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सामान्य योग्यता परीक्षा (CET) और राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के गठन से क्या खत्म हो जाएंगी भर्ती परीक्षा देने वाले छात्रों की समस्याएं?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की नौकरियों की भर्ती के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के गठन को मंजूरी दी है। यह एजेंसी अब बैंकिंग, रेलवे, एसएससी जैसे तमाम केंद्रीय स्तर की परीक्षाओं के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा (CET) कराएगी। केंद्र सरकार ने इसे युगांतकारी कदम बताया है और कहा है कि इससे भर्ती प्रक्रियाओं में तेजी आएगी। हालांकि सवाल यह है कि क्या इससे सालों से अटकी पड़ीं दर्जनों पुरानी भर्तियों को पूरा होने में मदद मिलेगी?
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने मंगलवार को केंद्र सरकार की नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के गठन की स्वीकृति प्रदान की। यह एजेंसी दसवीं, बारहवीं और स्नातक स्तर पर एक कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन सामान्य योग्यता परीक्षा (सीईटी) कराएगी, जो साल भर में दो बार होगा। इस परीक्षा के अंकों के आधार पर छात्र और अभ्यर्थी अलग-अलग विभागों जैसे बैंक, एसएससी या रेलवे का फॉर्म भर सकेंगे। इस परीक्षा के अंक तीन साल तक के लिए मान्य होंगे। तीन साल बाद सरकारी नौकरियों का फॉर्म भरने के लिए अभ्यर्थी को फिर से यह योग्यता परीक्षा (सीईटी) देना होगा।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, “वर्तमान में सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मी्दवारों को विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। इसमें उम्मीदवार के पैसे और समय दोनों का नुकसान होता है क्योंकि अलग-अलग भर्ती एजेंसियां अलग-अलग परीक्षाओं का अलग-अलग शुल्क लेती हैं। इसके साथ ही इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए अभ्यर्थियों को लंबी दूरियां तय करनी पड़ती है।”

“इसके अलावा ये अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ हैं, क्योंकि इसमें कई तरह के खर्च, कानून और व्यवस्था, सुरक्षा संबंधी मुद्दे और परीक्षा केन्द्रों संबंधी समस्याएं शामिल होती हैं। औसतन, इन परीक्षाओं में हर साल 2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं। ये उम्मीदवार एक सामान्य योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे तथा उच्च स्तर की परीक्षा के लिए किसी या इन सभी भर्ती एजेंसियों में आवेदन कर पाएंगे,” उन्होंने आगे कहा।

हालांकि सवाल यह है कि क्या इससे सालों से अटकी पड़ीं दर्जनों पुरानी भर्तियों को पूरा होने में मदद मिलेगी? तैयारी करने वाले छात्रों में इसको लेकर उहापोह और असमंजस की स्थिति है। हालांकि कई छात्रों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, बशर्ते यह उचित ढंग से काम करे और अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षाओं के कुचक्र में ना फंसना पड़े, जैसा कि सामान्यतया होता है। 

कैबिनेट द्वारा पास प्रस्ताव के अनुसार यह राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी केंद्र सरकार की ग्रुप सी और डी के गैर-तकनीकी पदों के लिए सामान्य योग्यता परीक्षा (सीईटी) आयोजित कराएगी। यह एक तरह से प्रारंभिक स्तर की परीक्षा होगी, जिसमें उम्मीोदवारों का स्क्रीानिंग कर उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।

केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र कुमार ने कहा कि सीईटी की पहुंच दूर-दराज के लोगों, वंचितों और महिलाओं तक भी समान रूप से होगी, इससे लोगों को समान अवसर प्राप्त होंगे। इसके लिए सरकार एक 24×7 हेल्पलाइन और शिकायत निवारण पोर्टल की शुरूआत करेगी। इसके साथ ही लोग ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मॉक टेस्ट भी दे सकेंगे, ताकि परीक्षा के लिए वे खुद को तैयार कर सकें। इसके अलावा देश के प्रत्येक जिले में परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे ताकि परीक्षार्थियों खासकर महिला और ग्रामीण परीक्षार्थियों के लिए इधर-उधर ना भटकना पड़े।

उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में प्राप्त स्कोर परिणाम घोषित होने की तिथि से 3 वर्षों की अवधि के लिए वैध होंगे। वैध उपलब्ध अंकों में से सबसे उच्चतम स्कोर को उम्मीमदवार का वर्तमान अंक माना जाएगा। सामान्य योग्यता परीक्षा ऊपरी आयु सीमा के अधीन होगी और उम्मी दवारों के सीईटी में भाग लेने के लिए अवसरों की संख्याी पर कोई सीमा नहीं होगी।

सरकार की मौजूदा आरक्षण नीतियों के अनुसार एससी, एसटी, ओबीसी, महिला और दिव्यांग उम्मीदवारों को ऊपरी आयु-सीमा में छूट दी जाएगी। सीईटी परीक्षा का पाठ्यक्रम सामान्य होने के साथ-साथ मानक भी होगा। यह उन उम्मीदवारों के बोझ को कम करेगा, जो वर्तमान में प्रत्येक परीक्षा के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम के अनुसार अलग-अलग पाठ्यक्रमों की तैयारियां करते हैं।

इसके अलावा सीईटी अनेक भाषाओं में आयोजित की जाएगी, इसे हाल ही में आए सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुभाषी और स्थानीय भाषा शिक्षा पद्धति के कारण शामिल किया गया है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इससे देश के विभिन्न हिस्सों के अलग-अलग भाषा के लोगों को परीक्षा में बैठने और चयनित होने के समान अवसर प्राप्त होंगे।

शुरुआत में इन अंकों का उपयोग तीन प्रमुख भर्ती एजेंसियों (एसएससी, आईबीपीएस-बैंकिंग और आरआरबी-रेलवे) द्वारा किया जाएगा। लेकिन कुछ समय बाद धीरे-धीरे अन्य केंद्रीय और राज्य भर्ती एजेंसियां भी इसे अपनाएंगी। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक (नवरत्न कंपनियों) तथा निजी क्षेत्र की अन्य एजेंसियों को भी यह छूट होगी कि वे इस परीक्षा प्रक्रिया को अपना लें।

भर्ती चक्र को कम करना

केंद्रीय सचिव ने कहा कि सीईटी भर्ती चक्र में सालों तक फंसे रहने वाले परीक्षार्थियों को मदद करेगी और जो विभाग सिर्फ एक ही परीक्षा (प्रारंभिक परीक्षा) कराते हैं, वे सीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर ही शारीरिक परीक्षा (फिजिकल) और चिकित्सीय परीक्षण (मेडिकल) कराकर भर्ती कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के लिए 1517.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। इस व्यय को तीन वर्षों की अवधि में खर्च किया जाएगा।

कुछ ने जताया संतोष, तो कुछ ने किया विरोध

सरकार द्वारा सामान्य योग्यता परीक्षा कराने के निर्णय पर भर्ती परीक्षा देने वाले छात्रों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं। कई लोगों ने इससे संतोष जताया है तो कुछ के मुताबिक इससे अभ्यर्थियों पर परीक्षा का और भी बोझ बढ़ेगा।

दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहकर इन परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उत्तराखंड के आदित्य सूद कहते हैं कि एक तरफ सरकार कह रही है कि इससे छात्रों का समय और पैसा दोनों बचेगा, दूसरी तरफ यह भी कह रही है कि यह सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा है। इसके बाद संबंधित विभाग मुख्य परीक्षा (मेन्स) लेंगे। अब देखना यह होगा कि प्रमुख परीक्षा (मेन्स) का फार्म भरते समय क्या संबंधित विभाग फिर से परीक्षा फीस लेंगे या नहीं। अगर नहीं लेते हैं तो यह अच्छी बात है और अगर फीस लेते हैं तो इससे परीक्षार्थियों पर परीक्षा का आर्थिक बोझ बढ़ेगा ही, ना कि कम होगा। हालांकि आदित्य ने कहा कि यह अभी शुरूआती कदम है, हमें इंतजार करना चाहिए कि क्या होता है।

