कोरोना से लड़ाई में हर कोई किसी न किसी तरह से मदद कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर सभी मास्क लगाते हैं, तो कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अश्व पालक समूहों ने खुद से मास्क बनाकर बांटना शुरू कर दिया है।
कपड़े के मास्क के उपयोग पर सरकार द्वारा दी गई सलाह के बाद, ब्रुक इंडिया के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे अश्व पालक समुदायों के लिए फेसमास्क की खरीद, विशेष रूप से इसकी कमी के कारण एक चुनौतीपूर्ण काम था। ब्रुक इंडिया ने स्थिति को संभालने के लिए तुरंत कदम उठाया और समाधान खोजने के लिए अपने साथ जुड़े 10 राज्यों में पार्टनर एनजीओ और समुदाय आधारित संगठनों जिसमें अश्व कल्याण समूह, एसोसिएशन और फेडरेशन से संपर्क किया। सबकी राय लेने के बाद करोना वाइरस महामारी संकट से निपटने के लिए हाथ से बने फेसमास्क सबसे अच्छे कम लागत वाले समाधानों में उबरा।
भारत सरकार ने 30 मार्च, 2020 को हाथ से बने मास्क पर एक नियमावली जारी की जिसने ब्रुक इंडिया के कार्य को आसान बना दिया। यह जानकारी ब्रुक इंडिया के फील्ड असिस्टेंट और एनजीओ सहायक के माध्यम से हमारे समुदाय आधारित संगठनों को आसानी से दे दी गई।
ब्रूक इंडिया ने वीडियो कॉल के माध्यम से हमारी महिला अश्व कल्याण समूहों से जुड़े और उन्हें कपड़े के फेसमास्क बनाने की बुनियादी बारीकियों का प्रशिक्षण दिया। फेसमास्क के लिए कपड़े को स्थानीय रूप से खरीदा गया, उत्पादन के बाद साफ किया गया और फिर बेचा गया।
19 महिला अश्व पालक समूह ने ब्रुक इंडिया के परिचालन क्षेत्र में गरीब ओर जरूरतमंद समुदाय, खासकर ईंट भट्टों में काम करने वालों के लिए के लिए कपड़े से बने फ़ेस मास्क को बनाने का कार्य किया। इस पहल को ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 4 अप्रैल, 2020 को अपनी एडवाइजरी के माध्यम से सकारात्मक रूप से जोर दिया गया, जहां इसने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को फेसमास्क बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को शामिल करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में समूह से जुड़ी शालिनी बताती हैं, “हमारी पूरी कोशिश है कि समूह से जुड़े हर किसी को कोरोना के संक्रमण से बचाया जाए। इसलिए हमने प्रशिक्षण लेकर खुद से मास्क बनाकर समूह से जुड़े परिवारों को बांट दिए हैं।”
फतेहपुर जिले में काली माता, देवमयी और शांति अश्व पालक कार्य समूह की 20 महिला सदस्यों ने 1000 सिंगल और थ्री-लेयर कॉटन फेसमास्क को बनाया र अपने आसपास के क्षेत्र में ईंट भट्ठा श्रमिकों, अश्व मालिकों को मुफ्त में वितरित किया। बांदा जिले में, 42 महिला सदस्यों वाली महिला अश्व पालक कार्य समूह “शंकर” ने समूह से जुड़े लोगों और मुफ्त वितरण के लिए 950 डबल और ट्रिपल लेयर कॉटन मास्क तैयार किए हैं।
महाराष्ट्र के अहमदनगर में 4 अश्व पालक समूह ने 380 मास्क स्थानीय दवाई कि दुकानों में बेचे और 60 फ़ेस मास्क “राहता, और श्रीराम” गाँवो में अश्व पालक समुदाय को निशुल्क बांटें गये। अहमदनगर में मौर्या महिला बचत समूह की छाय जाधव कहती हैं, “ब्रुक इंडिया की टीम समय-समय पर हमें जानकारी देती रहती है, ताकि हम दूसरों को जागरूक कर पाएं।”
कुछ अश्व पालक कार्य समूह ने वैकल्पिक आय सृजन गतिविधि के रूप में फ़ेस मास्क बनाने का काम भी शुरू किया है। गाजीपुर में “सहेली” अश्व पालक कार्य समूह ने शुरू में अपने ही परिवार के लिए 50 मास्क तैयार किए और फिर पास के बाजार में 200 मास्क बेचे। जबकि फतेहपुर जिले से “रोशनी”अश्व पालक कार्य समूह ने 197 मास्क बेचकर 5910 रुपये कमाए। इसके अतिरिक्त, फर्रुखाबाद में महिला अश्व पालक कार्य समूह को कपड़े से बने फेसमास्क की सिलाई के लिए सरकारी आर्डर भी मिल गया है।
कोरोना वायरस महामारी संकट के समय में, महिला अश्व पालक कार्य समूह कोरोना योद्धाओं के रूप में उभरा है। उन्होंने न केवल एक बड़ी आबादी को किफायती फेसमास्क प्रदान करने में मदद की है बल्कि लॉकडाउन अवधि के दौरान अतिरिक्त आय अर्जित करने के इस अवसर का भी लाभ उठाया है।
अपने पार्टनर एनजीओ के साथ मिलकर ब्रुक इंडिया टीम फ़ेस मास्क बनाने के कार्य में अधिक से अधिक महिला अश्व पालक कार्य समूह को प्रोत्साहित करने और उन्हें विपणन और उन्हें वितरित करने में सहायता करने की दिशा में काम जारी हैं।
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