले में सामान्य से 469 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। इसी दौरान सतारा और सांगली में भी सामान्य से क्रमशः 564 और 423 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।

1 एक जून से छह अगस्त, 2019 के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान कोल्हापुर में सामान्य से 56 प्रतिशत जबकि सिंधुदुर्ग में सामान्य से 31 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। इसी तरह पुणे, नासिक और सतारा में भी सामान्य से क्रमशः 134, 95 और 66 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

देश के 36 मौसम उपक्षेत्रों में मध्य महाराष्ट्र एकमात्र ऐसा उपक्षेत्र है, जहां पर सामान्य से ‘बहुत अधिक’ बारिश हुई है। वहीं महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। 6 अगस्त तक बीड, लातूर, परभणी और जालना जिलों में समान्य से क्रमशः 39, 29, 29 और 22 प्रतिशत कम बारिश हुई है।


आईआईटी मुंबई में क्लाइमेट स्टडीज विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीधर बालासुब्रमण्यम बताते हैं, “इंडियन ओसियन डायपोल (आईओडी) में लगातार सकारात्मक बढ़त बनी हुई है। इस वजह से अरब सागर लगातार तप रहा है और कोंकण के तटीय इलाकों में भारी मात्रा में बादल बन रहे हैं। लगातार चल रही हवाएं इन बादलों को कोंकण के तटीय इलाकों से पूर्व की तरफ ढकेल रही हैं।”

“इसके अलावा अल नीनो में आ रही गिरावट से भी बेहतर बारिश की संभावना बन रही है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में भी परिस्थितियां ऐसी बनी हैं जिससे अरब सागर के तटीय इलाकों में अच्छी-खासी बारिश हो।” बालासुब्रमण्यम आगे बताते हैं। वह कहते हैं कि 10 अगस्त के बाद ही महाराष्ट्र में बारिश की स्थिति थोड़ी सामान्य होने की संभावना है।     

अनुवाद- दया सागर 

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