दिल्ली सहित उत्तर भारत में प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के बीच सुप्रीम कोर्ट ने किसानों द्वारा पराली जलाने पर सख्त रुख अपनाया हैं। उन्होंने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने राज्यों में पराली ना जलाना सुनिश्चित करें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को पराली ना जलाने वाले किसानों को आर्थिक मदद देने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि पराली नहीं जलाने वाले किसानों को कोई आर्थिक नुकसान ना हो। इसके लिए सरकारें छोटे और मझले किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल पराली की दर से आर्थिक मदद करें। सुप्रीम कोर्ट ने सात दिन के अंदर किसानों को यह राशि उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारें पराली जलाने से रोकने में पूरी तरह विफल रही हैं। इस विफलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित कर उन्हें दंडित किया जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव उपस्थित थे।
जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा, “प्रदूषण से लोग मर रहे हैं, लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। आपको निश्चित ही अपनी इस उपलब्धि पर गर्व होगा। आप चाहते हैं कि हम गरीब किसानों को दंडित करें।” केंद्र सरकार को भी फटकार लगाते हुए न्यायिक पीठ ने कहा कि किसी को भी गरीब नागरिकों की चिंता नहीं है।
आपको बता दें कि पंजाब सरकार ने मंगलवार को पराली ना जलाने के आदेश का उल्लंघन करने के लिए 196 किसानों को गिरफ्तार किया और 327 एफआईआर दर्ज की। वहीं उत्तर प्रदेश में भी पराली जलाने को लेकर अब तक कुल 586 किसानों को नोटिस जारी किया जा चुका है। 166 किसानों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है जबकि 185 किसानों पर 4,75,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
उधर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर बैठक की, जिसमें कैबिनेट सचिव ने प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कदमों का जायज़ा लिया। बैठक में यह बात सामने आई कि पंजाब और हरियाणा में अब भी पराली जलाई जा रही है। इन राज्यों को सख्त निर्देश दिए गए कि वे इस पर अंकुश लगाएं। पीएमओ ने राज्यों को अधिकारियों का जांच दल बनाकर जमीन पर उतारने का भी आदेश दिया ताकि पराली जलाने पर तुरंत अंकुश लगाया जा सके।
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