बाराबंकी से मोहम्मद आरिफ के साथ
उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर एक बार फिर से ग्रहण लग गया है। विवादित प्रश्नों के मुद्दे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सारे विवादित प्रश्न विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भेजे जाएंगे। यूजीसी की राय के बाद ही भर्ती प्रक्रिया आगे शुरू होगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने चयनित अभ्यर्थियों की पहली सूची जारी करते हुए बुधवार, 3 जून से काउंसलिंग की तिथि निर्धारित की थी। विभिन्न जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालयों पर काउंसलिंग के लिए चयनित अभ्यर्थी भी जमा हो गए थे। लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अभ्यर्थियों को काउंसलिंग केंद्रों से निराश लौटना पड़ा।
बाराबंकी जिले में उपस्थित गांव कनेक्शन रिपोर्टर मोहम्मद आरिफ ने हमें बताया कि काउंसलिंग के लिए अभ्यर्थियों में निराशा साफ देखी जा रही थी। लॉकडाउन और कोरोना के डर के बीच ये अभ्यर्थी किसी तरह उपस्थित हुए थे। कई ऐसे भी अभ्यर्थी थे जो दूसरे जिलों से आए हुए थे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा।
#UP में #69000_शिक्षक_भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक, हाई कोर्ट ने लगया स्टे। आज से काउंसलिंग होनी थी. जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यलयों पर अभ्यर्थी लाइन में लगे थे। हाईकोर्ट ने कहा है कि सारे विवादित प्रश्न #UGC को भेजे जाएंगे, यूजीसी की राय के बाद ही आगे प्रक्रिया चालू होगी। pic.twitter.com/uesivgu3Yj
— GaonConnection (@GaonConnection) June 3, 2020
बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी वी.के. सिंह ने हमें बताया कि उन्हें दोपहर में तीन बजे कोर्ट के इस आदेश की सूचना मिली। उसके बाद उन्होंने काउंसलिंग प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोक दिया। उन्होंने बताया कि तब तक लगभग 150 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग हो गई थी। वी.कें. सिंह द्वारा सभी अभ्यर्थियों को कहा गया कि वे वापस घर जाएं और शासन की अगली सूचना आने तक इंतजार करें।
कई अभ्यर्थियों ने बात-चीत में और सोशल मीडिया के द्वारा अपनी निराशा प्रकट की। सुघोष मौर्या नाम के एक अभ्यर्थी ने लिखा कि चंद अयोग्य अभ्यर्थियों और अधिकारियों की वजह से 69000 लोग और उनका परिवार बार-बार मानसिक रूप से प्रभावित हो रहा है। इसमें योग्य अभ्यर्थियों की क्या गलती है?
हर भर्ती में भ्रष्टाचार, धांधली, अनियमितताl पहले रायता फैलाओ अपना काम बनाओ फिर किसी अधिकारी को निलंबित करदो और जनता शोर न मचाए इसके लिए उन्हें सवर्ण, पिछड़े, दलित, चयनित अचयनित, बीएड बीटीसी में बांट दोl
अपना काम बनता भाड़ में जाए जनताl
सपा बसपा के बाद बीजेपी का भी शासन देख लिया👎 pic.twitter.com/UR7u9fjXgK— Shivani Gandhi (@shivanigandhi25) June 3, 2020
वहीं सूरज विजेंद्र सिंह ने ट्वीटर पर लिखा कि 69000 लोग 69000 तरीके से भर्ती करवाना चाहते हैं, इसलिए बार-बार इस भर्ती प्रक्रिया पर ग्रहण लग रहा है। रक्षित मिश्रा ने लिखा कि उत्तर प्रदेश में अब नौकरी लगने के बाद भी किसी को बधाई मत देना, पता नहीं कब भर्ती का भर्ता बन जाए। दरअसल इस भर्ती प्रक्रिया के लगभग डेढ़ साल हो गए और सरकार ने इस भर्ती को मात्र एक महीने में पूरा करने का ऐलान किया था।
अपने उत्तर प्रदेश में अब नौकरी लगने के बाद भी किसी को बधाई मत देना भैया , पता नहीं कब भर्ती का भर्ता बन जाए ।#Shikshakbharti #69000_शिक्षक_भर्ती
— RAKSHIT MISHRA (@rakshit_K49) June 3, 2020
एक दिसंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश शासन ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा की अधिसूचना जारी की थी। छह जनवरी, 2019 को इसकी परीक्षा हुई। परीक्षा के एक दिन बाद सात जनवरी को शासन ने उत्तीर्ण अंक निर्धारित किया गया, जो कि 60-65 प्रतिशत था। यानी 150 अंकों की परीक्षा में से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 97 और अन्य आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक लाना अनिवार्य कर दिया गया।
शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। ये अभ्यर्थी मुख्यतः शिक्षा मित्र थे। शिक्षा मित्रों ने उत्तीर्ण अंक कम करने की गुजारिश हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच से की। 29 मार्च को हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने उत्तीर्ण अंक को कम कर 40-45 प्रतिशत कर दिया। बीएड और बीटीसी अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील की।
डबल बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के हक में निर्णय सुनाते हुए उत्तीर्ण अंक को 60-65 प्रतिशत पर कर दिया। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने परीक्षा के आंसर-की जारी की। इस आंसर-की में कुछ प्रश्नों और उसके उत्तर को लेकर विवाद था। इसके बाद फिर कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट में चले गए। हाईकोर्ट का वर्तमान निर्णय इसी संबंध में आया है।
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