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किसान आंदोलन के दौरान एक और किसान ने की आत्महत्या की कोशिश, चिट्ठी मे लिखा- ‘किसानों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा’

65 वर्षीय निरंजन सिंह ने चिट्ठी में लिखा है, "हमारे 9वें गुरू श्री तेग बहादुर साहिब ने जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी और बलिदान दिया था और इसलिए मैं अपने प्राणों का बलिदान दे रहा हूं ताकि गूंगी,बहरी, और अंधी सरकार के कानों तक आवाज पहुंच सके।"
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राजधानी दिल्ली के सिंघु, कुंडली, शाहजहांपुर और गाजीपुर में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान एक और किसान ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। सोमवार को करीब साढ़े बजे कुंडली बॉर्डर पर एक 65 वर्षीय किसान ने जहरीला पदार्थ खा लिया, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। फिलहाल उन्हें पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया है।

इस किसान की पहचान निरंजन सिंह के रूप में हुई है जो की पंजाब के तरन तारन के रहने वाले थे। उन्होंने जहरीला पदार्थ खाने से पहले एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें उन्होंने गुरूमुखी पंजाबी भाषा में अपने और किसानों का दर्द लिखा था। उन्होंने अपनी इस चिट्ठी में लिखा,

“घर बैठे जब टीवी पर 3-4 महीनों से अपने भाई-बहन और बच्चों को बिना छत के बारिश, आंधी और धूप के बावजूद पहले रेल की पटरियों पर और फिर सड़कों पर बैठे देख रहा हूं तो, यह सवाल उठ रहा है कि क्या सच में हम इस देश के वासी हैं, जिनके साथ गुलामों से भी बदतर जैसा सलूक किया जा रहा है?

आज जब आ कर खुद देखा तो यह सब देखा नहीं गया। हमारे 9वें गुरू श्री तेग बहादुर साहिब ने जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी और बलिदान दिया था और इसलिए मैं अपने प्राणों का बलिदान दे रहा हूं ताकि गूंगी बोली और अंधी सरकार के कानों तक आवाज पहुंच सके।

गुरू, घर और किसानों का दास,

जत्थेदार निरंजन सिंह”

सोमवार को जहां निरंजन ने आत्महत्या करने की कोशिश की, वही 3 और किसान जीवन से जंग हार गए। उनके नाम हैं किसान हाकम सिंह , इक़बाल सिंह और कुलबीर सिंह, जो क्रमशः संगरूर, तरनतारन और फिरोजपुर के निवासी हैं।

किसानों की मौत पर बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिरोमणि अकाली दाल की लीडर हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट जरिए कहा: “40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है! सरकार के जागने से पहले कितने और किसानों को मरना होगा? संगरूर के हाकम सिंह की किसान धरना स्थल पर ठंड के कारण मौत हो गई, जबकि 65 वर्षीय तरन तारन के किसान निरंजन सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन सरकार को कोई परवाह नहीं। बहुत दुःख है!” 

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किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर जिन धार्मिक गुरु ने आत्महत्या की थी, उनकी पंजाबी में लिखी चिट्ठी का मतलब पढ़िए

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