साल 2017 की 24-25 मई की रात थी। रात के करीब 1.40 बजे थे और यूपी के ग्रेटर नोएडा में जेवर-बुलंदशहर हाईवे पर एक कार तेजी से बुलंदशहर की ओर बढ़ रही थी। इसी बीच कार के टायर से कुछ टकराता है। गाड़ी चला रहा शख्स कार को साइड में लगाकर जबतक टायर को देखने जाता है, तकतक 6 की संख्या में नकाबपोश गाड़ी को घेर लेते हैं। इनके हाथों में बंदूक, लोहे की रॉड और डंडे जैसे हथियार थे।
यह बदमाश कार में बैठी 4 महिलाओं के साथ गैंगरेप करते हैं, जिनकी उम्र 27 से 53 साल तक थी। इन पीड़ित महिलाओं में से एक ने उस वक्त अपनी आपबीती बताई थी। यह आपबीती रोंगटे खड़े करने वाली है। दैनिक भाष्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने बताया- “जब मेरे देवर ने गैंगरेप का विरोध किया तो बदमाशों ने उसे गोली मार दी, वो जमीन पर तड़पता रहा और उसके सामने ही मेरा गैंगरेप हुआ। मैंने बदमाशों को ये भी बताया कि मेरे बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ है, लेकिन उन्होंने एक न सुनी।”
2017 में हुई इस वारदात की याद आपको इसलिए दिलाई गई कि हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने देश में हुए अपराध के नवीनतम आंकड़े जारी किए हैं। यह आंकड़े भी वर्ष 2017 के हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। इन अपराधों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। वहीं, पश्चिम बंगाल में 30,992, मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 मामले दर्ज किए गए हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल भी वृद्धि देखने को मिली है। इसके मुताबिक, 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2017 के नवीनतम आंकड़े के मुताबिक इस वर्ष (2017) महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए।
आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में भारत में 32,559 बलात्कार के मामले रिपोर्ट हुए और 93.1% मामलों में आरोपी, पीड़ित को जानने वालों में से थे। बलात्कार के मामलों की अधिकतम संख्या मध्य प्रदेश (5,562 ) में दर्ज की गई।
इन आंकड़ों पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं, ”हमें अपराध दर्ज होने के आंकड़ों से ज्यादा हमेशा इस बात की समीक्षा करनी चाहिए कि कितने मामलों में कार्रवाई हुई है। ग्राउंड लेवल पर पुलिस को काम करना होगा तब जाकर कहीं स्थिति बदल सकती है। जैसे अगर किसी पान वाले की लड़की को कोई लड़का छेड़ रहा है या उसके खिलाफ कोई अपराध कर रहा है तो वो लड़का ही उस पान वाले के लिए ददुआ है। पुलिस को ऐसे तमाम ददुआ के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।”
अरविंद कुमार जैन आगे कहते हैं, ”जहां तक बात उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध की बात है तो यह भी देखना चाहिए कि यहां की जनसंख्या भी बहुत ज्यादा है। अपराध उसी अनुपात में हो रहे हैं। यह भी है कि ज्यादातर मामलों में जानने वाले ही रहते हैं। ऐसे में समाज के तौर पर भी हमें जागरूक रहना चाहिए और ऐसे अपराधी प्रवृति के लोगों को चिन्हित करना चाहिए।”