69,000 शिक्षक भर्ती रिजल्ट: आखिरकार आया परिणाम, 146,060 अभ्यर्थियों ने पास की परीक्षा

अब मेरिट के आधार पर इनमें से 69000 अभ्यर्थियों का चयन होगा। जनवरी, 2019 में हुई इस परीक्षा में चार लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे थे।
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उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के लिए हुए सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया। 69,000 सीटों के लिए हुए इस परीक्षा को 60-65 प्रतिशत (90 से 97 अंक) कटऑफ के आधार पर 146,060 अभ्यर्थियों ने पास किया है। अब मेरिट के आधार पर इनमें से 69,000 अभ्यर्थियों का चयन होगा।

जनवरी, 2019 में हुई इस परीक्षा में चार लाख से अधिक अभ्यर्थी बैठे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महीने के भीतर ही इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कराने का आश्वासन दिया था। हालांकि मेरिट अंकों का मामला कोर्ट में जाने से परिणाम में एक साल से अधिक की देरी हुई। परिणाम आने में हो रही देरी को लेकर लाखों अभ्यर्थी लगातार आंदोलनरत थे।

पिछले सप्ताह बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मेरिट अंक को 60 से 65 प्रतिशत (90 से 97 अंक) पर तय किया और सरकार को तीन महीने के अंदर भर्ती पूरा कराने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 65 फीसदी (97 अंक) और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी (90 अंक) कट ऑफ तय किया गया, जिसमें कुल 146,060 अभ्यर्थी सफल हुए।

पास होने वाले अभ्यर्थियों में 36,614 सामान्य वर्ग के, 84,868 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के, 24,308 अनुसूचित जाति के और 270 अनूसूचित जनजाति के हैं। अगर पाठ्यक्रमवार पास अभ्यर्थियों को देखा जाए तो 38610 अभ्यर्थी डी.एलएड (बीटीसी), 97,368 बीएड, 8,018 शिक्षामित्र और 2064 अन्य पाठ्यक्रमों के अभ्यर्थी हैं।

6 जनवरी, 2019 को 69,000 सीटों के लिए आयोजित ‘सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा’ में 4 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के एक दिन बाद शासन ने इस परीक्षा का कट-ऑफ निर्धारित किया। शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। तब से यह मामला लगातार कोर्ट में चल रहा था।

मामले की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थी लगातार इस बात से दुःखी थे कि सरकार इस मामले की सुनवाई के प्रति गंभीर नहीं है, क्योंकि सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता (अटार्नी जनरल) बहुत कम ही उपस्थित हो रहे थे। इसको लेकर ये अभ्यर्थी लगातार प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अन्य प्रमुख अधिकारियों से मिल रहे थे।

प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की है भारी कमी

बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 43 हजार 926 शिक्षकों की कमी है। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के अनुसार प्राइमरी स्कूलों में छात्रों और अध्यापकों का अनुपात 30:1 होना चाहिए। सेंटर फॉर बजट एंड गर्वनेंस एकाउंटबिलिटी (सीबीजीए) और चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यह अनुपात 50:1 है।

गांव कनेक्शन ने अपने पड़ताल में पाया है कि शिक्षकों की यह कमी ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है। जैसे-जैसे आप शहर से दूर गांवों की ओर बढ़ने लगते हैं प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या घटने लगती है। उम्मीद है कि इस शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के पूरे होने से यह कमी पूरी हो सकेगी। 

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