किसान बर्बाद हो रहा है... हालत तो देखिए

Vinay GuptaVinay Gupta   12 Feb 2018 11:30 AM GMT

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किसान बर्बाद हो रहा है... हालत तो देखिएलखनऊ के मोहनलालगंज के पास एक खेत में गेहूं की फसल चरते पशु।

किसान अपनी फसल को कितनी मेहनत से उगाते हैं। इसका अंदाजा आप उनके पास जाकर उनसे बातें करके जान सकते हैं। या अगर आप खुद किसान हैं, तो आपसे बेहतर इस बात को कौन समझ सकता है। फसल उगाने के दौरान कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पडता है।

खेत में गेहूं की फसल को खा रहे जानवरों को भगाती महिला किसान।

लखनऊ से लगभग 25 किलोमीटर दूर गोसाईगंज या मोहनलालगंज या दूसरे गांव में नील गाय का दिखाई देना कोई बडी बात नहीं। भले ही ये आपको देखने में खुबसूरत लगते हों। लेकिन किसान के लिए ये किसी काल से कम नहीं। किसान अपनी फसल को बचाने के लिए रात दिन खेत के बाहर झोपडी बनाकर रहता है। धूप, आंधी, पानी या तूफान इन सबके बावजुद वह अपने फसल को बरबाद होने से कुछ हद तक ही बचा पाता है। वैसेइन दिनों किसानों के लिए नील गाय नहीं बल्कि शहर में दिखाई दिए जाने वाले आवारा जानवर हैं।

जानवराें को भगाती महिला किसान।

रविवार को जब मैं सुबह माेहनलाल गंज की ओर तस्वीरें खींचने के लिए जा रहा था। तभी मेरी नजर पहाड नगर टिकरियां गावं के रास्तें में गेहूं के खेत पर पडी। कुछ जानवर फसल को खा रहे थे। मैं बाइक से उतरकर उनकी तस्वीरें खींचने लगा, तो रास्ते से गुजरने वाले कई लोग रुक कर देखने लगे। जो भी आता यही एक बात कहता,,, भइया खींच लेव फोटो, और योगी, मोदी जी के पास भेज दो... उनका पता तो चले कि किसानन पर का बीत रही है। तभी देखा की एक महिला उन जानवरों को खेत से भगाने के लिए हाथ में पतली सी छडी लेकर आ रही थी। पास आयी तो मैंने पूछा कि क्या ये खेत आपका है, वह बोली नहीं हम बटाई पर काम कर रहे हैं, ई जानवर पता नहीं कहां से आ गए हैं, पूरा फसल बरबाद करने पर तुले है, ये नील गाय क्या कम थी जो ये भी आ गए।

अभी उनकी फोटो खींच ही रहा था, कि एक युवक मेरे सामने आकर रुके और बोले भईया आप पत्रकार हैं क्या.. मैंने बोला जी हां.. तो बोले खींच ले जाइए फोटो और छाप दिजिए ये फोटो सरकार को जरुर दिखाइएगा। वो जो कहते हैं ना कि किसान बहुत खुश है, उनसे कह दिजिएगा कि हम बहुत खुश हैं कि कोई तो बरबाद हो रहा है। मैं उनकी बात सुनकर हैरान हो गया, मैनें पूछा कि कौन बरबाद हो रहा है, वह बोले किसान बरबाद हो रहा है। मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था। मैंने पूछा कि कहां से आए हैं जानवर और किसके हैं वह बोले पता नहीं कहां से आएं यहां तो केवल 15-20 हैं। थोडा आगे जाएगें तो 50-60 के झुंड में मिल जाएगें। उनकी बातें सुनने के बाद उसका कोई जवाब तो नहीं था, बस इतना ही कह पाया, सब ठीक हो जाएगा।

विनय गुप्ता, गांव कनेक्शऩ में फोटो जर्नलिस्ट हैं।

खेत से भागते जानवर।

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