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अनलॉक 2.0 से पहले पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, अब दीवाली तक मिलेगा मुफ्त राशन

पीएम गरीब कल्याण योजना का दीवाली और छठ तक विस्तार किया जा रहा है। अब देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन नवंबर तक मिलेगा।
#narendra modi

एक जुलाई से होने जा रहे अनलॉक 2.0 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन किया। कोरोना संकट और चीन के साथ तनातनी को दखते हुए यह काफी अहम संबोधन माना जा रहा था।

पीएम मोदी ने कहा कि देश अभी तक कोरोना से बहुत ही बखूबी लड़ा है इसलिए यहां पर मृत्यु दर अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रही है। लेकिन जैसे-जैसे अनलॉक हुआ है, लोगों की लापरवाही भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़े हैं इसलिए अनलॉक होने के बावजूद भी लोग पूरी तरह से सतर्कता बरतें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क लगाएं और जरूरी हो तभी ही घर से बाहर निकलें। 

उन्होंने कहा चूंकि देश में कोरोना का संकट अभी तक खत्म नहीं हुआ है और आगे इसके निकट भविष्य में भी समाप्त होने की संभावना नहीं दिख रही है। इस दौरान देश में रक्षाबंधन से लेकर दीवाली और छठ जैसे त्यौहार हैं। देशवासियों को इन त्यौहारों को मनाने में कोई दिक्कत ना हो इसलिए पीएम गरीब कल्याण योजना का दीवाली और छठ तक विस्तार किया जा रहा है। अब देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन नवंबर तक मिलेगा। इसमें प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल या गेहूं के साथ, एक किलो दाल और एक किलो चना भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के इस विस्तार में 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होंगे। अगर इसमें पिछले तीन महीने का खर्च भी जोड़ दें तो ये करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए हो जाता है।

उन्होंने कहा, बीते तीन महीनों में 20 करोड़ गरीब परिवारों के जनधन खातों में सीधे 31 हजार करोड़ रुपए जमा करवाए गए हैं। इस दौरान 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। इसके अलावा जिससे दुनिया भी हैरान है कि कोरोना से लड़ते हुए भारत में, 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 3 महीने का राशन यानि परिवार के हर सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त दिया गया। 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब पूरे भारत के लिए एक राशन-कार्ड की व्यवस्था भी हो रही है यानि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड ‘one nation one ration card’। इसका सबसे बड़ा लाभ उन गरीब साथियों को मिलेगा, जो रोज़गार या दूसरी आवश्यकताओं के लिए अपना गांव छोड़कर कहीं और जाते हैं।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने किसानों और टैक्सपेयर्स को धन्यवाद दिया और कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहें।

 

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