वट सावित्री व्रत: प्रकृति के प्रति आभार जताने का पर्व

आज देश के ज्यादातर राज्यों में वट सावित्री व्रत मनाया जा रहा है, जिसमें बरगद की पूजा की जाती है। भारत के दूसरे कई और लोक पर्व व व्रत की तरह ये भी प्रकृति से जुड़ा हुआ होता है।

वट सावित्री व्रत: प्रकृति के प्रति आभार जताने का पर्व

वट सावित्री व्रत में धागे के साथ वट वृक्ष की परिक्रमा की जाती है। सभी फोटो: दिवेंद्र सिंह 

हमारे देश में ऐसे बहुत से व्रत व लोकपर्व हैं जो प्रकृति से जुड़े होते हैं, ऐसा एक व्रत वट सावित्री व्रत भी है, जिसमें महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।

बरगद अपनी विशालता और लंबी उम्र के लिए जाना जाता है, इसी लिए तो इसे वट वृक्ष कहा जाता है। भारत में इसकी सदियों से पूजा होती आ रही हैं, तभी तो सभी धार्मिक स्थलों और मंदिरों के आसपास मिल जाता है।


कहा जाता है कि धरती पर मौजूद समस्त प्राणियों में सबसे लंबा जीवन वटवृक्ष का ही होता है, इसलिए इसका लंबा जीवन अनश्वरता का प्रतीक है। जेठ मास की अमावस्या को महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए, और कहीं कहीं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना से वट-सावित्री का पूजन करती हैं। इस पेड़ की पवित्रता के कारण ही कोई इस वृक्ष को काटता नही है, क्योंकि इसे काटना पापकर्म समझा जाता है।

वास्तव में वट वृक्ष अपने आप में एक छोटा पारिस्थितिक तंत्र है, हजारों प्रकार की कीटों के लिए यह भोजन और आश्रय का स्रोत है। इसी तरह पक्षी पशु पक्षियों के भोजन व आश्रय का भी है बेहतरीन ठिकाना है।

दूर-दूर लोग पेड़ की पूजा के लिए जाते हैं, यही नहीं बरगद की पूजा के बाद पंखे से हवा भी दी जाती है। फोटो: दिवेंद्र सिंह

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य का फल मिलता है। इसके साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। इस व्रत में महिलाएं कच्चे सूत (धागे) से वट वृक्ष की सात बार परिक्रम करते हुए बांधती हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लायीं थीं। यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।


अगर आपने यह व्रत रखा हो या अपने घर में किसी को इस व्रत को करते हुए देखा होगा, तो आपको याद होगा किस तरह से इस व्रत में बरगद के पेड़ का महत्व होता है। दूर-दूर लोग पेड़ की पूजा के लिए जाते हैं, यही नहीं बरगद की पूजा के बाद पंखे से हवा भी दी जाती है।

दुनिया का सबसे विशालकाय बरगद का पेड़ वह भारत में ही है। इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। यह पेड़ 'द ग्रेट बनियन ट्री' के नाम से जाना जाता है। यह पेड़ 250 साल से भी ज्यादा पुराना है।

कहा जाता है कि पृथ्वी पर मौजूद समस्त प्राणियों में सबसे लंबी उम्र वटवृक्ष की ही होती है। फोटो: दिवेंद्र सिंह

यह विशालकाय बरगद का पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में है। 1787 में इस पेड़ को यहां स्थापित किया गया था। उस समय इसकी उम्र करीब 20 साल थी। इस पेड़ की इतनी जड़ें और शाखाएं हैं कि इससे एक पूरा का पूरा जंगल ही बस गया है। 14,500 वर्ग मीटर में फैला यह पेड़ करीब 24 मीटर ऊंचा है। इसकी 3000 से अधिक जटाएं हैं, जो अब जड़ों में तब्दील हो चुकी हैं। इस वजह से इसे दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ या 'वॉकिंग ट्री' भी कहा जाता है।

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