केरल में निपाह वायरस की दस्तक, ये लक्षण दिखे तो हो जाइए सावधान

केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने मंगलवार को पुष्टि किया कि कोच्चि के एक अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय कॉलेज छात्र निपाह संक्रमण से पीड़ित है

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   4 Jun 2019 7:45 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
केरल में निपाह वायरस की दस्तक, ये लक्षण दिखे तो हो जाइए सावधानप्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

लखनऊ। केरल में एक बार फिर निपाह वायरस ने दस्तक दी है। कोच्चि के एक छात्र में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने मंगलवार को पुष्टि किया कि, कोच्चि के एक अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय कॉलेज छात्र निपाह संक्रमण से पीड़ित है।

उन्होंने बताया कि पुणे स्थित राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) में छात्र के रक्त के नमूने की जांच की गई जिसमें निपाह की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि जांच की रिपोर्ट मंगलवार सुबह आई। छात्र को यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इससे पहले दो विषाणु विज्ञान संस्थानों- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और केरल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज में रक्त के नमूनों की जांच की गई थी।

ये भी पढ़ें: एलर्ट : चमगादड़ ही नहीं दूसरे जानवरों से भी फैल सकता है निपाह वायरस

पिछले साल भी केरल में जानलेवा निपाह वायरस ने 17 लोगों की जान ले ली थी। छात्र में वायरस मिलने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन चौकन्ना हो गया है। जो भी जरूरी सावधानी बरतनी चाहिए वह चल रही है। एर्नाकुलम जिले का रहने वाला बीमार छात्र कुछ दिन पहले विद्यालय की तरफ से कैंप करने के लिए त्रिशूर गया हुआ था। इस दौरान वह चार दिन त्रिशूर में था। वहीं पर उसे हल्का-हल्का बुखार आ रहा था। उसके साथी दोस्तों ने उसे त्रिशूर के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां पर इलाज के दौरान पीड़ित छात्र के संपर्क में आई दो नर्सों को सांस लेने में परेशानी होने लगी थी। उनकी भी निगरानी की जा रही है।

ये भी पढ़ें: यूपी के प्रत्येक जिले में होगी जापानी इंसेफेलाइटिस के उपचार की व्यवस्था


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह वायरस एक ऐसा वायरस है, जो अन्य जानवरों से भी इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्रोत चमगादड़ है, जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है।


किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. वेदप्रकाश ने निपाह वायरस के बारे में बताया, "निपाह वायरस नया उभरता हुआ संक्रमण है। इस वायरस के जानवरों से भी फैलने की संभावना रहती है। निपाह वायरस होस्ट फ्रूट बैट होता है। यह वायरस चमगादड़ से सुअर और पालतू जानवर से मनुष्यों में बीमारी फैलने के बीच की कड़ी है।"


उन्होंने आगे बताया, "यह वायरस पहली बार निपाह ग्राम मलेशिया में साल 1998 में फैला था, जबकि भारत में पहली बार 2001 में सिलीगुड़ी वेस्ट बंगाल में फैला था। साल 2001 में ही ये बीमारी बांग्लादेश में पाम ट्री से बनी शराब के पीने से फैली थी। निपाह ग्राम पर ही इस वायरस को निपाह कहा जाने लगा था।"

ये भी पढ़ें:पिछले एक दशक में कम हुए हैं गंभीर एनीमिया के मामले : रिपोर्ट

केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने मंगलवार को पुष्टि किया कि, कोच्चि के एक अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय कॉलेज छात्र निपाह संक्रमण से पीड़ित है

बीमारी के लक्षण

- इस वायरस का इक्वेशन पीरियड 5 से 14 दिन का है, इसलिए बीमारी के लक्षण मरीज से संपर्क में आने से 5 से 14 दिन बाद आते हैं।

- बुखार के लक्षण, सर्दी, जुखाम, बदन दर्द, सर दर्द, उल्टी आना, पेट दर्द, खांसी आना, अचानक सांस फूलना, तेज सांस लेना, चक्कर आना, झटके आना, बेहोशी आना और कोमा हो सकता है।

- कुछ लोगों में तो कोई लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। सामान्य वायरस बुखार के लक्षण 2 से 3 दिन के भीतर ही मरीज को कोमा हो सकता है।

- यह बीमारी घरेलू जानवरों और सूअरों में भी हो सकती है। यह बीमारी जानवरों द्वारा या बीमार मरीज के लाभ एवं मूत्र से फैलती है। इस बीमारी का कोई विशेष इलाज और टीका नहीं है। इस बीमारी में लक्षणों का ही इलाज एवं मरीज की देखभाल की जाती है।

वहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने भरोसा दिया है कि बीमारी से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया में विकसित एनवाईवी रोधक एक दवा राज्य को प्रदान की जाएगी। निपाह वायरस का नाम मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह पर रखा गया है जहां पहली बार इसका पता चला था।

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

बीमारी से बचाव

- खाद्य पदार्थ चमगादड़ से संक्रमित ना हो

- वह फल ना खाएं जिसमें चमगादड़ की खाने की संभावना हो - नारियल से बनने वाली चीजों को ना खाएं

- हाथ अच्छे से धोएं और बीमार मरीज से दूर रहें

- बीमार मरीज के बिस्तर, बर्तन, कपड़े, बाल्टी और मग को अलग रखें

- मृत शरीर के शरीर को नहलाते समय भी विशेष ध्यान रखें। - पालतू जानवरों का भी ध्यान रखें जिससे कि उनमें बीमारी ना हो पाए

इनपुट: भाषा

ये भी पढ़ें: सोचने-समझने की क्षमता खत्म कर देती है यह बीमारी, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज


   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.