साल 2021- गांव कैफे के दस बेहतरीन लाइव शो

गांव कनेक्शन का लाइव शो ‘गांव कैफे’ ग्रामीण मसलों को आवाज देने वाला एक अनूठा कार्यक्रम है। इस साल शो में खेती पर महामारी के प्रभाव से लेकर, अचानक बाढ़ और महिलाओं के खिलाफ अपराधों जैसे तमाम मुद्दों पर अपने विचार और चिंताओं को साझा करने के लिए देश के दूर-दराज के गांवों के निवासियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था।

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साल 2021- गांव कैफे के दस बेहतरीन लाइव शो

साल 2021, देश के लिए एक रोलर कोस्टर राइड रहा है। पूरा देश स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, आजीविका, जलवायु परिवर्तन, कृषि और मानव-पशु संघर्ष के लगभग हर मोर्चे पर समस्याओं से जूझता नजर आया। इन सभी मसलों को गांव कनेक्शन ने भी अपने लाइव शो गांव कैफे में प्रमुखता से उठाया और विशेषज्ञों के साथ इनका विशलेषण किया।

गांव कनेक्शन का लाइव शो 'गांव कैफे' ग्रामीण भारत को आवाज देने के लिए अपनी तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है। देश के दो-तिहाई लोग गांवों में ही रहते हैं। इनसे जुड़ी समस्याओं को सुनने, समझने और समाज के सामने लाने का ये एक प्रयास है। ये शो मेहमानों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की मेजबानी करता है। इन कार्यक्रमों में दूर-दराज गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को भी अपने साथ जोड़ा जाता हैं।

उस समय भी, जब महामारी और भयावह दूसरी लहर के बीच अधिकांश लोग अपने घरों के अंदर बंद थे, गांव कैफे ग्रामीण भारतीयों की समस्याओं को नीति निर्माताओं और सरकार तक पहुंचाने और उनकी आवाज को सुनने के लिए एक महत्वपूर्ण जरिए के रूप में उभर कर सामने आया था।

शो में हमने वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पर्यावरणविदों, कृषिविदों, वन्यजीव कार्यकर्ताओं, किसानों, ग्रामीण महिलाओं और डॉक्टरों को सामयिक मुद्दों पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने मुद्दों को स्पष्ट और संक्षिप्त रूप से व्यक्त किया। इनके विचारों और एक व्यापक दृष्टिकोण से भ्रम और अनिश्चितता को दूर करने में मदद मिली।

बीते हुए साल में जहां खुशी के कुछ ही पल देखने को मिले थे, वहीं उम्मीद की झलक भी दिखी। गांव कैफे के मेहमानों ने भी इस बात की ओर इशारा किया कि आने वाला साल अपने साथ क्या लेकर आ सकता है। नजर डालते हैं गांव कैफे के कुछ ऐसे ही शोज पर जिन्हें हमने मुद्दों के आधार पर टॉप टेन में रखा है।

गांव कैफे, टॉप 1: छोटे किसान, बड़ी समस्या

क्या भारतीय कृषि में कॉरपोरेट्स को शामिल करने से छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा? जिन कानूनो का किसान पुरजोर विरोध कर रहें हैं, ये विवादास्पद कृषि कानून उन किसानों के लिए कैसे हैं, जो पांच या पांच एकड़ से कम भूमि पर खेती करते हैं?

देश के प्रख्यात खाद्य एवं निर्यात नीति विश्लेषक, कृषि विशेषज्ञ और एक पुरस्कार विजेता भारतीय पत्रकार देविंदर शर्मा को गांव कैफे में बातचीत में इन सवालों के जवाब देते हुए देखे और किसानों के आंदोलन के दृष्टिकोण को जानें।

गांव कैफे, टॉप 2: पोल्ट्री व्यवसाय को बर्ड फ्लू का झटका

देश जहां एक तरफ कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके खोजने के लिए संघर्ष कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक अन्य वायरस, बर्ड फ्लू ने देश में दस्तक दे दी। बर्ड फ्लू को लेकर देश में फैली अफवाहों से पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसानों की मुश्किले बढ़ गईं। जिसकी वजह से मुर्गी और अंडे की कीमतों में खासी गिरावट देखने को मिली।

चिकन खाने से बर्ड फ्लु होने की आशंका और अफवाहें फैलने से पोल्ट्री किसानों को पक्षियों को मारना पड़ा। इस वजह से उद्योग से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। पोल्ट्री फार्मर्स वेलफेयर फेडरेशन के सचिव संजय शर्मा और उत्तर प्रदेश के पोल्ट्री फार्मर्स एसोसिएशन के प्रमुख अली अकबर ने गांव कैफे पर भारत में बर्ड फ्लू के प्रकोप पर चर्चा की और जमीनी हकीकत से रू-ब-रू कराया।

गांव कैफे, टॉप 3 : अचानक आई बाढ़ की वजह क्या है?

