कन्नौज। कोविड-19 के दौर में चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशों में उत्तर प्रदेश आने वाले मजदूरों का सिलसिला थमा नहीं है। पहली बार राजस्थान से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से कन्नौज पहुंचे यूपी के प्रवासियों ने कहा कि उनको यात्रा की टिकट तो दी गई, लेकिन उसका कोई भी पैसा नहीं लिया गया।
बुधवार को राजस्थान में फंसे प्रवासी कामगारों को लेकर कन्नौज में तीसरी बार स्पेशल ट्रेन आई है। इसके पहले सात मई को अहमदाबाद से 1318 प्रवासी और दूसरी ट्रेन 14 मई को गुजरात के बड़ोदरा से 1815 प्रवासी मजदूरों को लेकर आई थी। बुधवार सुबह श्रमिक स्पेशल ट्रेन राजस्थान से 159 मजदूरों को लेकर इत्रनगरी पहुंची।
जयपुर से चली ट्रेन से आखिर कहां गए 266 मजदूर
कन्नौज। जयपुर से यूपी के कई जिलों के प्रवासी मजदूरों को लेकर चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 266 लोगों के ही बीच में ही गायब हो जाने की खबरें शुरू हो गई हैं। दरअसल, जिला प्रशासन के पास बीते दिनों जो सूची आई थी, उसके मुताबिक 425 यात्रियों को कन्नौज रेलवे स्टेशन पर उतरना था, लेकिन बुधवार को जब ट्रेन आई तो 159 लोग ही उतरे। स्टेशन पर एनाउंस हुआ, कहा गया कि कन्नौज जिला आ गया है, यहां पर जिन जिलों के लोगों को उतरना था, उनके जिलों के नाम भी लिए गए, लेकिन संख्या 159 ही रही। ऐसा इसलिए भी किया गया, क्योंकि यह ट्रेन कानपुर से लखनऊ के रास्ते आगे भी जानी थी और प्रवासी मजदूर सवार थे।
अब तक जिले में अहमदाबाद और गुजरात से आई ट्रेनों में जो प्रवासी कामगार आए हैं, उनकी संख्या दोनों बार ही बढ़कर ही निकली। करीब 300 संख्या बढ़ी है। लेकिन जो ट्रेन बुधवार को जयपुर से इत्रनगरी आई, उसमें संख्या कम हो गई। चौकाने वाले मामले से सभी हैरत में पड़ गए। क्योंकि जिला प्रशासन ने रोडवेज बस, लंच पैकेट, पानी की बोतल, कर्मचारी व अधिकारियों का इंतजाम भेजी गई 425 लोगों की सूची के हिसाब से किया था। लेकिन जब थर्मल स्क्रीनिंग और गिनती हुई तो पुष्टि सिर्फ 159 यात्रियों की हुई। इससे लंच पैकेट व पानी की बोतल काफी संख्या में बच गईं। खास बात यह है कि जयपुर से निकलने के बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन का पहला स्टॉपेज कन्नौज स्टेशन पर ही था। उसके बाद 266 लोगों के कम निकले से तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
फर्रुखाबाद में उतरने का अंदेशा
कई लोगों का कहना है ट्रेन फर्रुखाबाद के रास्ते कन्नौज आती है। वहां इलेक्ट्रिक इंजन भी बदलता है। इस वजह से ट्रेन कम से कम 15 मिनट रुकी होगी, उसी दौरान फर्रुखाबाद के लोग उतर लिए होंगे, जिसे वजह से संख्या कम हो गई। अगर ऐसा है तो बिना स्वास्थ्य की जांच के यह लोग कोरोना वायरस फैलाने का खतरा भी बन सकते हैं।
क्या बोले एडीएम
कन्नौज के एडीएम वित्त व राजस्व गजेंद्र कुमार ने बताया कि हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी, कासगंज व आगरा के व्यक्ति यहां उतरे हैं। जो पहले सूची मिली थी वह 425 की थी। फाइनली सूची के हिसाब से 159 लोग यहां उतरे हैं। जनसुनवाई पोर्टल के हिसाब से संख्या पहले भेजी गई थी। राजस्थान सरकार ने निजी वाहनों के लिए भी पास जारी हुए हैं, उस वजह से लोग निकल गए होंगे। यह आंकड़ा पहले का था। जो नहीं आ पाए हैं या छूट गए हैं, उनको दूसरी ट्रेन से बुलाया जाएगा, इसकी कवायद हो रही है। लगातार उत्तर प्रदेश के लिए कई ट्रेने चल रही हैं। एडीएम ने बताया कि सभी यात्रियों को पांच बसों से उनके जिलों को रवाना किया गया है।
प्रवासी कामगारों ने बताया नहीं हुई ट्रेन में कोई दिक्कत
प्रवासी कामगारों को उत्तर प्रदेश में भेजने के एवज में टिकट बिक्री किया गया है, जबकि सरकार फ्री में भेजने का दावा करती रहीं। इस मामले को विपक्ष ने मुद्दा बनाया। काफी किरकरी हुई तो अब टिकट देकर फ्री में भेजने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
अब तक कन्नौज पहुंची दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उतरे प्रवासी कामगारों ने सरकार के दावों को झुठलाया। कहा, कि टिकट खरीदकर ही वह कन्नौज तक आए हैं। लेकिन बुधवार को जो तीसरी स्पेशल ट्रेन आई उससे आए यात्रियों ने कहा कि टिकट तो दी गई, लेकिन कोई रुपया नहीं लगा। साथ ही कोई दिक्कत भी नहीं हुई। सफर अच्छा रहा।
दरअसल, इससे पहले मई में ही अहमदाबाद और गुजरात के बड़ोदरा से जो दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन आई थीं, उससे उतरे प्रवासी कामगारों ने 540 से 560 रुपए देकर कन्नौज आने की बात कही थी। पहली ट्रेन में तो पानी व लंच या नाश्ते की कोई सुविधा न मिलने की बात भी प्रवासियों ने कही थी। दूसरी ट्रेन में नाश्ता व पानी की बोतल मिली थी। बुधवार को जो ट्रेन यहां आई, उससे उतरे लोगों ने कहा कि वह फ्री आए हैं। किसी तरह का कोई भी रुपया नहीं लगा है। ट्रेन के बाद रोडवेज बस में भी कोई टिकट नहीं लगा। प्रवासी कामगार रिजवान ने बताया कि वह जयपुर में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन में पैसा था नहीं, जिसकी वजह से दिक्कत हो रही थी। ट्रेन से आए सुविधा अच्छी थी। फ्री टिकट मिला और कोई पैसा नहीं लगा। माजदा ने बताया कि वह भाई के पास जयपुर में थीं। कन्नौज में ससुराल है। ट्रेन में सफर फ्री था, कोई दिक्कत नहीं हुई और सब अच्छा रहा। फर्रुखाबाद की करिश्मा ने बताया कि वह दो बच्चों व पति के साथ कन्नौज उतरी है। ट्रेन पर किसी भी प्रकार का रुपया या किराया नहीं लगा है। बस में बैठे एक व्यक्ति ने रेलवे का टिकट दिखाते हुए कहा कि इस पर रेलवे की मुहर लगी है, क्रमांक भी लिखा है, लेकिन रुपए कोई भी नहीं लगा है।