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लॉकडाउन: “जान जोख़िम में डालकर फसल तैयार की थी, अब कम दाम में बिचौलियों को बेचनी पड़ रही है”

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लखीमपुर से मोहित शुक्ला और बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह

“हमारा गेहूं आज तक सरकारी क्रय केंद्रों पर नहीं तौला गया। केंद्र प्रभारी कहते हैं कि गेंहू अभी सूखा नही है, इसमें नमी ज़्यादा है, पहले पंजीकरण कराओ, टोकन जनरेट कराओ, उसके बाद जमीन सत्यापन करो तब तौल होगी। मजबूरन हमें थक हार कर बिचौलियों के हाथों ही औने-पौने दामों पर अपना गेहूं बेचना पड़ता है,” इतना कहते-कहते लखीमपुर जिले के संतगढ़ फार्म गांव के किसान अवतार सिंह की आंखें नम हो जाती हैं।

अवतार सिंह ने अपने पांच एकड़ के खेत मे गेंहू बोया था। उनका खेत जंगल के पास है, इसलिए फसल बोने से लेकर उगाने तक उन्हें तमाम तरह के खतरों को उठाना पड़ा। पिछले पंद्रह दिनों से उनका गेंहू घर में ही पड़ा हुआ है, क्योंकि सरकारी क्रय केंद्र पर खरीदारी नहीं हुई है। अवतार सिंह ने बताया कि वह धर्मापुर में बने गेंहू क्रय केंद्र के कई बार चक्कर काट चुके है। लेकिन केंद्र प्रभारी बोरे नही होने की बात कहकर खरीदी टाल देते हैं। जबकि केंद्र प्रभारी द्वारा ही पास के किसनपुर गांव में गेहूं की खरीद की जा रही है। इससे आम किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।

अवतार सिंह की तरह ही बाराबंकी जिले के बेसन पुरवा निवासी अजीत सिंह भी बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती करते हैं। अजीत सिंह भारतीय किसान यूनियन से भी जुड़े हुए हैं और किसानों के अधिकारों के लिए मुखर रहते हैं।

उन्होंने बताया, “क्रय केंद्रों पर 3-4% ही किसानों का गेहूं खरीदा जाता है, बाकी बिचौलिए हावी रहते हैं। क्रय केंद्रों पर जिस रजिस्टर में किसानों के नाम दर्ज किए जाते हैं, वहां पर एक नाम दर्ज करने के बाद काफी जगह छोड़ दी जाती है और उसके बाद दूसरे किसान का नाम दर्ज किया जाता है। बीच में जो खाली जगह होती है, उसमें बिचौलियों का नाम दर्ज करके उनका गेहूं खरीदा जाता है।”

बाराबंकी के ही हैदरगढ़ के किसान राम बरन बताते हैं कि बाराबंकी में 60 प्रतिशत किसान छोटे रकबे के हैं, जो 8 से 10 कुंतल गेहूं उपजाते हैं। क्रय केंद्र दूर होते हैं, इसलिए किसानों को बिचौलियों को ही कम दाम में गेहूं बेचना पड़ जाता है। उन्होंने मांग कि क्रय केंद्रों की संख्या को बढ़ाया जाए।

बाराबंकी के डिप्टी आरएमओ संतोष कुमार त्रिवेदी बताते हैं कि बाराबंकी जिले में किसानों के गेहूं खरीद के लिए सरकार द्वारा 50 क्रय केंद्रों की स्थापना की गई है, जिस पर 1 लाख 15 सौ मैट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। जिन क्रय केंद्रों पर किसानों द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई है, उन पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। वहीं लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने भी कहा कि अगर गेहूं क्रय केंद्रों पर केंद्र प्रभारी कुछ गड़बड़ी करते हैं, तो एसडीएम मामले की जांच करेंगे। जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। 

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