“हरियाणा में गेहूं और सरसों के किसान बर्बाद हो गए। अगले 20-25 दिनों में फसल कटने वाली थी, लेकिन अब सैकड़ों गांवों में गेहूं का एक दाना नहीं आएगा। नींबू के बराबर ओले गिरे हैं। पहले चार तारीख को ओले गिरे फिर 6 मार्च को। इतनी तेज हवा, बारिश और ओलों से फसल कैसे बचेगी।”
हरियाणा में भिवानी जिले के हलका लोहारू के सुनील फगेडिया मायूसी के साथ फोन पर ओले से नुकसान के बारे में बताते हैं। हरियाणा में सबसे 4 मार्च को भिवानी समेत कई जिलों में भीषण ओलावृष्टि हुई थी, जिसमें गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। सुनील फगेडिया (38 वर्ष) भिवानी के बड़दूचैना गांव में रहते हैं।
हरियाणा में मार्च के पहले हफ्ते हुई बारिश से भिवानी के साथ ही रोहतक, सिरसा, महेंद्रगढ़ और हांसी में फसलों को काफी नुकसान पहुचा है। हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने ट्वीटर पर लिखा कि ओलावृष्टि से अनेकों गांवों में काफी नुकसान हुआ है। किसान भाइयों घबराने की जरुरत नहीं है, हरियाणा सरकार आपके नुकसान की भरपाई करेगी।’ कृषि मंत्री पांच और 6 मार्च को भिवानी के ही लोहारू हल्के खेतों पर जायजा लेने भी पहुंचे थे।
भिवानी के सैकड़ों गांवों में भारी नुकसान
सुनील फगेडिया के मुताबिक हरियाणा के ज्यादातर इलाकों में सरसों होली के बाद (10-12 मार्च) और गेहूं की कटाई 25 मार्च से शुरु हो जाती। ओले इतने बड़े बड़े गिरे हैं कि सरसों की फलियां फट गई हैं तो गेहूं की फसल गिर गई है। वो बताते हैं, “हमारे यहां करीब 40 गांवों में भारी नुकसान हुआ है। 4 तारीख से ही नुकसान हुआ था, बाकी बची फसल को आज 6 मार्च की बारिश ने बर्बाद कर दिया। यहां रात 1 बजे से बारिश हो रही है। कृषि मंत्री आज आए थे कह रहे थे विशेष गिरदावरी करवाएंगे।’
हवाओं और ओले से पहुंचा गेहूं की फसल को नुकसान
हरियाणा के करनाल में स्थित गेहूं शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी ने बताया कि रबी के इस मौसम में गेहूं की अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, सिर्फ बारिश से फसल को नुकसान भी नहीं पहुंचता लेकिन बारिश के साथ ओले और हवाओं से फसल गिर गई है, अगर अब फिर बारिश हुई तो गिरी हुई फसल में दानों को नुकसान हो सकता है।’
हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में रहने वाले कपिल भारद्वाज ने अपने फेसबुक पर लिखा कि किसानों पर कुदरत का कहर टूटा है। हरियाणा में भारी ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसान सदमे में है उम्मीद है सरकार न्याय करेगी।
गांव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए कपिल भारद्वाज ने कहा, “ये बिल्कुल वैसा है कि महीने के आखिर में सैलरी आने वाली हो और कंपनी भाग जाए। किसान की फसल 10-15 दिन में कटने वाली थी, लेकिन पूरी चौपट हो गई। महेंद्रगढ़ जिले में कई जगहों पर गेहूं की फसल का 100 फीसदी तक नुकसान हुआ है।”
कई जिलों में कृषि और राजस्व के अधिकारी पहुंचकर नुकसान का जायजा भी ले रहे हैं लेकिन वो जो आंकड़े बता रहे हैं किसान उससे नाखुश हैं।
अधिकारियों से किसान नाखुश
भिवानी जिले में ही तोसाम ब्लॉक में 22-23 गांवों में भारी नुकसान पहुंचा है। खरकड़ी मकवान गांव के किसान और भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता रमेश कुमार कहते हैं, “तहसीलदार और एसडीएम गांवों में पहुंचे तो हैं लेकिन वो जिस तरह का रिकार्ड बना रहे हैं वो गड़बड़ है। हमारे तोसाम ब्लॉक में 22-23 गांवों में 100 फीसदी नुकसान हुआ है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि शून्य से 25 फीसदी का नुकसान है, वो यहीं रिपोर्ट सरकार को भेज देंगे तो किसानों को कुछ नहीं मिलेगा।”
हरियाणा और पंजाब के किसान किसान नेता किसानों के लिए प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
रोहतक के प्रगतिशील किसान प्रदीप श्योराण ने गांव कनेक्शन को अपने गांव के दो फोटो भेजे और बताया कि उनके यहां 6 मार्च को खेतों में हरियाली की जगह सिर्फ ओले दिख रहे हैं। कई गांवों फसलें बिल्कुल चौपट हो गई हैं।
गेहूं शोध संस्थान और कृषि अधिकारियों के मुताबिक इस मौसम में इस बदलाव से वर्षा आधारित सिंचाई वाले इलाकों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में नुकसान की आशंका कम है लेकिन यूपी बिहार, पंजाब, हरियाणा में जहां खेतों में पानी भरा है या फसल गिरी है वहां नुकसान ज्यादा हो सकता है।’