– आसिफ़ असरार, झारखंड
पलामू जिले के हैदरनगर प्रखंड के रहने वाले किसान सोनू को पीएम किसान सम्मान निधि की चौथी किश्त अब तक नहीं मिली है। सोनू को अभी तक सिर्फ तीन ही किश्त योजना के तहत मिली है। वह कहते हैं, “रजिस्ट्रेशन के बाद तीन किश्त के पैसे खाते में जमा हुए, लेकिन जिस वक्त पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत थी तभी हमें पैसा नहीं मिला।”
सोनू ने इस बार 11 बीघा में गेहूं,चना और मसूर दाल की खेती की थी। लेकिन बेवक्त बारिश ने उनके फसलों को बर्बाद कर दिया। सोनू बताते हैं, “नफा तो दूर की बात है, इस बार लागत भी नहीं निकल पाई। लागत का करीब 20 फीसदी हिस्सा घाटा सहना पड़ा है। वैसे तो सरकार के द्वारा दिया जाने वाला 2000 रुपये काफी नहीं होता है, लेकिन इस तालाबंदी के समय में जो भी मिल जाए वही काफी है और इससे थोड़ी बहुत राहत ज़रूर मिल जाती।”
सोनू की तरह ही झारखंड के लोहरदगा जिले की किसान सुमित्रा देवी के खाते में भी पीएम किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाला पैसा नहीं पहुंचा है। सुमित्रा के बेटे ओम प्रकाश बताते हैं, “पिछले साल अगस्त महीने के 29 तारीख को हमारा रजिस्ट्रेशन हुआ था। हमें अभी तक तीन किश्त मिल गए हैं। लेकिन चौथी किश्त का अब भी इंतजार है। इस बार हम लोगों ने एक एकड़ ज़मीन पर खीरा, लहसुन, बीट, कद्दू जैसी सब्जियां लगाईं थी। मगर ओलावृष्टि के कारण सब नष्ट हो गया। मात्र 20 फीसदी लहसुन हुआ है, इसके अलावा और कुछ नहीं। ऐसे में सरकार की तरफ से 2000 रुपये मिल जाते तो कुछ सब्ज़ियों के बीज खरीद लेते और नकदी की परेशानी कुछ हद तक दूर हो जाती।
कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में 24 मार्च से तालाबंदी की घोषणा की गई थी। जिसके बाद मोदी सरकार ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत मिलने वाले पैसे को अप्रैल के पहले हफ़्ते में किसानों को देने की घोषणा की थी। योजना के तहत साल में 6,000 रुपए किसानों को तीन किश्तों में मिलते हैं। यानि एक किश्त में 2,000 रुपये और यह राशि हर चार महीने के अंतराल में पंजीकृत किसानों के खाते में भेज दिए जाते हैं।
किसान सम्मान योजना के तहत झारखंड के 17,59,305 किसान लाभार्थियों की सूची में शामिल हैं, जिसमे से 21 जून 2020 तक चौथी किश्त करीब 36.25 प्रतिशत (637887) किसानों को ही मिली है। इस हिसाब से अभी भी राज्य के 63.75 प्रतिशत (11,21,418) से ज्यादा किसान इस योजना के तहत मिलने वाली 2000 रुपये की राशि से महरूम हैं। ये सभी आंकड़ें केंद्र सरकार की वेबसाइट https://pmkisan.gov.in/StateDist_Beneficiery.aspx से ली गई हैं।
झारखंड राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के मुताबिक राज्य में 39 लाख किसान हैं। वहीं पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत महज़ 17 लाख किसानों का नाम सूची में दर्ज हैं। इस हिसाब से देखें तो अभी भी झारखंड का एक बड़ा किसान तबके तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंच पाया है।
झारखंड में लाखों ऐसे किसान हैं जिनको अभी तक पहली, दूसरी और तीसरी किश्त भी नहीं मिली है। पीएम किसान पोर्टल के मुताबिक झारखंड के 1,20,587 किसानों को पहली क़िस्त नहीं मिली है। 4,54,412 को दूसरी किश्त और 5,39,408 किसानों के बैंक खाते में तीसरी किश्त नहीं पहुंची है।
लोहरदगा जिले के रामपुर ग्राम में रहने वाले किसान शिवधन साहू को चौथी किश्त में बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत दो बार पैसे आये हैं, लेकिन इसके बाद कोई पैसा नहीं मिला। तीसरी और चौथी क़िस्त की राह ताक रहे शिवधन कहते हैं कि “मोदी जी बोले थे कि आएगा लेकिन अभी तक कोई पैसा आया नहीं है।”
किसान शिवधन ने इस बार दो एकड़ खेत में टमाटर, पांच डिसमिल में अदरक और सत्तर डिसमिल में हरी मिर्च लगाया था। लेकिन उन्हें अपनी लागत को निकालने के खातिर औने-पौने दाम में व्यपारियों से सब्ज़ियों को बेचना पड़ा। उन्होंने बताया कि बाजार की हालत इस बार बहुत ख़राब है। किसानों को लॉक डाउन की वजह से पहले मंडी तक सब्जी पहुंचने में मुश्किलें आईं और यदि गाड़ी मिली भी तो भाड़ा ज्यादा वसूला गया और फिर मंडी में कीमत भी सही नहीं मिली।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “इस वक़्त तो हम बस सरकार पर आश्रित हैं। इस कठिन वक़्त में सरकार को चाहिए कि हमारे लिए जो भी योजनाएं हैं, उसका लाभ समय पर पहुंचे, यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर ऐसी योजनाओं का क्या फायदा है?”
इस योजना के बारे में अखिल भारतीय किसान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णदेव सिंह कहते हैं, “पीएम किसान योजना में ज़मीनी स्तर पर बहुत सारी खामियां हैं, जैसे बहुत सारे किसानों का तकनीकी गड़बड़ियों के चलते पंजीकरण नहीं हो पता है। मैं भी एक किसान हूँ, आधार कार्ड से जुड़ी कुछ गलतियां बताते हुए मेरा रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया गया। साथ ही इस योजना के तहत दी जाने वाली साल में 6000 रुपये की राशि भी किसान के लिए पर्याप्त नहीं है। कम से कम इस राशि को 6000 से बढ़ा कर 12,000 करना चाहिए और साथ ही साथ सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों तक योजनाएं सही समय पर पहुंचे।”
इस सिलसिले में हमनें झारखंड कृषि विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी से जानने की कोशिश की कि किसानों तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की राशि सही समय पर किसानों के खाते में क्यों नहीं पहुंच रही ? तो उन्होंने इस पर कोई जवाब न देते हुए नोडल अधिकारी से बात करने को कहा।
इसके बाद हमने यही सवाल नोडल अधिकारी सुनील सिन्हा से की तो उन्होंने बताया, “जब भारत सरकार के द्वारा लॉट जारी किया जाता है, तब हम लोग उस लॉट का वेरिफिकेशन जिला स्तर पर कराते हैं। उस वेरिफिकेशन में यह देखा जाता है कि वह किसान इस योजना के योग्य है या नहीं। तो कुछ समय वेरिफिकेशन में लग जाता है। साथ ही यह भी देखना होगा कि किस किसान ने किस वक़्त पर अपना पंजीकरण कराया है। उदहारण के तौर पर मान लिजिए कि यदि एक किसान ने पिछले महीने अपना पंजीकरण कराया है तो जाहिर सी बात है उसे अभी पहली किश्त ही मिलेगी चौथी एक साल बाद मिलेगी।”
(लेखक झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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