जहां एक तरफ कई किसान खेती में कम होते आमदनी से परेशान हैं, वहीं कई प्रगतिशील किसान ऐसे भी हैं जो अपनी मेहनत और नए तरीकों से खेती में नए आयाम गढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सकरन ब्लॉक के बनियनपुरवा गांव के पृथ्वी पाल एक ऐसे ही किसान हैं।
पृथ्वी पाल ने सिर्फ कक्षा आठ तक की पढ़ाई की है और गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने का समय से भुगतान न होने पर उनके लिए घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था। पृथ्वी पाल ने इसके बाद कोई दूसरा विकल्प तलाशा और सिरका बनाना शुरू किया।
पृथ्वीपाल कहते हैं कि वह गन्ने की खेती परंपरागत ढंग से पहले करते चले आ रहे है, लेकिन सुगर मिलों द्वारा समय से भुगतान ना होने के कारण उन्होंने 2019 में सिरका बनाने का काम शुरू किया। मौजूदा समय मे कोविड 19, लॉकडाउन और कम कमाई के चलते किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है, वहीं पृथ्वीपाल अब गन्ने को चीनी मिल में ना बेच कर उससे सिरका बनाने में जुटे हुए है।
सिरके से घोली जिंदगी में मिठास
पृथ्वीपाल ने कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉक्टर दयाशंकर श्रीवास्तव से संपर्क कर वर्ष 2019 में सिरका व्यासाय शुरू करने की अपनी राय साझा की। इस पर उन्होंने पृथ्वीपाल को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना से प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ सिरका प्रौद्योगिकी तकनीक हस्तांतरण कराया। अब इस मुसीबत की घड़ी में पृथ्वीपाल अपने घर पर ही सिरका बनाकर लाखों रुपए महीने कमा रहे हैं।
पृथ्वीपाल बताते है कि उनका खेत और घर बाढ़ प्रभावित इलाक़े में था, इसलिए गन्ने के अलावा दूसरी फ़सल पानी मे डूब जाती थी। जिसके चलते हम अपनी दो एकड़ भूमि पर गन्ने की खेती करना शुरू किया। दो एकड़ भूमि में 1200 कुंतल गन्ना का उत्पादन होता है, वहीं चीनी मिल से एक कुंतल गन्ने का मूल्य 325 रुपये मिलता है। एक लीटर सिरका तैयार करने में 50 रुपये प्रति लीटर खर्च आता है और बिक्री की बात करे तो सौ रुपये लीटर में आराम से बिक्री हो जाती है। वह हर महीने लगभग 2000 लीटर सिरके का उत्पादन करते हैं।
पृथ्वी पाल खुद ज्यादा नहीं पढ़ पाए, इस बात का मलाल उन्हें हमेशा रहता है। इसलिए वह अपने बेटे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। पृथ्वीपाल ने अपने लड़के को राजस्थान से इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री में एमएससी कराया है और अपने लड़के को मल्टी नेशनल कम्पनी में जॉब न कराकर उसको अपने साथ सिरके के व्यापार में ले आये है।
किसानों के लिए नजीर बने पृथ्वीपाल
खेती में मुनाफा होने के बाद अब पृथ्वीपाल दूसरे किसानों को प्रशिक्षण देकर समाज में नज़ीर बन चुके है।
किसान पृथ्वीपाल ने बताया कि अगर हम अपना एक कुन्तल गन्ना चीनी मिल में बेचते है तो उसका समर्थन मूल्य 325 रुपये ही मिलेगा। जिसमें एक कुन्तल गन्ने को तैयार करने में तकरीबन दो सौ रुपये लागत आती है। इसके बाद पैमेंट के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता है। सिरका में एक लीटर तैयार करने में महज 50 रुपये प्रति लीटर खर्च आता है और बिक्री की बात करें तो सौ रुपये प्रति लीटर में बिक्री हो जाती है।
कृषि मंत्री भी कर चुके है सम्मानित
पृथ्वीपाल की लगन और मेहनत रंग लाई। एक समय कर्ज में डूबे पृथ्वी का नाम अब इलाके में ब़ड़ा सम्मान से लिया जाता हैं। खेती में अच्छा प्रदर्शन करने पर उन्हें सम्मान भी मिला है। गन्ने की खेती में अधिक उपज करने के लिए उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी वर्ष 2019 में सम्मानित कर चुके है। पृथ्वीपाल किसानों को प्रशिक्षण देकर कृषि को बढ़ावा देने के प्रयास में लगे हैं।
सिरके की होम डिलीवरी और कई फ्लेवर का सिरका
पृथ्वीपाल ने कहा कि लाकडाउन खुलते ही सिरका को बड़े पैमाने पर बेचने के लिए हम एक वेबसाइट तैयार करा रहे है, जिसके चलते लोग ऑनलाइन ऑर्डर करके बड़ी आसानी से अपने घर सिरका मंगा सकते है। मार्केट में मिलने वाले सिरके से यह सिरका बहुत ही ख़ास होगा। सादा सिरका, जामुन सिरका, गुलाब सिरका, सौंफ सिरका सहित आठ प्रकार का सिरका ग्राहकों को वह उपलब्ध कराएंगे।
कई औषधीय गुणों से युक्त सिरका
कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के अध्यक्ष डॉ आनन्द सिंह ने बताया कि सिरका घरेलू नुस्खे में बहुत काम आता है। जैसे अगर किसी को हिचकी आ रही हो तो एक चम्मच सिरके का सेवन करने से काफी राहत मिलती है। इसके अलावा वजन कम करने में भी सिरका बहुत कारगर होता है।
जैविक विधि से तैयार करते हैं सिरका
पृथ्वीपाल ने बताया कि वह अपने गन्ने की फसल में किसी भी प्रकार के रासायन का प्रयोग नहीं करते हैं, रसायन की जगह पर जीवामृत धनामृत के साथ-साथ वर्मी कंपोस्ट का वह प्रयोग करते हैं।
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