लखनऊ। “आपको भी पता है, खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जाते।” भदोही के बहरईची गांव के अमरेश मिश्रा (23 वर्ष) इतना कहकर थोड़ी देर के लिए चुप हो जाते हैं।
वह आगे कहते हैं, “जब हमने फॉर्म भरा था तो कहा गया था कि हमारी भर्ती मेरिट के आधार पर होगी। लेकिन लगभग 1.5 साल बाद अचानक से एक आदेश आता है कि भर्ती मेरिट पर नहीं लिखित परीक्षा के आधार पर होगी। क्या यह हमारे साथ धोखे जैसा नहीं है? अगर सरकार को भर्ती प्रक्रिया बदलनी ही थी तो वह या तो हमारे फॉर्म भरने से पहले बताते या फिर अगली भर्ती प्रक्रिया से नए नियम लागू करते।”
अमरेश मिश्रा ने 2016 के उत्तर प्रदेश पुलिस जेल वार्डन और फायरमैन भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन किया था। 3886 पदों की इसी भर्ती के लिए 4 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। लेकिन तीन साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद यह भर्ती प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
इस दौरान प्रदेश में सरकार भी बदल गई। नई सरकार आने के बाद भर्ती प्रक्रिया के नियम भी बदल गए। परीक्षा को मेरिट से हटाकर लिखित परीक्षा के आधार पर कर दिया गया। लेकिन सरकार भर्ती प्रक्रिया को शुरू नहीं करा सकी।
भर्ती के नियम बदलने से कई अभ्यर्थी परेशान और सशंकित भी हैं। उनका कहना है कि नए नियम पुरानी भर्तियों पर नहीं बल्कि नई भर्तियों से लागू होने चाहिए। इनका तर्क है कि पुराने अभ्यर्थी पुरानी प्रक्रिया के तहत ही तैयारी कर रहे थे।
तीन साल बाद ये अभ्यर्थी सड़कों पर हैं। लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारियों, मंत्रियों से मिलकर ज्ञापन दे रहे हैं। कोर्ट और मुख्यमंत्री दरबार के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोरे आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है। इनमें से अधिकांश अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका शैक्षणिक और आर्थिक पृष्ठभूमि काफी कमजोर है और जो लोग सिर्फ आर्मी और पुलिस की भर्ती परीक्षाएं ही देते हैं।
चंदौली के रिजवान अहमद (25 वर्ष) अपना पेट चलाने के लिए खेती करते हैं। उनकी शादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण वह सिर्फ भर्ती परीक्षा ही देते हैं। वह कहते हैं, “मैं पढ़ने में तेज नहीं था, लेकिन शरीर से तगड़ा था इसलिए भर्ती देखना शुरू किया था। इन भर्ती प्रक्रियाओं में उम्र सीमा काफी कम होती है। अब उम्र बीत गई है तो एक यही भर्ती ही आखिरी उम्मीद बची है।”
दरअसल दिसंबर 2016 में जब इस भर्ती प्रक्रिया का पहला नोटिफिकेशन जारी किया गया था तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। उस समय की जारी नोटिफिकेशन में अभ्यर्थियों को बताया गया था कि पहले चरण में उम्मीदवारों का चयन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में पाए गए अंकों के मेरिट के आधार पर होगा। इसके बाद अभ्यर्थियों की फिजिकल परीक्षा और इंटरव्यू के बाद उम्मीदवारों का अंतिम चयन किया जाएगा।
लेकिन मार्च 2017 में प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही इस भर्ती प्रक्रिया पर ग्रहण लगना शुरू हो गया। नई सरकार ने 7 अप्रैल 2017 को इस भर्ती प्रक्रिया के संबंध में एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि जल्द ही खाली सीटों से 15 गुना अधिक अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर फिजिकल परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद सभी अभ्यर्थी फिजिकल परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
हालांकि यह नोटिफिकेशन जारी होने के एक साल बाद भी फिजिकल परीक्षा के प्रवेश पत्र नहीं जारी किए गए। इंतजार कर रहे कुछ अभ्यर्थी इस कारण से हाईकोर्ट में चले गए।
