नकल विहिन परीक्षा कराने के लिए तैयार यूपी बोर्ड, इस बार परीक्षा केंद्रों की होगी लाइव निगरानी

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लखनऊ। नकल विहिन बोर्ड परीक्षा कराने के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश ने कमर कस ली है। परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा प्रक्रिया की सीसीटीवी कैमरों द्वारा उसकी रिकॉर्डिंग पहले भी होती थी लेकिन इस बार बोर्ड ने प्रत्येक परीक्षा केंद्रों की लाइव मॉनिटरिंग का निर्णय लिया है।

इसके लिए प्रत्येक जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम और मॉनीटरिंग केंद्रों की स्थापना की गई है, जो ऑनलाइन वेबकास्टिंग के जरिये जिले के प्रत्येक परीक्षा केंद्रों पर नजर रखेगा। इसका नियंत्रण राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से भी किया जाएगा। इस साल यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 18 फरवरी से शुरू हो रही हैं जो कि 6 मार्च को समाप्त होंगी। वहीं 31 जनवरी से परीक्षा के प्रवेश पत्र मिलने शुरू हो जाएंगे।

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने इस बारे में बताया कि सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा, वॉयस रिकॉर्डर, राउटर और इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था करने के आदेश दे दिए गए हैं। वहीं जिलों में बनाए जाने वाले कंट्रोल रूम में पर्याप्त कंप्यूटर्स की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है।

देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी बोर्ड परीक्षा की ऑनलाइन मॉनीटरिंग राज्य स्तर पर की जाएगी। इससे पहले बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए वीडियो और वॉयस रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की जाती थी। इस बार बोर्ड ने इस प्रक्रिया को तो जारी रखा है लेकिन परीक्षा केंद्रों की लाइव स्ट्रीमिंग की भी व्यवस्था की है।

इससे पहले 2019 में बुलंदशहर, प्रयागराज और अलीगढ़ के कुछ परीक्षा केंद्रों में ट्रायल के रूप में ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन इस बार इसे पूरे राज्य स्तर पर लागू किया गया है। नीना श्रीवास्तव ने बताया कि लाइव स्ट्रीमिंग का ट्रायल 20 जनवरी को होगा। जिला मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम को राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से जोड़ने के लिए नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की मदद ली जाएगी। बोर्ड ने इसके लिए एनआईसी को पत्र भी लिखा है।

बोर्ड के निर्देशानुसार, सभी परीक्षा केंद्रों को अपने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से एक स्टैटिक आईपी एड्रेस खरीदने होंगे। वहीं इंटरनेट की स्पीड भी कम से कम 20 एमबीपीएस रखने के निर्देश दिए गए हैं। सभी परीक्षा केंद्रों को अपने राउटर, इंटरनेट प्रोवाइडर, पासवर्ड आदि की जानकारी सील बंद लिफाफे में देनी होगी ताकि उनकी उचित निगरानी जिला और राज्य मॉनिटरिंग केंद्रों से की जा सके।

ऐसे स्कूल जिनमें ये सारी सुविधाएं नहीं होंगी उन्हें परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। वहीं पूर्व में नकल के लिए बदनाम रहे विद्यालयों को भी परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। बोर्ड ने अधिकारियों और परीक्षा केंद्र प्रबंधकों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर परीक्षा केंद्रों पर आवश्यक मानकों की अनदेखी की गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। फिलहाल, बोर्ड के अधिकारी वीडियो कांफ्रेसिंग कर सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को दिशा-निर्देश दे रहे हैं।

इस साल बोर्ड परीक्षाओं के लिए 56 लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने अपना पंजीकरण कराया है। 3033961 परीक्षार्थी हाईस्कूल और 2567073 परीक्षार्थी इंटरमीडिएट में पंजीकृत हुए हैं। हालांकि अब यह देखना होगा कि इतनी सख्ती के बाद कितने परीक्षार्थी परीक्षा छोड़ते हैं।

इससे पहले 2016 में करीब 6.4 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी थी। वहीं 2018 की परीक्षा में बोर्ड और राज्य सरकार की सख्ती से यह संख्या बढ़कर 10 लाख से अधिक हो गई थी। हालांकि 2019 में यह संख्या फिर से कम होकर 6 लाख 53 हजार पर पहुंच गई।

उत्तर पुस्तिकाओं की हेराफेरी रोकने के लिए बोर्ड ने इस बार सीरियल नंबर युक्त उत्तर पुस्तिकाओं की व्यवस्था की है। इससे कोई भी नकलची उत्तर पुस्तिकाओं को बदल नहीं सकेगा। वहीं केंद्र के बाहर कॉपी मिलने पर संबंधित केंद्र के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, इसके लिए सीरियल नंबर वाली उत्तर पुस्तिकाएं सहायक होंगी। हर साल की भांति इस साल भी उड़न दस्तों का गठन किया जाएगा।

नकल रोकने के लिए इस बार परीक्षा केन्द्रों की संख्या भी कम कर दी गई है। पिछले साल प्रदेश में जहां कुल 8354 परीक्षा केंद्र बने थे, वहीं इस साल बोर्ड ने सिर्फ 7761 परीक्षा केन्द्र प्रस्तावित किए हैं। इस बार बोर्ड ने राजकीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाए जाने में प्राथमिकता दी है। वहीं प्राइवेट और सेल्फ फाइनेंस (स्व वित्तपोषित) विद्यालयों की संख्या काफी कम कर दी गई। गौरतलब है कि इन प्राइवेट और सेल्फ फाइनेंस केंद्रों पर नकल की शिकायतें सबसे अधिक आती थी।

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा खुद इन तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं। वर्ष 2018 में उन्होंने सीसीटीवी कैमरों द्वारा परीक्षा की निगरानी करने का आदेश दिया था। वहीं 2019 में सीसीटीवी के साथ ही वॉयस रिकॉर्डर भी लगवा दिए गए थे ताकि कोई बोल कर भी नकल ना करा सकें। इस बार उन्होंने इसके साथ ही परीक्षा केंद्रों के लाइव वेबकास्ट की व्यवस्था की है।

दिनेश शर्मा परीक्षा केंद्रों के औचक निरीक्षण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा इस बात को दोहराया है कि नकल कराने वाले शिक्षा माफियाओं को या तो अपना व्यापार बंद करना होगा या तो वे जेल जाएंगे। राजधानी लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा इस साल भी कभी भी परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड परीक्षा के लिए सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।

कॉपरेटिव इंटर कॉलेज, पिपराइच, गोरखपुर के अध्यापक प्रदीप पांडेय बोर्ड और सरकार के इन प्रयासों से काफी खुश हैं। गांव कनेक्शन से फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया, “अब प्राइवेट और नकल कराने वाले विद्यालय भी नकल कराने से हाथ खड़े कर रहे हैं। जो गंभीर विद्यार्थी हैं, वही अब फॉर्म भर रहे हैं और खुद को बोर्ड परीक्षा के लिए तैयार कर रहे हैं। यही वजह है कि विद्यार्थियों का नामांकन साल दर साल कम हुआ है। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था और भविष्य की पीढ़ी के लिए अच्छे संकेत हैं।”

संत कबीर नगर में तैनात शिक्षक अनिल वर्मा बताते हैं कि सरकार के इन प्रयासों से अध्यापकों पर भी दबाव कम हुआ है। वह कहते हैं कि अब कोई अभिभावक भी अपने बच्चे की नकल की गुहार लगाने अध्यापकों के पास नहीं आता, क्योंकि उन्हें पता लग गया है कि नकल किसी भी हाल में संभव नहीं है।

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