फरवरी 2021 में उत्तराखंड में अचानक आई बाढ़ से कई लोगों की जान चली गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचा, एक बिजली परियोजना बह गई और हजारों लोगों को संकट में डाल दिया। आखिर अचानक से आने वाली इस तरह की बाढ़ की वजह क्या है? क्यों बार-बार उत्तराखंड को ऐसी तबाही झेलनी पड़ती है? इन क्षेत्रों में बने बांधों के पक्ष व विपक्ष और पारिस्थितिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर, कई विशेषज्ञों- हिमांशु ठाकुर, कोर्डिनेटर दक्षिण एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रीवर्स एंड पीपल (SANDRP), जीएस और रिमोट सेंसिंग एनालिस्ट राज भगत पलानीचामी और पर्यावरणविद् व वरिष्ठ शोधकर्ता कांची कोहली, के साथ गांव कैफे पर चर्चा की गई।

गांव कैफे, टॉप 4: केंद्रीय बजट 2021 में क्या है खास

केंद्रीय बजट 2021-आम भारतीय के लिए इस बजट में क्या है? खासकर ग्रामीण भारत को इस बजट से क्या मिला है? समाजशास्त्री रवि दुग्गल, किसान अधिकार मंच के विजय जवंधिया, महिलाओं और बच्चों के लिए काम कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता स्मृति सिंह और राष्ट्रीय मंच, RTE के संयोजक अंबरीश राय ने आशाओं और निराशाओं से भरे केंद्रीय बजट के वादों और उसकी खासियतों का विश्लेषण करते हुए, गांव कैफे में ग्रामीण भारत पर इसके संभावित प्रभाव की चर्चा की।

गांव कैफे, टॉप 5: वैक्सीन का ट्रायल

गांव कैफे में कोवैक्सिन और कोविशील्ड टीकों की आपातकालीन मंजूरी को लेकर उठे मुश्किल सवालों पर चर्चा की गई और उनका जवाब दिया गया। ये कितने प्रभावशाली हैं, क्लीनिकल ट्रायल का क्या हुआ, क्या ये ट्रायल काफी थे? जमीनी स्तर पर टीकाकरण को लेकर क्या आशंकाएं हैं?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भी उठाए जा रहे हैं। अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क के पैनलिस्ट रघुनंदन डी, जन स्वास्थ्य अभियान ये जुड़े अमूल्य निधि और आशा कार्यकर्ता संघ, बिहार की सचिव शशि यादव ने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला।

गांव कैफे, टॉप 6 : बजट 2021- महिलाओं, बच्चों और आदिवासी समुदाय को क्या मिला?

केंद्रीय बजट 2021, समाज के विशेष रूप से कमजोर वर्ग यानी महिलाओं, बच्चों और आदिवासी समुदायों के लिए क्या लेकर आया है?

छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों के साथ काम करने वाली मंजीत कौर बल, मध्य प्रदेश के राकेश कुमार मालवीय जिन्होंने बच्चों पर बजट के प्रभाव पर शोध किया है, वरिष्ठ अर्थशास्त्री जावेद आलम खान और अन्य कई सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और लिंग कार्यकर्ताओं ने गांव कैफे पर केंद्रीय बजट 2021 का विश्लेषण किया।

गांव कैफे, टॉप 7 : महिलाओं के खिलाफ अपराध

देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के आंकड़े चिंताजनक हैं। निर्भया कांड एक ऐसी घटना थी जिसके बाद यह उम्मीद की गई कि महिला सुरक्षा के मामलों में मजबूती आएगी और सुधार होगा। लेकिन क्या सच में ऐसा हो पाया है?

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और लैंगिक मुद्दों पर पत्रकारों ने गांव कैफे में इस स्थिति पर चर्चा की। चर्चा में मामलों में बरती जा रही लापरवाही, लालफीताशाही और महिलाओं के खिलाफ निरंतर भय, असुरक्षा के माहौल और अपराधों को उजागर किया गया।

गांव कैफे, टॉप 8: बारिश की परेशानी

कोविड-19 महामारी ने जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। देश में अराजकता और डर का माहौल फैला है। ऐसे में मानसून जो अनुमान से बहुत बाद में आया, ने नागरिकों की परेशानियों को और बढ़ा दिया। क्या मानसूनी बारिश का पैटर्न बदल रहा है? अगर हां, तो क्यों? इसका जलवायु परिवर्तन से क्या संबंध है?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के एसोसिएट प्रोफेसर और एक मौसम विशेषज्ञ श्रीधर बालासुब्रमण्यम ने गांव कैफे पर भारतीय मानसून के कारण और प्रभाव के बारे में बताया।

गांव कैफे, टॉप 9: हाथी की कहानी

ओडिशा के वन्यजीव सोसायटी के सचिव बिस्वजीत मोहंती ने गांव कैफे में ओडिशा और देश के अन्य हिस्से में हाथी-मानव संघर्ष की बढ़ती खतरनाक घटनाओं के बारे में बात की। इन मानव- पशु मुठभेड़ों के कारण दोनों तरफ से जान का नुकसान होता है। सिकुड़ते जंगल, बढ़ती खनन गतिविधियों और अन्य संबंधित मामलों के कारण ये गंभीर समस्या पैदा हुई है। क्या इसका कोई समाधान है?

गांव कैफे, टॉप 10: सर्दियों की फसल के कुछ कड़वे सच

कड़ाके की ठंड से देश में अनेक किसान परेशान हैं। उन्हें अपनी सब्जियों और दालों को ठंड और पाले से बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कृषि विज्ञान केंद्रों के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने गांव कैफे में, हर साल होने वाली इन परेशानियों पर चर्चा की और अधिक संवेदनशील तरीके से इससे निपटने के रास्ते सुझाए।

साल 2021 में गांव कैफे ने उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा, बहस और विश्लेषण किया, जिनसे आम लोगों का सारोकार रहा है। यह वो घटनाएं थी जिन्होंने साल को एक अलग रंग दिया है। उम्मीद है, 2022 में सुनाने के लिए बहुत सी खुशनुमा कहानियां होंगी। और गांव कैफे यह सुनिश्चित करेगा कि आप तक उन कहानियों को बेहतर तरीके से पहुंचाया जाता रहे। तो देखते रहें 'गांव कैफे'।

मूल लेखः- पंकजा श्रीनिवासन

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