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जिन्होंने नशे की बुरी लत छोड़ दी उनकी कहानियों से ग्रामीणों को मिली प्रेरणा

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कोथावां (हरदोई)। बिराहिमपुर गाँव के सूबेदार शाह ने सिगरेट पीना सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि एक दिन जब वो सिगरेट पी रहे थे तभी उनका बेटा वहां से गुजरा और उसने मुंह में हाथ लगा लिया क्योंकि उस धुएं से उसे दिक्कत हो रही थी। सूबेदार ने उस दिन एक झटके में सिगरेट न पीने का संकल्प ले लिया। आज वो 75 साल की उम्र में स्वस्थ्य और ऊर्जावान दिखते हैं। खास बात ये है उनके देखादेखी उनके परिवार में कोई भी नशा नहीं करता।

सूबेदार शाह ने ये वाकया तब बताया जब उनके गाँव में नशामुक्त जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ये कार्यक्रम गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस) के साझा प्रयास से 16 अक्टूबर 2019 को हरदोई जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर कोथावां ब्लॉक के बिराहिमपुर गाँव में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम के जरिए युवाओं को नशे के दुष्परिणाम जादूगर के माध्यम से और वीडियो के माध्यम से दिखाये गये।


बदलाव की कुछ उन कहानियों को ग्रामीणों ने साझा किया जो पहले नशे के बहुत लती थे पर अब नशा छोड़ चुके हैं। इन कहानियों को सुनकर ग्रामीणों में उत्साह दिखा और कई लोगों ने ये भी कहा कि वो नशे की इस लत को छोड़ देंगे।

बदलाव की कहानियों में से एक कहानी सूबेदार शाह की थी वो कहते हैं, “मैं बहुत सिगरेट पीता था, एक दिन आदतन मैं अपनी धुन में सिगरेट पी रहा था तभी बगल से गुजर रहे मेरे बेटे ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और तेजी से अन्दर चला गया। एक वो दिन था और एक आज का दिन। तबसे मैंने सिगरेट को कभी हाथ नहीं लगाया।”

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इनकी बातें सुनकर कुछ देर तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी। कई युवाओं ने हाथ ऊपर करके ये संकल्प लिया कि अब वो भी नशे की बुरी लत को छोड़ने का प्रयास करेंगे।

वो आगे बताते हैं, “मुझे उसी वक़्त अपनी गलती का एहसास हुआ कि मेरे बेटे पर इसका क्या असर होगा। मेरी इस बुरी लत को छोड़ने का बड़ा फायदा ये हुआ कि मेरे पूरे परिवार में कोई भी नशे का सेवन नहीं करता। मैं सरकारी नौकरी करता था। बहुत सिगरेट पीता था ये लत मैंने तब छोड़ी जब मेरा बेटा छोटा था। आप सब भी अगर चाहते हैं कि आपके बच्चे इससे दूर रहें तो पहले आपको नशा छोड़ना पड़ेगा।”

जादू दिखाकर नशे के प्रति किया गया जागरूक

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस के साझा प्रयास से नशामुक्ति का ये जागरुकता कार्यक्रम 10 अक्टूबर 2019 को लखनऊ में शुरू हुआ था। ये कार्यक्रम यूपी के 10 जिलों में किया जा रहा है। अभी तक लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली और हरदोई जिलों में हो चुका है।

जागरुकता कार्यक्रम 23 अक्टूबर तक कानपुर, उन्नाव, अलीगढ़, एटा और कन्नौज में किया जाना है।

गाँव के पूर्व प्रधान हरिनाम सिंह (62 वर्ष) ने कहा, “जो लोग कहते हैं दोस्तों की संगत में मजबूरी में नशा करना पड़ता है वो सिर्फ नशा करने का बहाना ढूंढते हैं। मैं जिन लोगों के बीच उठता बैठता था वो सब नशा करते थे। मैं भी नशा करूँ इस बात का बहुत दबाव डालते थे लेकिन मैंने कभी नशा नहीं किया।” हरिनाम सिंह को अगर कोई भी नशा करता दिख जाए तो वो उसे नशा न करने की सलाह देते हैं।

ग्रामीणों को एक वीडियो के माध्यम से ये दिखाया गया कि कैसे एक युवा नशे को शौकिया तौर पर शुरू करता है और फिर धीरे-धीरे उसका लती हो जाता है एक समय बाद वो मौत के करीब पहुंच जाता है। एक उस गाँव का भी वीडियो दिखाया गया जहाँ एक समय हर घर में कच्ची शराब बनती थी और हर कोई शराब पीता था। इस गाँव की महिलाओं ने संगठित होकर गाँव में बन रही कच्ची शराब की भट्टियाँ तोड़ीं और फिर गाँव की दुकानों पर बिकने वाले नशे पर रोक लगाई आज वो पूरा गाँव नशामुक्त हो गया है।

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ये वीडियो झारखंड राज्य के आरा-केरम गाँव का था जो आज दूसरे गाँवों के लिए उदाहरण बना हुआ है।

एक समय बहुत नशा करने वाले लोग अब पूरी तरह से नशा छोड़ चुके गांव के ही जितेंद्र सिंह ने अपना अनुभव साझा किया, “मैं हर एक नशा करता था। सम्पन्न परिवार से था तो पैसे के लिए भी सोचना नहीं पड़ता था। लगभग आठ साल पहले मुझे यह एहसास हुआ कि नशा करने की वजह से समाज में मेरी छवि बहुत खराब है। मैंने उसी दिन से नशा करना छोड़ दिया।”


उन्होंने आगे कहा, “आठ साल से मैंने नशे को हाथ नहीं लगाया। लोग तो अब मेरे बारे में बताने लगे कि अगर वो छोड़ सकता है तो कोई भी छोड़ सकता है। अब मुझे नशेड़ियों को देखकर बुरा लगता मैं उनके पास खड़ा नहीं हो पाता।”

नशामुक्ति के इस जागरुकता कार्यक्रम में आसपास चार-पांच गाँव के लगभग 200 ग्रामीण शामिल रहे।

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