अप्रैल, 2018 में हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से सफाई दी गई कि भर्ती नियमावली में कुछ संशोधन हुए हैं, जिसके कारण भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया, “मेरिट आधारित व्यवस्था होने के कारण भर्ती प्रक्रिया में कई तरह की धांधली और भ्रष्टाचार होते थे। इसलिए भर्ती प्रक्रिया को मेरिट से हटाकर लिखित परीक्षा आधारित किया जाएगा और नए सिरे से पद विज्ञापित किये जाएंगे।”
सरकार ने कहा था कि जिन लोगों ने 2016 की भर्ती विज्ञापन में आवेदन दिया है, उन्हें नई प्रक्रिया के तहत आयु सीमा और आवेदन फीस में छूट दी जायेगी। तब कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि इस भर्ती प्रक्रिया को चार महीने के भीतर ही पूरी की जाए।
कई अभ्यर्थी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं दिखे। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि इसी योगी सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड ने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा 2015 को पुराने नियमों के अनुसार 2018 में पूरा कराया। लेकिन हमारी फायरमैन और जेल वार्डर की परीक्षा को रोक दिया।
इस पर रिजवान कहते हैं, “यह सरकार का दोहरा रवैया है। जब यह सरकार एक भर्ती को पुराने नियमों के आधार पर पूरी करा सकती है तो हमारी परीक्षाओं को क्यों नहीं? यह तो हमारे साथ सरासर अन्याय है। हमें आश्वासन के सिवाय अभी तक कुछ भी नहीं मिला है। हमारी भी बढ़ती जा रहा है।”
कोर्ट के आदेश के चार महीने के बाद राज्य सरकार ने सितंबर 2018 में नए नियमों के तहत नया विज्ञापन जारी किया, जबकि चार महीने में पूरी भर्ती प्रक्रिया पूरी की जानी थी। इस नए विज्ञापन में 2018 के कुछ नए पदों को जोड़ते हुए पदों की संख्या बढ़ाकर 5805 कर दी गई और कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया मेरिट नहीं बल्कि लिखित परीक्षा के आधार पर होगी।
इस नए नोटिफिकेशन में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार 2016 के अभ्यर्थियों को फीस और उम्र-सीमा में छूट दी गई। लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि वेबसाइट पर ऐसे अभ्यर्थियों के फॉर्म भरने के लिए कोई विकल्प ही नहीं था। वेबसाइट बढ़ी हुई उम्र और कम हुई फीस को स्वीकार (एक्सेप्ट) नहीं कर रहा था। इस उहापोह और संशय की स्थिति में कई पुराने अभ्यर्थी फॉर्म नहीं भर पाएं।
फतेहपुर के रजत पटेल (24 वर्ष) बढ़ी हुई फीस की वजह से तो रिजवान बढ़ी हुई उम्र की वजह से फॉर्म नहीं भर पाए। रजत पटेल कहते हैं हमने इस बारे में पुलिस भर्ती बोर्ड में भी शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
रजत पटेल इस मामले में पीएम शिकायती पोर्टल पर भी शिकायत कर चुके हैं। वहीं भर्ती प्रक्रिया की प्रगति जानने के लिए उन्होंने आरटीआई भी लगाई थी। लेकिन भर्ती बोर्ड की तरफ से जवाब मिला कि भर्ती प्रक्रिया जारी है, जल्द ही परीक्षा की तिथियां घोषित की जाएंगी।
निराश रजत कहते हैं, “यही जवाब हमें अधिकारी भी देते हैं, यही जवाब हमें आरटीआई से भी मिल रहा है। लेकिन लिखित या फिजिकल परीक्षा कब होगी, परीक्षा प्रवेश पत्र कब जारी होगा, इस सवाल का जवाब किसी भी सरकार, किसी भी अधिकारी और किसी भी भर्ती बोर्ड के पास नहीं है।”
इस संबंध में जब गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के डीजी राज कुमार विश्वकर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “भर्ती शासन की तरफ से अभी होल्ड की गई है। शासन से आदेश मिलने के बाद हम जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया को शुरु करेंगे।” इसके बाद उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।
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