घर वापसी की मांग कर रहे प्रवासी मजदूर अब सड़कों पर उतरने को मजबूर, पुलिस से झड़प

घर वापसी की मांग को लेकर मजदूरों के धैर्य का बांध टूटता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूरों के सड़क पर उतरने और घर वापसी के लिए हंगामा करने की खबरें आ रही है। इन मजदूरों पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस बल का भी इस्तेमाल कर रही है।
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शनिवार सुबह सूरत के प्रवासी मजदूरों ने एक बार फिर घर वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और घर वापसी के लिए प्रशासन से पास जारी करने और ट्रेन चलाने की मांग करने लगा। इसके बाद पुलिस और मजदूरों में झड़प भी हुई। मजदूरों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोलों का भी प्रयोग किया।

सूरत में मजदूरों के प्रदर्शन का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 4 मई, सोमवार को भी प्रवासी मजदूर घर वापसी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे। तब वरेली गांव में मजदूरों की भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया था और सूरत-कडोदरा रोड पर पार्क किए हुए वाहनों में भी तोड़फोड़ की थी। जवाब में पुलिस ने मजदूरों पर लाठी चार्ज किया और भीड़ को तीतर-बीतर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े थे।

मौके पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, “हाजिरा मोरा औधोगिक क्षेत्र के प्रवासी मजदूर वापसी पास की मांग को लेकर सड़कों पर उतरें, तो पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। लेकिन मजदूर सड़क से हटने को इनकार करने लगे और उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोलों का उपयोग मजदूरों को तितर-बितर करने में किया।”

सूरत पुलिस ने बताया कि हालात अब नियंत्रण में हैं और सड़कों को खाली करा लिया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि 40 प्रवासी मजदूरों को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया है। इनमें से अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा के हैं।

बलरामपुर, उत्तर प्रदेश के मजदूर राधेश्याम ने बताया, “हम लोग लगातार कई दिन से ट्रेन चलाने, वापसी पास देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। हमने पैदल भी निकलने की कोशिश की लेकिन हमें दाहोद चेकपोस्ट (मध्य प्रदेश-गुजरात बॉर्डर) से वापिस भेज दिया गया। पुलिस वाले भी हमसे बहुत बुरा बर्ताव करते हैं। इसलिए मजदूर हताश हैं और कुछ मजदूर सड़कों पर उतर रहे हैं।”

यह कहानी सूरत ही नहीं देश भर की है। घर वापसी की मांग को लेकर मजदूरों के धैर्य का बांध टूटता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूरों के सड़क पर उतरने और घर वापसी के लिए हंगामा करने की खबरें आ रही है।

गुजरात के अहमदाबाद में ही घर जाने के लिए मजबूर प्रवासी श्रमिक रविवार को सड़कों पर उतर आए। उन्हें सूचना दी गई थी घर वापसी के लिए उन्हें जिलाधिकारी कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन करना है, जिससे वहां हजारों मजदूरों की भीड़ लग गई और सोशल डिस्टेंसिंग के सारे मानक टूट गए। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया।

प्रवासी मजदूर सूर्य नारायण पांडेय फोन पर बताते हैं, “ट्रेनें चल रही हैं लेकिन किसके लिए चल रहीं हमें नहीं पता। हमें पहले फॉर्म भरने के लिए कलेक्ट्रेट ऑफिस बुलाया जाता है और फिर लाइन लगाने पर हम पर ही लाठियां भांजी जाती हैं। फिर आदेश दिया जाता है कि ‘आज फॉर्म नहीं भराएगा।’ ”

सूर्य नारायण ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन भी घर जाने का आवेदन किया है लेकिन उसका नंबर कब आएगा, ये नहीं पता। उन्होंने यह भी बताया कि कई दलाल सूरत और अहमदाबाद में टिकटों की दलाली भी करने लगे हैं, जो मजदूरों को 600 की ट्रेन टिकट 1000 रूपये में बेच रहे। हालांकि गांव कनेक्शन इसकी पुष्टि नहीं करता क्योंकि कोशिश करने पर भी किसी ऐसे दलाल से बात नहीं हो पाई।

हालांकि सूरत में ही शुक्रवार को एक प्रवासी मजदूर की बुरी तरह से पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें झारखंड का एक प्रवासी मजदूर खून से लथपथ सड़क पर लेटा हुआ है और कह रहा है कि राजेश वर्मा नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने उन मजदूरों से एक लाख 16 हजार रूपये घर वापसी कराने के नाम पर वसूला और अब वह उससे इनकार कर मार-पीट कर रहा है।

राजेश वर्मा नाम का यह व्यक्ति स्थानीय बीजेपी नेता बताया जा रहा, हालांकि बीजेपी ने इससे इनकार किया है। पुलिस ने इस मामले में राजेश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया है और मजदूरों को घर वापसी का आश्वासन दिया है। उधर पुणे के औद्योगिक क्षेत्र के पुलिस थाने में भी घर वापसी का फॉर्म भरने के लिए 500 से अधिक मजदूर इकट्ठा हो गए, जिसे हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया।

कर्नाटक के मेंगलुरु मे भी रेलवे स्टेशन के सामने 1000 से अधिक प्रवासी मजदूर इकट्ठा हुए। उनके हाथों में ‘हम घर जाना चाहते हैं’ के पोस्टर थे। शहर के पुलिस आयुक्त पीएस हर्षा के तीन दिनों के भीतर घर भेजने के प्रबंध करने के आश्वासन के बाद ही वे वहां से हटे।

गुजरात के अहमदाबाद स्थित गोटा इलाके में भी उपजिलाधिकारी कार्यालय के बाहर लगभग 2,000 प्रवासी मजदूर जमा हो गए। पुलिस ने कहा कि भीड़ स्पष्ट तौर पर उस अफवाह के कारण उमड़ी, जिसमें प्रवासी मजदूरों को स्टेशन ले जाने वाली एक बस के सरकारी कार्यालय के बाहर पहुंचने की बात थी। भीड़ उमड़ने की खबर पर पुलिस अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और मजदूरों को वहां से जाने के लिए मनाया।

मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया, “ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। लॉकडाउन के बीच अपने गृहनगर लौटने के इच्छुक प्रवासियों को ऑनलाइन आवेदन देना है। वे ऑफलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं जिसे उन्हें जिलाधिकारी के तहत किसी निर्देशित कार्यालय में जमा कराना होगा। इसी फॉर्म को भरने के लिए मजदूर इकट्ठा हो रहे हैं।”

कुछ ऐसी ही घटना पिछले दिनों हरियाणा के मानेसर के खोह गांव में हुई, जब घर वापसी की फॉर्म भरे जाने की बात सुनकर हजारों मजदूर प्राथमिक स्कूल में इकट्ठा हो गए। उन्हें बाद में पुलिस बल के द्वारा नियंत्रित किया गया।

वहीं गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दक्षिण भारत से आने वाले यूपी-बिहार के मजदूर हजारों की संख्या में मध्य प्रदेश के झाबुआ बॉर्डर पर इकट्ठा हो रहे हैं और राज्य में प्रवेश की मांग कर रहे हैं।

उधर जम्मू-कश्मीर के कठुआ में वेतन देने और घर वापस भेजने की मांग को लेकर चिनाब टेक्सटाइल मिल के मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके कारण पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। घायलों को स्थानीय प्रशासन ने नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन उनकी वापसी कब होगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

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