मुजफ्फरपुर: जिनके बच्चे उनके सामने घुट-घुटकर मर गये, उनके लिए कैसा फादर डे

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोज मासूम दम तोड़ रहे हैं. आज देशभर में Father's day मनाया जा रहा है, लेकिन मुजफ्फरपुर के उन 85 बच्चों के बारे में सोचिये जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके पिता के लिए भला कैसा फादर डे. मुजफ्फरपुर से गाँव कनेक्शन के लिए चंद्रकांत मिश्रा की रिपोर्ट

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   16 Jun 2019 5:45 AM GMT

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मुजफ्फरपुर: जिनके बच्चे उनके सामने घुट-घुटकर मर गये, उनके लिए कैसा फादर डे

  • बेबस बाप का दर्द: "साहब, हमरा बच्चा ठीक हो जाएगा न ?"
  • माँ की चीखों के साथ लाचार पिता की सिसकियां बहुत कष्टकारी हैं

मुजफ्फरपुर (बिहार )। " बड़ी दुआओं और मिन्नतों के बाद मेरा बेटा पैदा हुआ था। लड़का था इसलिए इसका नाम वीर रख दिया। इकलौता बेटा है इसलिए खूब प्यार करता हूं। घर के सभी इसे बहुत चाहते हैं, लेकिन 14 जून को दोपहर में अचानक से तेज बुखार आ गया, जोर-जोर से रोने लगा। सबकी सांसें अटक गई, कहीं चमकी तो नहीं न हो गया। आनन-फानन में अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने कहा चमकी है। दो दिन हो गया हमरा बच्चा आंख नहीं खोल रहा है।" इतना कहते कहते अशोक फफक पड़े।

बिहार के मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में ग्राम अमरख प्रखंड तुर्की के रहने वाले अशोक (28 वर्ष) का नौ माह का बेटा वीर कुमार भर्ती है। उसे चमकी बुखार हो गया है। दो दिन से उसने अंख नहीं खोली है। अशोक दिन भर इस उम्मीद में बेटे को एकटक देखते रहते हैं कि शायद उसके कलेजे जा टुकड़ा आंख खोल दे। बीमार बेटे को देखते देखते अशोक की आंखें पथरा गई हैं।

अभी भी 200 से ज्यादा बच्चे जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं

अशोक को तो शायद यह भी नहीं पता होगा कि आज यानी 16 जून को फादर डे (Father's day) मनाया जा रहा है। आज का दिन पिता का होता है, बच्चे पिता के पास होते हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर के वे 85 मासूम चमकी की चपेट में आकर अपने पिता से बहुत दूर चले गये, वे भला फादर डे कैसे मना पाएंगे।

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मुजफ्फरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज सहित कई निजी अस्पतालों में 200 से ज्यादा बच्चे अभी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। उनके माता-पिता उनकी सलामती की दुआ मांग रहे हैं।

कहते हैं पिता भी अपने बेटे को उतना ही प्यार करता है जितना कि माँ। बेटे को चोट लगने पर उसे उतना ही दर्द होता है, जितना कि एक माँ को। यह बात अलग है कि पिता को कठोर समझा जाता है।

मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में हर मौत के बाद माँ की चीख के साथ-साथ लाचार बाप की सिसकियां भी सुनी जा सकती हैं। हर मौत मां के साथ-साथ एक पिता के धैर्य की परीक्षा ले रही है।

10 माह की दिलकश के साथ उमेश

पास के बेड पर लेते बीमार दिलकश (10 माह) के पिता उमेश (24 वर्ष) का भी हाल कुछ ऐसा ही है। जब जब डॉक्टर उसके बेटे को देखने आते हैं तो उमेश का सिर्फ एक सवाल होता है," साहब हमरा बच्चा ठीक हो जाएगा न ? "

उमेश ने बताया, "11 जून की रात को इसको बुखार हो गया, हाथ-पैर झटकने लगा। सुबह होते ही एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गये, जहां से डॉक्टर ने यहां भेज दिया। बच्चा को थोड़ा आराम है। डॉक्टर लोग बोल रहा है कि जल्दी ठीक हो जाएगा। भैया जी आपो भगवान से दुआ करो हमरा बच्चा जल्दी से ठीक हो जाये।" इतना कहते कहते उसकी आंखें नम हो गई।


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