कई और छात्रों ने भी कहा कि अभी हमें इंतजार करना चाहिए कि यह किस रूप से लागू होता है। यह पूछने पर कि क्या इससे तैयारी करने वाले छात्रों में असमंजस और अस्पष्टता की स्थिति बढ़ गई है। इसके जवाब में इलाहाबाद में रहकर तैयारी करने वाले बेतिया के रमन कुमार कहते हैं कि हां कई चीजों में असमंजसता आ गई है। सरकार ने अभी हाल ही में नई शिक्षा नीति की घोषणा की थी, उसमें भी उच्च शिक्षा और शोध को लेकर कई बदलाव किए थे। अब इन बदलावों से भी निश्चित रूप से छात्रों और अभ्यर्थियों में उहापोह की स्थिति है। लेकिन हमें प्रतिक्रिया देने से पहले कुछ दिन तक इंतजार करना होगा।

हालांकि रमन ने यह जरूर कहा कि सरकार को लंबे समय से अटके भर्ती प्रक्रियाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। गौरतलब है कि अनेक राज्यों और केंद्र सरकार की सैकड़ों भर्तियां कई सालों से कहीं लालफीताशाही, कहीं भ्रष्टाचार, कहीं पेपर लीक और कहीं कोर्ट में मामला जाने के कारण फंसी हुई हैं, जिसको लेकर छात्र और अभ्यर्थी सोशल मीडिया और सड़कों पर अक्सर लामबंद होते रहते हैं।

एक और अभ्यर्थी शिवांगी गांधी कहती हैं, “होना कुछ नहीं है, TET, CTET, NET जैसे सर्टिफिकेट के साथ-साथ अब CET का सर्टिफिकेट भी लेकर अभ्यर्थी घूमेंगे। इसके बाद भी आपको नौकरी मिलेगी या नहीं यह निश्चित नहीं है। लेकिन सरकार की साल में 2 बार कमाई निश्चित है, क्योंकि साल में दो बार CET की परीक्षा होगी, जिसके लिए लाखों युवा फॉर्म भरेंगे।”

शिवांगी कहती हैं कि इससे अच्छा होता कि सरकार भर्ती को 6 महीने से 1 साल के भीतर पूरा करने का कोई कानून बनाती। आपको बता दें कि शिवांगी उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा की अभ्यर्थी हैं, जिसका अंतिम परिणाम 1.5 साल बाद भी नहीं आ सका है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भर्ती प्रक्रिया को सिर्फ दो महीने में पूरा कराने की बात कही थी। कार्मिक मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है कि सरकारी भर्ती प्रक्रियाएं 6 महीने में पूरी हो जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो कम से कम इसके प्रारंभिक कुछ चरण तो जरूर पूरे होने चाहिए।

भर्ती प्रक्रियाओं पर लगातार नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार भी इसी तरफ ध्यान दिलाते हैं। उन्होंने एक लंबा फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि सरकार को राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन से पहले पुरानी भर्तियों को पूरा कराने पर अपना पूरा बल देना चाहिए। लेकिन सरकार जान-बूझकर नई-नई चीजों को लाती रहती है, ताकि पुराने मुद्दों से आम जनता का ध्यान भटकाया जा सके। आप उनका पूरा फेसबुक पोस्ट यहां पढ़ सकते हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। 

वहीं युवाओं के भर्ती प्रक्रियाओं के आंदोलन का नेतृत्व करने वाली संस्था ‘युवा हल्ला बोल’ ने भी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। 

युवा हल्ला बोल ने कहा कि निश्चित रूप से CET छात्रों के ऊपर पड़ने वाले हजारों परीक्षाओं के बोझ को कम करेगा। हम बहुत पहले से ही अपने चार्टर ऑफ डिमांड में सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के हित में ‘एक सरकारी एजेंसी द्वारा परीक्षा’ की मांग करते आए हैं। लेकिन हमारी कुछ चिंता भी है।

जैसे- ऑनलाइन परीक्षाएं प्राइवेट सॉफ्टवेयर कंपनियां कराती है। पूर्व में देखा गया है कि उन्ही कंपनियो के कर्मचारी पेपर लीक और रिजल्ट में फेरबदल में शामिल होते है। ऐसे में अगर NRA भी प्राइवेट सॉफ्टवेयर से परीक्षा कराएगा तो धांधली कैसे रुकेगी?

इसके अलावा कार्मिक मंत्रालय के 2016 नोटिस के अनुसार किसी भी सीधी भर्ती को 6 महीने में पूरा किया जाना चाहिए, ऐसे में क्या नई बनी एजेंसी NRA इसको सुनिश्चित करा पाएगी या अभ्यर्थियों को फिर से दर बदर भटकना पड़ेगा।

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